November 25, 2024

गुरुकुल कांगड़ी द्वारा संचालित कन्या गुरूकुल परिसर की छात्राओं ने की दी धरना प्रदर्शन एवं आंदोलन की चेतावनी

हरिद्वार। गुरूकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के कन्या गुरूकुल परिसर की छात्राओं ने विवि के मुख्य परिसर में सह शिक्षा शुरू किए जाने की मांग की है। छात्राओं मीनाक्षी, श्वाति और रूद्रांशी ने मांग पूरी नहीं होने पर धरना प्रदर्शन और आंदोलन की चेतावनी भी दी है। प्रैस क्लब में पत्रकारों से वार्ता करते हुए छात्राओं ने लैंगिक भेदभाव का आरोप लगाते हुए कहा कि कन्या गुरूकुल परिसर में मुख्य परिसर के समान सुविधाएं नहीं दी जा रही है। क्लासरूम की हालत भी खराब है। उनमें काई जमी हुई है। लाईब्रेरी में केवल हिन्दी माध्यम की पुस्तकें ही पुस्तकें उपलब्ध हैं। जिससे अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई करने वाली छात्राओं को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। छात्राओं को शैक्षिक टूर पर भी नहीं ले जाया जाता है। ऑडिटोरियम व अन्य सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं करायी जा रही हैं। सुरक्षा के भी पर्याप्त इंतजाम नहीं है। छात्राओं ने कहा कि यूजीसी के नियमों के अनुसार विवि के मुख्य परिसर में छात्र-छात्राओं की कक्षाएं एक साथ चलायी जाएं। लैंगिक भेदभाव खत्म किया जाए। सभी को समान सुविधाएं दी जाएं। छात्राओं का कहना है कि यूजीसी नियमों के अनुसार जब विवि के वीसी, डीन व अन्य पदों पर महिलाओं को नियुक्त किया जा रहा है।

आरोप है कि मुख्य परिसर गुरुकुल कांगड़ी हरिद्वार में छात्राओं के एडमिशन किये जाते हैं लेकिन उनको यह नही बताया जाता है कि आपकी क्लास देहरादून कैंपस में चलेंगे जब एडमिशन हो जाता है तो उसके 2 माह बाद बताया जाता है कि आपकी क्लास देहरादून कैंपस में चलेंगे। इस बारे में पूछा गया तो कहा जाता है कि यहाँ हरिद्वार कैंपस में छात्रों की क्लास चलेंगी छात्राओ की नही। जिससे मजबूरन एडमिशन निरस्त कराना पड़ता है  हरिद्वार से वह ज्वालापुर पढ़ने के लिए क्यों जाएंगे। 

पीएचडी कर रही छात्राओं को भी मुख्य परिसर में पढ़ने की अनुमति है, तो अन्य छात्राओं को भी छात्रों के साथ मुख्य परिसर में पढ़ने की सुविधा दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि मांगों के लिए वे धरना प्रदर्शन, आंदोलन के साथ भूख हड़ताल करने से भी पीछे नहीं हटेंगी। प्रैसवार्ता में मौजूद रहे एबीवीपी नेता देव सिंह और विशाल भारद्वाज ने छात्राओं की मांगों की समर्थन करते हुए मांगों को पूरा कराने के लिए हरस्तर पर संघर्ष किया जाएगा।

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