देहरादून। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की ओर से उत्तराखंड के शिक्षा विभाग के अधिकारियों की बैठक ओएनजीसी गेस्ट हाऊस में ली गयी। इस मौके पर उच्च और विद्यालयी शिक्षा विभाग दोनों के अधिकारी उपस्थित थे। बैठक में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को बढ़-चढ़ कर लागू करने के निर्देश दिए गए।
इस मौक़े पर अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, सचिव उच्च शिक्षा दीपेंद्र चौधरी, सचिव विद्यालयी शिक्षा मीनाक्षी सुंदरम, अपर सचिव विद्यालयी शिक्षा दीप्ति और शिक्षा मंत्री धन सिंह उपस्थित थे। इस बैठक में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को बढ़-चढ़ कर लागू करने के निर्देश दिए गए और जो अब तक तैयारी की गई है,उसके बारे में मंत्री को अवगत कराया गया। केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा कि इस नए सत्र में जुलाई से बाल-वाटिका की कक्षा शुरू की जाएं। जो एनएपी का कॅरिकुलम है उसको डेवलप किया जाए। इस मौके पर उनको बताया गया कि बाल-वाटिका का कॅरिकुलम बना लिया गया है और उसके बारे में मंत्री को अवगत भी कराया गया। शिक्षा मंत्री ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री को बताया कि विद्यालयों में इंफ्रास्टक्चर की जो दिक्कत है, उसका एक बजट बनाया है,मंत्री ने आश्वस्त किया कि जो भी भारत सरकार की ओर से यथासंभव अधिकतम सहयोग होगा,वो उत्तराखंड सरकार को प्रदान किया जाएगा और आप सभी विद्यालयों को ठीक करवाइये। इसके अलावा जो छात्र स्कूल की पहुंच से बाहर है,जिनको आउट ऑफ स्कूल चिल्ड्रन कहा जाता है। उनको भी फ़ोकस कर उनकी शिक्षा की व्यवस्था किये जाने को कहा। साथ ही वोकेशनल कोर्सेस को भी अधिक से अधिक विद्यालयों में लाकर पढ़ाई को रोजगारपरक बनाए जाने को कहा गया। ताकि छात्र हाथ में हुनर लेकर स्कूलों से निकले।
इस मौके पर महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा बंशीधर तिवारी ने बताया कि 200 स्कूलों में वोकेशनल कोर्सेस को शुरू किया गया है। उसमें लोकल कामों जैसे बागवानी,कृषि, ब्यूटीशियनआदि कोर्सेस कराये जा रहे हैं। आगे भी 500 स्कूलों में नए कोर्सेज शुरू किए जाने को लेकर मंत्री को अवगत कराया।
उच्च शिक्षा में मंत्री ने कहा कि जो डिग्री कॉलेज और यूनिवर्सिटी है, उनके कैम्पस में ही ये व्यवस्था हो कि वहीं से छात्रों को इच्छानुसार रोजगार का अवसर मिले। कहा कि हम जो पाठ्क्रम बना रहे हैं उसमें स्थानीय वीर पुरुष, शहीद, स्वतन्त्रता आंदोलनकारी, लोकपर्व-,लोक कहानी है,इन् सबको भी पाठ्यक्रम में रखा जाए ताकि जो हमारी आने वाली पीढ़ी है, वो अपनी परंपरा को जान सके। साथ ही आईसीटी यानी जो सूचना प्रौद्योगिकी है उसका अधिक से अधिक शिक्षा के फील्ड में इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
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