हरिद्वार, 30 अगस्त। पतंजलि विश्वविद्यालय के योग विज्ञान विभाग के आयोजकत्व तथा यू.जी.सी. के अन्तर्विश्वविद्यालयीय योग विज्ञान केन्द्र के प्रयोजकत्व में ‘प्राणमयकोशः संरक्षण, संवर्धन एवं चिकित्सा’ विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का शुभारंभ विद्वतजनों की गरिमामयी उपस्थिति में वैदिक मंत्रों के साथ किया गया। कार्यशाला के आयोजन सचिव एवं योग विज्ञान संकायाध्यक्ष डॉ. ओम नारायण तिवारी ने कार्यशाला की विस्तृत रूपरेखा प्रस्तुत की एवं लब्ध प्रतिष्ठित विद्वानों का परिचय कराया।
कार्यशाला में मुख्य अतिथि एवं कैवल्यधाम, लोनावाला के अध्यक्ष डॉ. ओम प्रकाश तिवारी ने बताया कि प्राण के स्थिर होने से चित्त स्थिर हो जाता है, अतः प्राणायाम का अभ्यास आवश्यक है। प्राणों के नियमन व नियंत्रण का कार्य प्राणमय कोश के बिना संभव नहीं है। इस दिशा में डॉ. तिवारी ने पतंजलि विश्वविद्यालय के अध्यक्ष स्वामी रामदेव एवं कुलपति आचार्य बालकृष्ण के मार्गदर्शन में पतंजलि द्वारा किए गए भगीरथ प्रयास की प्रशंसा की। इस अवसर पर डॉ. तिवारी को योग के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए प्रशस्ति-पत्र भेंट कर सम्मानित किया गया।
इसी क्रम में विशिष्ट अतिथि एवं उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. दिनेश चन्द्र शास्त्री ने विभिन्न पौराणिक प्रसंगों के माध्यम से प्राण विद्या पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि प्राण शरीर का महत्वपूर्ण तत्व है और बिना सविता की उपासना के, गायत्री की साधना के प्राण साधना नहीं की जा सकती है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अन्तर्विश्वविद्यालयीय योग विज्ञान केन्द्र के निदेशक प्रो. अविनाश चन्द्र पाण्डेय ने नई शिक्षा नीति में योग के महत्व एवं मातृभाषा में प्रारंभिक शिक्षा विषय पर विस्तृत व्याख्यान दिया। प्राणमय कोश के संवर्धन के क्षेत्र में पतंजलि द्वारा किए गए साक्ष्य-आधारित कार्यों को उन्होंने अनुकरणीय बताया।
इस अवसर पर एच.एन.बी. मेडिकल विश्वविद्यालय, देहरादून के कुलपति प्रो. एम.एल. भट्ट ने अपने सम्बोधन में विद्या एवं अविद्या के सम्प्रत्यय पर विस्तार से चर्चा की तथा प्राण की महिमा पर प्रकाश डाला। आयुष मंत्रालय में रिसर्च ऑफिसर डॉ. राम नारायण मिश्रा ने प्रतिभागियों से प्राणमय कोश के संवर्धन की यौगिक तकनीक की जानकारी साझा की।
पतंजलि हर्बल रिसर्च डिविजन की प्रमुख डॉ. वेदप्रिया आर्या ने पतंजलि अनुसंधान संस्थान द्वारा विविध प्रकार के प्राणायामों पर हुए अनुसंधान परिणामों की विषद् चर्चा की।
प्रातःकालीन सत्र में प्राणविद्या कार्यशाला एवं वैदिक यज्ञ के पश्चात पोस्टर एवं प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया जिसमें प्रतिभागियों को प्रमाण-पत्र देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. आरती पाल ने किया।
कार्यशाला में प्रति-कुलपति प्रो. मयंक अग्रवाल एवं डॉ. सत्येंद्र मित्तल, कुलसचिव डॉ. प्रवीण पुनिया, डॉ. वी.के. कटियार, कुलानुशासक स्वामी आर्षदेव, स्वामी परमार्थदेव, परीक्षा नियंत्रक डॉ. ए.के. सिंह, डॉ. बिपिन दूबे, डॉ. तोरण, डॉ. रोमेश शर्मा, डॉ. सांवर सिंह, डॉ. नागराज, डॉ. संगीता, डॉ. विनय, डॉ. निवेदिता सहित विश्वविद्यालय के आचार्य, शोधार्थी एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।
More Stories
वन मंत्री श्री उनियाल ने बाघ (Tiger) बाड़े का उद्घाटन एवं बाघों को पर्यटकों के अवलोकनार्थ खोले जाने का विधिवत शुभारंभ किया गया
छन छन बाबा तथा असहाय व्यक्तियों की सुध लेगा जिला प्रशासन: जिलाधिकारी
जिलाधिकारी ने सिंचाई विभाग द्वारा किए जा रहे समस्त कार्यों का स्थलीय निरीक्षण किया