November 22, 2024

प्राचीन हनुमान मन्दिर कनाॅट प्लेस के प्रांगण में सुन्दर कांड के पाठ का आयोजन

*🌸प्राचीन हनुमान मन्दिर कनाॅट प्लेस के प्रांगण में सुन्दर कांड के पाठ का आयोजन*

*💥पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने किया सहभाग*

*☘️यमुना जी की स्वच्छता हेेतु किया प्रेरित*

*🍃सुन्दरकांड की स्मृति में हनुमान मन्दिर प्रांगण में रोपित किया रूद्राक्ष का पौधा*

ऋषिकेश, 27 अगस्त। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने सेस फाउंडेशन द्वारा कनाॅट प्लेस दिल्ली, प्राचीन हनुमान मन्दिर में आयोजित दिव्य व भव्य सुंदर कांड पाठ में सहभाग कर प्रेरक उद्बोधन दिया।

सुंदर कांड रामचरितमानस का पांचवां कांड है, जिसमें हनुमान जी की लंका यात्रा, सीता माता की खोज और रावण के दरबार में हनुमान जी की वीरता, भक्ति और सेवा का अद्भुत वर्णन है। इसमें हनुमान जी के सुंदर कार्यों और गुणों का वर्णन है इसलिये इसे सुन्दरकांड कहा जाता है। सुन्दरकांड के पाठ से मनोबल और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।

सुंदर कांड के पाठ से भक्ति और श्रद्धा की भावना प्रबल होती है। हनुमान जी की अपने आराध्य के प्रति भक्ति और सेवा हमें सिखाती है कि सच्ची भक्ति और समर्पण से किसी भी कठिनाई को पार किया जा सकता है। हनुमान जी की वीरता और साहस का वर्णन हमें यह सिखाता है कि जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना धैर्य और साहस के साथ करना चाहिए। यह हमें आत्मविश्वास और मानसिक शक्ति प्रदान करता है। सुंदर कांड के नियमित पाठ से मानसिक शांति और सकारात्मकता में वृद्धि होती है तथा तनाव और चिंता को कम कर मन को शांति प्राप्त होती है।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि सुंदर कांड का पाठ न केवल व्यक्तिगत जीवन में बल्कि पर्यावरण पर भी सकारात्मक प्रभाव डालता है। धार्मिक और आध्यात्मिक गतिविधियाँ जैसे सुंदर कांड का पाठ, सामूहिक रूप से किए जाने से वातावरण शुद्धता और सकारात्मक ऊर्जा से युक्त हो जाता हैं। सुंदर कांड का पाठ और भजन-कीर्तन से उत्पन्न ध्वनि तरंगें वातावरण को शुद्ध करती हैं और इससे मानसिक शांति और सकारात्मकता में वृद्धि होती है। सुंदर कांड के पाठ के दौरान सामूहिक प्रयास और सामाजिक एकता को बढ़ावा मिलता है।

इस अवसर पर स्वामी चिदानंद सरस्वती जी ने सभी को पर्यावरण व नदियों के प्रति जागरूक करते हुये कहा कि कल हम सभी ने श्री कृष्ण जन्माष्टमी मनायी, प्रभु की पूजा, अर्चना कर भोग लगाया परन्तु कान्हा जी को सबसे बड़ा भोग हम यमुना जी को शुद्ध व पवित्र कर लगा सकते हैं। यमुना जी तो ठाकुर जी की आत्मा है।

यमुना जी और गंगा जी के दोआब की पुण्यभूमि में ही हमारी सनातन संस्कृति का विकास हुआ था। नदियों के तटों पर ही अनेक सभ्यताओं का विकास हुआ हैं। नदियाँ हमारी आस्था, आध्यात्मिकता और सकारात्मकता में वृद्धि करती हैं। हिन्दू धर्म में तो जन्म से लेकर जीवन की अंतिम यात्रा भी नदियों की गोद में ही पूरी होती है। प्रकृति और नदियां ईश्वर का एक अनमोल खजाना है इसलिये इन्हें सहेजने के लिये सशक्त कदम उठाने होंगे।

यमुना जी के तटों पर आरती का शुभारम्भ करने की प्रमुख वजह़ यही है कि दिल्ली से लगे 22 कि.मी. लम्बे नदी मार्ग के जल की गुणवत्ता में सुधार करना और इसके लिये आस्था एवं आध्यात्मिकता के आधार पर व्यवहार परिवर्तन करना अत्यंत आवश्यक है।

इस अवसर पर भाजपा के माननीय राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री बैजयंत जय पांडा जी, दिल्ली भाजपा अध्यक्ष श्री वीरेंद्र सचदेवा जी, माननीय केंद्रीय राज्य मंत्री श्री हर्ष मल्होत्रा जी, माननीय सांसद सुश्री बांसुरी स्वराज, आचार्य दिलीप क्षेत्री, आचार्य दीपक शर्मा, आचार्य अरविंद, परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमार और अनेक गणमान्य अतिथियों ने सहभाग किया। इस अद्भुत कार्यक्रम का आयोजन अध्यक्ष सेस फाउंडेशन श्री शक्ति बक्शी द्वारा आयोजित किया गया।