September 8, 2024

परमार्थ निकेतन में आयोजित योग फाउंडेशन कोर्स का समापन

💐विश्व के कई देशों से आये योग जिज्ञासुओं को 25 दिवसीय योग फाउंडेशन कोर्स के पश्चात स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और साध्वी भगवती सरस्वती जी ने सर्टिफिकेट्स देते हुये मानवता के कल्याण के लिये योग का दिया संदेश*

ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन में आयोजित योग फाउंडेशन कोर्स के समापन के अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और डिवाइन शक्ति फाउंडेशन की अध्यक्ष साध्वी भगवती सरस्वती जी से योग जिज्ञासुओं ने सर्टिफिकेट्स के साथ-साथ आशीर्वाद भी प्राप्त किया। स्वामी जी ने कहा कि परमार्थ निकेतन में संचालित योग के कोर्स केवल आसनों के अभ्यास तक सीमित नहीं है बल्कि यहां से आप सभी मानवता के लिये योग का संदेश लेकर जाये।

ज्ञात हो कि स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के आशीर्वाद से परमार्थ निकेतन में अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव के साथ ही योग के विभिन्न कोर्स योग्य योगाचार्यों द्वारा संचालित किये जाते हैं। 25 दिवसीय योग फाउंडेशन कोर्स के माध्यम से योग की शिक्षा, आसनों का अभ्यास, शारीरिक रचना व शरीर पर योग का प्रभाव, शरीर व आसनों के मध्य समन्वय, थेरेपी और अनुसंधान के सभी पहलुओं पर प्रशिक्षण दिया जाता है। यहां पर संचालित कक्षाओं का उद्देश्य योग जिज्ञासुओं को योग का वास्तविक दर्शन और आसनों के विषय में गहरी समझ व मूलभूत सिद्धांतों को विकसित करना है। योग फाउंडेशन कोर्स का प्रमुख विजन और मिशन ’’सभी के लिए स्वास्थ्य, सद्भाव और आनंद की संस्कृति विकसित करना है।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि ऋग्वेद में उल्लेख किया गया है कि ’’यस्मादृते न सिध्यति यज्ञोविपश्चितश्न य धीनां योगमिन्वति अर्थात हमारा कोई भी कर्म योग के बिना सिद्ध नहीं होता। आज से लगभग 5000 वर्ष पूर्व ’भगवद्गीता’ में कहा गया है कि योग, मन को समत्व की स्थिति ‘समत्वम् योगमुच्यते, योग कर्मसु कौशलम्’ ’योगस्थः करू कर्माणि’ में पहुंचाता है। प्राचीन काल से ही भारत, शान्ति का अग्रदूत रहा है और उसके पीछे कही न कही योग की शक्ति रही है। योग, केवल शरीर की फिटनेस के लिये नहीं है बल्कि इसे सही प्रक्रिया के साथ किया जाये तो यह शरीर और मन का ब्रह्मांड के साथ सामंजस्य स्थापित करता है। योग, शब्द में वह शक्ति है जो पूरे विश्व को एक सूत्र में बांध सकती है तथा योग, धरती पर विश्व बन्धुत्व को स्थापित करने की सामथ्र्य रखता है।

साध्वी भगवती सरस्वती ने कहा कि योग का सिद्धान्त ही जीवन का सिद्धान्त है। योग हमें बताता है कि हम इस दुनिया में केवल उपभोग करने और जीने के लिए नहीं है बल्कि एक उच्च उद्देश्य की तलाश के लिए है इसलिये योग के माध्यम से प्रकृति के साथ संबंध स्थापित कर उस उद्ेश्य को प्राप्त करने की कोशिश करें यही योग का वास्तविक सिद्धांत है।

योगाचार्य आभा सरस्वती जी ने बताया कि फाउंडेशन कोर्स के माध्यम से योग के बुनियादी सिद्धांतों और मूल की जानकारी प्रदान की जाती है। हम स्वस्थ के लिए योग, प्रकृति व समाज के लिये योग के बुनियादी सिद्धांतों के साथ ही जीवन व जीविका के लिये योग, आरोग्य और स्वास्थ्य संवर्धन के लिए योग तथा समग्र स्वास्थ्य के लिए के सिद्धान्तों से जोड़ने का प्रयास करते हैं। साथ ही योग किस प्रकार हमारा जीवन बदल देता है इस हेतु भी योग जिज्ञासुओं को प्रेरित किया जाता है। यह कोर्स योग की वास्तविक अवधारणाओं को समर्पित है। योग यात्रा शुरू करने में रुचि रखने वाले साधकों के लिए यह एक आदर्श प्रारंभिक पड़ाव है जो उन्हें योग के साथ अपने शरीर, आसन, श्वास की गति व ध्यान के विषय में जागृति प्रदान करता है।

योग जिज्ञासुओं के लिये यह एक परिवर्तनकारी अनुभव है जहां पर वे योग क्या है? आसन क्या है? प्राणायाम क्या है? मुद्रा और बंध क्या है और षट-क्रिया क्या है? तथा ये हमारे शरीर को कैसे स्वच्छ करती है, इसकी व्याख्या और अभ्यास, लाभ और सावधानियों के विषय में जानकारी प्रदान की जाती है।

जर्मनी से आयी थॉमस कुर्जॉव्स्की, आर संतोष, जीएस वरप्रसाद, यल्ला राजेश्वर रेड्डी ने फाउंडेशन योग कोर्स के दौरान प्राप्त की जानकारी, सत्संग, पूज्य स्वामी के गंगा आरती के माध्यम से दिये जाने वाले संदेशों व आश्रम के सात्विक वातावरण की भूरि-भूरि प्रशंसा की।