ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने महासप्तमी के पावन अवसर पर देशवासियों को शुभकामनायें देते हुये कहा कि आज का दिन माँ कालरात्रि को समर्पित है जो नकारात्मकता की विनाशक है और सकारात्मकता की संवर्द्धक है। मां दुर्गा ब्रह्मांड में सृजन, संरक्षण और नकारात्मक शक्ति का विनाश करने वाली है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने मां दुर्गा के नौ स्वरूपों का उल्लेख करते हुये कहा कि दुर्गा जी का प्रथम स्वरूप माता शैलपुत्री अर्थात् हिमालय की पुत्री, माता ब्रह्मचारिणी अर्थात् ब्रह्मचर्य का पालन करने वाली, माता चंद्रघंटा जो अपने गले में चन्द्रमा कोे धारण करती हो, माता कुष्मांडा जो ब्रह्मांड की निर्माता हो, स्कंदमाता कार्तिकेय उनकी शक्तियों से उत्पन्न हुये, कात्यायनी, ऋषि कात्यायन की पुत्री, कालरात्रि नकारात्मकता का नाश करने वाली, महागौरी, अर्थात माता पार्वती, सिद्धिदात्री अर्थात् समस्त सिद्धियों और रहस्यवादी शक्तियों से युक्त इन नौ स्वरूपों की नौ दिनों तक पूजा-अर्चना करने से भीतर व बाहर दिव्य शक्तियों का संचार होता है।
मां दुर्गा ने अपने इन दिव्य स्वरूपों से माता पृथ्वी पर अत्याचार करने वाले राक्षसों का वध किया। वह इस सम्पूर्ण सृष्टि और जीवन की दिव्य ऊर्जा है।
स्वामी जी ने बताया कि नवरात्रि, नव व रात्रि अर्थात नूतन प्रकाश प्रदान करने वाली; नूतन सिद्धियों का प्रतीक है नवरात्रि। हमारे ऋषियों ने दिन की अपेक्षा रात्रियों को अत्यधिक सिद्धिरात्रि माना है।
वैदिक शास्त्रों के अनुसार भगवान श्री राम ने लंका पर आक्रमण करने से पहले समुद्र किनारे रामेश्वरम में नौ दिनों तक मां दुर्गा की विशेष पूजा-अर्चना की थी। पौराणिक ग्रंथों में वर्णित है कि महिषासुर नामक राक्षक और माँ दुर्गा के मध्य नौ दिनों तक भयंकर युद्ध हुआ और दसवें दिन माता दुर्गा ने महिषासुर का संहार किया इसलिये ये नौ दिन बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में विजय पर्व के रूप में मनाये जाते हैं।
स्वामी जी ने कहा कि नवरात्रि के ये नौ दिन आत्ममंथन के दिन हैं। आईये आज महासप्तमी के अवसर पर कालरात्रि माता का पूजन कर पूरे ब्रह्माण्ड पर सकारात्मकता का संचार हो ऐसी प्रार्थना करे।
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