सफलता की कहानी जब उत्तराखंड की संस्कृति, परंपराओं और जलवायु जुनून को सरकार की मुख्यमंत्री उद्यमशाला योजना, ग्रामोत्थान योजना, सहित अन्य जनकल्याणकारी योजनाओं का साथ मिला तो पिथौरागढ के हिमांशु जोशी ने मल्टी नेशनल कंपनी को छोड़ पहाड़ी किसानों के साथ मिलकर स्वरोजगार की राह चुनी। नयी सोच के साथ उन्होंने स्थानीय जैविक उत्पादों को बढ़ावा देते हुये प्राइड ऑफ़ हिमालया की शुरुआत की और घरेलू बाजार में व्यापक उपस्थिति दर्ज कराई। प्राइड ऑफ हिमालया पिथौरागढ़ (उत्तराखंड) द्वारा विभिन्न प्रकार की चाय तथा मोटे अनाजों जैसे जौ, मडुआ, तिल आदि पोषक खाद्य पदार्थों के मिश्रण से बनी मिठाई का विक्रय कर स्वरोजगार से स्थानीय किसानों की आजीविका का पहिया चलाता है। वर्तमान में इनके पास चाय के 50 से अधिक प्रकार हैं जिनमें शामिल हैं – फ्लेवर्ड ग्रीन टी, रेड टी, हर्बल टी, औषधीय मूल्य के अनुसार चाय, मसाला चाय, फलों की चाय, आइस टी, आदि। यह उत्तराखंड में सबसे विशिष्ट चाय ब्रांड हैं। इनके पास उत्तराखंड के 4 पहाड़ी जिलों – पिथौरागढ़, अल्मोड़ा, चमोली और चंपावत में लगभग 600 किसानों का नेटवर्क है। यह लगभग सभी प्रमुख ऑनलाइन एग्रीगेटर्स – अमेजन, फ्लिपकार्ट, टाटा 1mg, स्नैप डील और मीशो, बिग बास्केट (आने वाला) में मौजूद हैं। यह अपने वितरक नेटवर्क के माध्यम से सभी प्रमुख शहरों में ऑफलाइन भी मौजूद हैं। जल्द ही यह अपने उत्पाद को अमेरिकी बाजार में भी लॉन्च करने वाले हैं। यह उत्तराखंड में एकमात्र ब्रांड हैं जो “अमेजन लॉन्च पैड साझेदारी” सक्षम है। यह पिथौरागढ़ जिले का पहला ब्रांड है जिसके पास ZED प्रमाण पत्र (MSME सस्टेनेबल ZED) प्रमाणन है। प्राइड ऑफ हिमालया द्वारा सीमांत के किसानों के बच्चों को एक शिक्षित और उज्ज्वल भविष्य देने के लिए इनके राजस्व का एक हिस्सा क्षेत्र के किसानों के बच्चों को शिक्षित करने की दिशा में निर्देशित किया जाता है।
प्राइड ऑफ हिमालया द्वारा हर साल अपने प्लास्टिक और कार्बन पदचिह्न को मापा जाता है तथा यह भारत में क्रमशः प्लास्टिक रीसाइक्लिंग, नवीकरणीय ऊर्जा और ऊर्जा दक्षता पहलों में अपने निवेश के माध्यम से इसकी भरपाई करते हैं।
More Stories
सतगुरु के श्री मुख से निकलने वाले पावन वचन मानो अंधकार में सूर्य के प्रकाश के सामान है:विष्णु दास जी महाराज
अवधूत महाराज की 57 वी पावन पुण्यतिथि बड़े ही धूमधाम हर्षोउल्लास के साथ मनाई
मुख्यमंत्री धामी ने पंजीकृत निर्माण श्रमिकों के आश्रित शिशुओं के लिए प्रदेश में 168 पालना केंद्रों का उद्घाटन किया