💥बालसंत डॉ श्री छैलविहारी जी ने परमार्थ निकेतन आकर स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी का लिया आशीर्वाद
💫स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी की प्रेरणा व आशीर्वाद से अभियान को व्यापक रूप देने का संकल्प
🌺इंन्फ्लुएंसर बुक आफ वर्ल्ड रिकॉर्ड, बालसंत डॉ श्री छैलविहारी जी का नाम दर्ज
☘️पौधे भेंटकर परमार्थ गंगा तट पर बालसंत का किया अभिनन्दन
ऋषिकेश। बालसंत डॉ. श्री छैलविहारी जी परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश आये, उन्होंने स्वामी चिदानंद सरस्वती जी महाराज से आशीर्वाद प्राप्त किया। स्वामी जी ने उनके इस अभियान की सराहना करते हुए कहा कि “युवाओं को ऐसे संतुलित और जागरूक प्रयासों से ही प्रेरणा लेनी चाहिए। यह कार्य केवल वृक्षारोपण ही नहीं, बल्कि भावी पीढ़ियों के जीवन के संरक्षण का भी अभियान है।” परमार्थ गंगा तट पर पौधे भेंटकर ऋषिकुमारों ने बालसंत जी का अभिनंदन किया।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि ऋषियों और तपस्वियों की परंपरा में बीकानेर की पावन भूमि से जन्मे बालसंत डॉ. श्री छैलविहारी जी आज पूरे देश के लिए प्रेरणा स्रोत बने हुए हैं। मात्र 19 वर्ष की आयु से वे पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में अद्भुत योगदान दे रहे हैं। उन्होंने पौधारोपण को एक जनआंदोलन का रूप दिया है, वह अभूतपूर्व है। सात वर्षों से वे सात राज्यों में सात चरणों के अंतर्गत अब तक 7 लाख से अधिक पौधों का वितरण एवं पौधारोपण कर चुके हैं। वास्तव में युवा शक्ति जब पर्यावरण संरक्षण में अपनी ऊर्जा लगाती है तो उसके परिणाम भी विलक्षण होते हैं।
स्वामी जी ने कहा कि यह अभियान केवल संख्याओं का खेल नहीं, बल्कि प्रकृति व धरती माता के प्रति अपनी श्रद्धा, आस्था और आने वाली पीढ़ियों के लिए हरित भविष्य का संकल्प है। बालसंत जी ने 24 पावन ज्योतिर्लिंगों, देश के प्रसिद्ध शक्तिपीठों, सैंकड़ों स्कूल-कॉलेजों, उद्योगों, कारखानों और खाली पड़े क्षेत्रों में पौधारोपण किया कर युवाओं को यह संदेश दिया कि प्रकृति की सेवा ही पूजा है। उन्होंने डोर-टू-डोर जाकर प्रतिष्ठानों एवं आमजन को पौधे भेंट कर पर्यावरण के प्रति जन जागरूक का कार्य भी बड़ी ही विलक्षणता से किया।
उनकी यह अद्भुत साधना और सतत प्रयासों को देखकर इंफ्लुएंसर बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में उनके नाम को दर्ज किया है। यह न केवल व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि समस्त भारत के लिए गौरव का विषय है कि एक युवा संत ने धरती को हरियाली से आच्छादित करने का अत्यंत व्यापक और सशक्त संकल्प लिया है।
बालसंत डॉ. श्री छैलविहारी जी का मानना है कि “वृक्ष ही जीवन हैं। जब तक धरती पर वृक्ष हैं, तभी तक प्राणवायु, जल और जीवन संभव है। यदि प्रत्येक नागरिक वर्ष में कम से कम पाँच पौधे लगाए और उनकी सेवा करे, तो आने वाली पीढ़ियों को स्वच्छ, हरित और सुरक्षित वातावरण प्रदान किया जा सकता है।” उन्होंने कहा कि पूज्य स्वामी जी के पर्यावरण संरक्षण अभियान से प्रेरित होकर उन्होंने पौधा रोपण व वितरण अभियान की शुरूआत की थी।
उनका यह संदेश आज पूरे समाज के लिए दिशा-दर्शक है। वे न केवल एक पर्यावरण प्रहरी हैं, बल्कि एक ऐसे युवा संत हैं, जिन्होंने आधुनिक भारत में आध्यात्मिकता और पर्यावरण चेतना का अद्भुत संगम प्रस्तुत किया है।
बीकानेर मरूधरा के इस युवा बालसंत का पौधारोपण अभियान भारत भूमि के लिए हरियाली का आशीर्वाद है। उनके अनुसार प्रकृति की सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है और वृक्षारोपण सबसे महान यज्ञ है।
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