हरिद्वार।
पेट्रोल डीजल की लगातार बढ़ती कीमतों से थोक महंगाई रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है। खासकर उत्पादकों की महंगाई 4.2% रही। इसमें अंडे, मांस जैसे प्रोटीन उत्पाद शामिल है। लॉकडाउन व संक्रमण की दूसरी लहर का आपूर्ति पर काफी असर पड़ा है। इसमें उत्पादकों की महंगाई दर अप्रैल में 6 महीने के शीश पर पहुंच गई है। मौजूदा माहौल को देखते हुए पूरा अनुमान है कि मई में भी थोक महंगाई दर में तेजी रहेगी, तो महंगाई बढ़ने का मुख्य कारण ईंधन जैसे कॉमेडीटी और विनिर्मित उत्पादों का महंगा होने से है। कच्चा माल महंगा होने से एमएसएमई के उत्पादन लागत में भी इजाफा हुआ है और मुनाफा कम हो गया है। लॉकडाउन की वजह से होटल, रेस्टोरेंट, यात्रा पर्यटन जैसे सेवा क्षेत्रों पर काफी असर पड़ा है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनामी के आंकड़ों के मुताबिक उपभोक्ता भावना सूचकांक में अप्रैल में 3.8 प्रतिशत की गिरावट आई है। अप्रैल में सरकार को जीएसटी से रिकॉर्ड में 1.42 लाख करोड रुपए के राजस्व की प्राप्ति हुई। लेकिन यह पिछले महीने हुई आर्थिक गतिविधियों का घोतक है कि ई-वे बिल की संख्या मार्च में 7 करोड़ के मुकाबले अप्रैल में 5 पॉइंट 8 करोड़ ही रह गई। भाजपा सरकार को पिछले वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में हुए देशव्यापी लॉकडाउन से अर्थव्यवस्था जो सिकुड़ गई है, उस पर ध्यान देना चाहिए और एक ऐसा रास्ता ढूंढना चाहिए, जिससे जनता को परेशानी का सामना ना करना पड़े और सबको रोजगार प्राप्त होता रहे।
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