देहरादून। 13 अक्तूबर 2024 को 1o से 11 बजे के बीच देश में कोरोना काल आपदा में पत्रिकारिता करते हुए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन के समय विभिन्न प्रदेशों के 350 से ज्यादा पत्रकारों ने अपना बलिदान दिया है। उस आपदा काल में सरकारी नौकरी करने वाले लोगों को सरकार ने मृत्य होने पर अनुग्रह राशि 5 लाख प्रदान किया है और देश लोकतंत्र के चौथा स्तम्भ प्रेस के लोगों को अछूत समझे जाने के कारण उनको सरकारी अनुग्रह राशि देने से वंचित रखते हुए उनके साथ अमानवीय दूर व्यवहार कर लोकतंत्र में गिरावट लाने से लोकतंत्र के अधिकार को समाप्त करने का प्रयास किया गया है।
मनुष्य रुप में जन्म लेने के लिए देवताओं को तपस्या करने पर भी जन्म नहीं ले सके।हमारा सौभाग्यशाली जीवन जीने के लिए स्वधर्म का पालन करने के लिए पत्रकार के रुप में जन्म लेने का सुअवसर प्राप्त हुआ है।हमारे देश को विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र होने से हम गौरवांवित है।उसको चलते हुए मानवीय मूल्यों की भूल होने से भविष्य के लिए उसे सुधारने की आवश्यकता है।
उसको देश में लागू करने के लिए स्वधर्म का पालन करने वाले श्वेत पत्रकारिता करने वाले राष्ट्र भगत पत्रकार अछूत समझे जाने वाले ही कर सकते हैं।उन्हें लोकतंत्र में विश्वास बनाये रखने के लिए स्वधर्म का पालन हमेशा करते रहना चाहिए।असली राष्ट्र भगत ही अभावों मे जीकर देश सेवा करने में अपना बलिदान देकर योगदान दिया करते हैं । उन्हें ही महान माना जाता है।देश में कोरोना काल में अपने कर्तव्यों का पालन करने वाले देश भक्तों ने अपना राष्ट्रीय कार्यक्रम में महामारी की आपदा में शामिल होने पर अपना बलिदान दिया है ।
हम देव भूमि मे निवास करने वाले लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के होने के नाते हमारा कर्तव्य बनाता है कि हम अपने बलिदानयों राष्ट्र भगत पत्रकार साथियों के लिए हरिद्वार में तर्पण कर अपने साथियों की आत्म शांति के लिए तीर्थ स्थल पर श्रद्धा सुमन अर्पित करें।आज उक्त समय पर पंडित श्रीमान उमाशंकर वाशिंग्टन, आशीष, कृष्ण चंद्र विशिष्ट के मार्गदर्शन में कोरोना काल के बलिदान देने वाले राष्ट्र भत्तों का पिंड दान श्रद्धा, तर्पण कुशा घाट दिया जाएगा।
More Stories
सांसद श्री अजय भट्ट ने केदारनाथ उपचुनाव में जीत पर मुख्यमंत्री व केदारनाथ की विधायक श्रीमती आशा नौटियाल को बधाई और शुभकामनाएं दी
भाजपा प्रत्यासी की ऐतिहासिक जीत के उपलक्ष में विजय जुलूस का आयोजन किया गया
भारत में नॉर्वेजियन राजदूत, माननीय सुश्री माई-एलिन स्टेनर का परमार्थ निकेतन में आगमन