हरिद्वार।आज पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की अध्यक्षता में पहाड़ी व्यंजानो के प्रमोशन के उद्देश्य को लेकर मिलन समारोह का आयोजन गुरुमण्डल आश्रम देवपुरा हरिद्वार मे किया गया। कार्क्रम में पहाड़ी ककड़ी, पहाड़ी लोंण व पहाड़ी रायता, जलेबी, खीर, पकोड़ी का जबरदस्त स्वाद के साथ मिलन समारोह आयोजित किया गया।
सामारोह मैं पूर्व मुख्यमंत्री ने मंडुवे के गुणों का बखान करते हुए कहा है कि पूर्व में मंडुवे की कीमत 5 रुपये किलो थी। लेकिन आज उसकी कीमत ₹60 किलो है । उन्होंने मंडुवे की अहमियत और उसके गुणों को विस्तार बताया कि पहाड़ों में ककड़ी का बहुत महत्व है साथ ही उन्होंने पहाड़ों में उगाई जाने वाले कई अनाजों मडुवा, झिंगुरा, गहत, रायता, भट्ट, राजमा, चैलाई के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग पहाड़ से नीचे पलायन कर हरिद्वार में रहते हैं वह पहाड़ी अनाज के व्यंजन बनाकर अपने पड़ोसियों को भी खिलाएं। जिससे कि उनको भी पहाड़ी अनाज से बने व्यंजनों के स्वाद का पता लगे ओर वह भी पहाड़ी अनाज के व्यंजन बनाकर अपने घर में खाये।
देवभूमि उत्तराखंड अपनी अलौकिक सुंदरता के साथ ढेरों स्वादिष्ट व्यंजन जो पारंपरिक रूप से के गाओं में अभी भी चूल्हे की जलती हुई लकड़ी या कोयले पर पकाये जाते है, के लिए भी प्रसिद्ध है। ये व्यंजन पौष्टिक तत्वों से भरपूर होने के साथ स्वास्थ्य का खजाना भी होते हैं। देवभूमि के परंपरागत कृषि में उत्पादित किए जाने वाले मडुवा, झिंगुरा, गहत, रायता, भट्ट, राजमा, चैलाई समेत अनेक अनाज व दाल खाने के स्वाद के साथ शरीर की इम्यूनिटी भी बढ़ाते हैं। आयुर्वेद चिकित्सा विज्ञान में ही नहीं बल्कि आधुनिक चिकित्सा पद्धति में भी पर्वतीय व्यंजनों को एक संतुलित आहार बताया गया है। रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि के लिए मडुवे की रोटी, पहाड़ी रायता, हरी सब्जी, तड़के में जखिया, पिनालू (अरबी) के पत्तों (गाबा) के रोल और टपकिया (सब्जी), पहाड़ी दाल भात के साथ काफली, फ़ानु, झ्वली, चेंसु, रेलु, बड़ी, पल्यो, कोदे, (मंडुआ), मुंगरी (मक्का) की रोटी, आलू थिंचोनी, आलू झोल, झंगोरे का भात, अरसा, भांग की चटनी, भट की चुरकानी, डुबुक, गेहत, झंगोरे की खीर, सवाला, तिल की चटनी, उड़द दाल के बड़े, कंडाली की सब्जी का कोई जोड़ नहीं है।
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