November 25, 2024

वैदिक राखी का महत्त्व

*🌹 वैदिक राखी में डाली जाने वाली वस्तुएँ हमारे जीवन को उन्नति की ओर ले जाने वाले संकल्पों को पोषित करती हैं’ ।*

 

*🌹दूर्वा : जैसे दूर्वा का एक अंकुर जमीन में लगाने पर वह हजारों की संख्या में फैल जाती है, वैसे ही ‘हमारे भाई या हितैषी के जीवन में भी सदगुण फैलते जायें, बढ़ते जायें…..’ इस भावना का द्योतक है दूर्वा । दूर्वा गणेश जी की प्रिय है अर्थात् हम जिनको राखी बाँध रहे हैं उनके जीवन में आने वाले विघ्नों का नाश हो जाय ।*

 

*🌹 अक्षत (साबुत चावल) : हमारी भक्ति और श्रद्धा भगवान के, गुरु के चरणों में अक्षत हो, अखण्ड और अटूटट हो, कभी क्षत-विक्षत न हों – यह अक्षत का संकेत है । अक्षत पूर्णता की भावना के प्रतीक हैं। जो कुछ अर्पित किया जाय, पूरी भावना के साथ किया जाय ।*

 

*🌹 केसर या हल्दी : केसर की प्रकृति तेज होती है अर्थात् हम जिनको यह रक्षासूत्र बाँध रहे हैं उनका जीवन तेजस्वी हो । उनका आध्यात्मिक तेज, भक्ति और ज्ञान का तेज बढ़ता जाय । केसर की जगह पर पिसी हल्दी का भी प्रयोग कर सकते हैं। हल्दी पवित्रता व शुभ का प्रतीक है। यह नजरदोष न नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट करती है तथा उत्तम स्वास्थ्य व सम्पन्नता लाती है ।*

 

*🌹चंदन : चन्दन दूसरों को शीतलता और सुगंध देता है । यह इस भावना का द्योतक है कि जिनको हम राखी बाँध रहे हैं, उनके जीवन में सदैव शीतलता बनी रहे, कभी तनाव न हो । उनके द्वारा दूसरों को पवित्रता, सज्जनता व संयम आदि की सुगंध मिलती रहे । उनकी सेवा-सुवास दूर तक फैले ।*

 

*🌹 सरसों : सरसों तीक्ष्ण होती है । इसी प्रकार हम अपने दुर्गुणों का विनाश करने में, समाज द्रोहियों को सबक सिखाने में तीक्ष्ण बनें ।*

 

*🌹अतः यह वैदिक रक्षासूत्र वैदिक संकल्पों से परिपूर्ण होकर सर्व मंगलकारी है । यह रक्षासूत्र बाँधते समय यह श्लोक बोला जाता हैः*

*येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः।*

*तेन त्वां अभिबध्नामि1 रक्षे मा चल मा चल।।*

*🌹 इस मंत्रोच्चारण व शुभ संकल्प सहित वैदिक राखी बहन अपने भाई को, माँ अपने बेटे को, दादी अपने पोते को बाँध सकती है । यही नहीं, शिष्य भी यदि इस वैदिक राखी को अपने सदगुरु को प्रेमसहित अर्पण करता है तो उसकी सब अमंगलों से रक्षा होती है तथा गुरुभक्ति बढ़ती है ।*