*🌸योगमाता केको अइकावा जी, म म श्रद्धा माता जी, म म चेतना माता जी, पायलट बाबा आश्रम से पधारी*
*✨स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी से भेंट कर विश्व विख्यात गंगा जी की आरती में किया सहभाग*
*🌺सनातन मूल्यों से युवा पीढ़ी में रोपने पर हुई चर्चा*
ऋषिकेश, 23 नवम्बर। परमार्थ निकेतन में योगमाता केको अइकावा जी, म.म. श्रद्धा माता जी, म.म. चेतना माता जी एवं पायलट बाबा आश्रम के प्रतिनिधियों का आगमन हुआ। उन्होंने परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी से भेंट की और उनके मार्गदर्शन में आयोजित विश्व विख्यात परमार्थ गंगा आरती में सहभाग कर आध्यात्मिक अनुभूति का अनुभव किया।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि पायलट बाबा जी ने अपने आश्रम के माध्यम से साधना, सेवा और समाज कल्याण का अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत किया है। उन्होंने बताया कि यह आश्रम केवल एक आध्यात्मिक केंद्र ही नहीं, बल्कि वह स्थान है जहाँ युवा पीढ़ी को धर्म, संस्कृति और नैतिक मूल्यों से जोड़ने का अवसर मिलता है। स्वामी जी ने कहा कि वृक्ष की छाया उसके गहरे मूल व जडों से जुड़े रहने से प्राप्त होती है, उसी प्रकार व्यक्ति की स्थिरता, संतुलन और सफलता उसके आध्यात्मिक और नैतिक मूल्यों से प्रभावित होती है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने युवाओं को प्रेरित करते हुए कहा कि जीवन में छोटे-छोटे कर्म, समाज सेवा और नियमित आध्यात्मिक अभ्यास के माध्यम से जीवन में स्थिरता और आत्मविश्वास विकसित होता है। उन्होंने यह भी कहा कि आधुनिक जीवन की तीव्र गति और भौतिक चिंताओं के बीच भी अपने सनातन मूल्यों, संस्कारों और धर्म से जुड़े रहना अत्यंत आवश्यक है। “हमारी जड़ें ही हमारे व्यक्तित्व, समाज और राष्ट्र की स्थिरता का आधार हैं। यदि हमारी जड़ें मजबूत होंगी, तो हमारा व्यक्तित्व, समाज और देश भी मजबूती से खड़ा रहेगा।” स्वामी जी ने युवाओं का आह्वान करते हुये कहा कि वे अपने जीवन में आध्यात्मिक अभ्यास और सेवा भाव को प्राथमिकता दें और अपने कर्मों के माध्यम से समाज और राष्ट्र के लिए सकारात्मक योगदान दें।

योगमाता केको अइकावा जी ने इस अवसर पर कहा कि उन्होंने परमार्थ निकेतन में आकर एक अद्वितीय आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त किया। अपने जीवन में धर्म, सेवा और नैतिक मूल्यों को अपनाना केवल व्यक्तिगत विकास ही नहीं, बल्कि समाज और राष्ट्र के निर्माण के लिए भी आवश्यक है।
श्रद्धा माता जी ने कहा कि यदि हम अपने कर्मों और जीवनशैली में सत्कर्मों को अपनाएं, तो हमारे जीवन में स्थिरता, संतुलन और आत्मविश्वास स्वाभाविक रूप से विकसित होता है।

म.म. चेतना माता जी ने कहा कि आधुनिक जीवन की गति और तकनीकी विकास के बावजूद व्यक्ति को अपने मूल्यों और संस्कारों से जुड़ा रहना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि परमार्थ निकेतन और पायलट बाबा आश्रम जैसे केंद्र युवा पीढ़ी को आध्यात्मिक मार्ग पर चलने और जीवन के सही उद्देश्य को समझने का अवसर प्रदान करते हैं। चेतना माता जी ने युवाओं से कहा कि वे केवल बाहरी सफलता और भौतिक उपलब्धियों तक सीमित न रहें, बल्कि अपने भीतर की शक्तियों, नैतिक मूल्यों और आध्यात्मिक ज्ञान को भी विकसित करें।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने योगमाता केको अइकावा जी और पायलट बाबा आश्रम से आये प्रतिनिधियों रूद्राक्ष का पौधा दे कर परमार्थ गंगा तट पर उनका अभिनन्दन किया।

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