*🌸स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और साध्वी भगवती सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में विश्व विख्यात गंगा जी की आरती में किया सहभाग*
*🌺स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी की दक्षिण अफ्रीका यात्रा की स्मृतियों का स्मरण कर हुये आनंदित*
*☘️हिमालय की हरित भेंट रूद्राक्ष का पौधा किया भेंट*
*💐रिपब्लिक ऑफ साउथ अफ्रीका के उच्चायुक्त प्रोफेसर श्री अनिल सुखलाल सिंह जी की परमार्थ निकेतन यात्रा-भारतीय संस्कृति व संस्कारों के प्रति गहरी श्रद्धा*
*✨भारत और दक्षिण अफ्रिका सदियों पुरानी सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहरों से जुड़े हुए*
*🙏🏾स्वामी चिदानन्द सरस्वती*
*✨भारत एक सांस्कृतिक मार्गदर्शक*
*🙏🏾अनिल सुकलाल सिंह*
ऋषिकेश, 30 दिसंबर। रिपब्लिक ऑफ साउथ अफ्रीका के उच्चायुक्त प्रोफेसर श्री अनिल सुखलाल सिंह अपनी पत्नी और मित्रों के साथ परमार्थ निकेतन आश्रम में एक विशेष आध्यात्मिक और सांस्कृतिक यात्रा पर पहुंचे। इस दौरान उन्होंने स्वामी चिदानंद सरस्वती जी और साध्वी भगवती सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में गंगा आरती में सहभाग किया तथा स्वामी जी की दक्षिण अफ्रीका यात्रा की स्मृतियों को याद करते हुए आनंदित हुए।
श्री सुखलाल सिंह जी ने कहा कि पूज्य स्वामी जी की साउथ अफ्रीका की यात्रा ने भारतीय संस्कृति, संस्कारों, और भारत-दक्षिण अफ्रीका के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों को और भी गहरा किया है।
परमार्थ निकेतन में अपनी यात्रा के दौरान, श्री अनिल सुखलाल सिंह जी ने स्वामी चिदानंद सरस्वती जी की दक्षिण अफ्रीका यात्रा की यादें का स्मरण करते हुये कहा कि स्वामी जी ने दक्षिण अफ्रीका में भारतीय संस्कृति और संस्कारों का अलख जगाया। उनका आना वहां के भारतीय समुदाय और स्थानीय लोगों के लिए अत्यधिक प्रेरणादायक था। श्री सुखलाल सिंह ने विशेष रूप से स्वामी जी के पर्यावरण संरक्षण, शिक्षा और सामाजिक समरसता के कार्यों का स्मरण करते हुये कहा कि दक्षिण अफ्रीका में भारतीय समुदाय के बीच एक नई चेतना का विकास हुआ।
स्वामी जी की दक्षिण अफ्रीका यात्रा न केवल धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण थी, बल्कि वहाँ की सामाजिक और सांस्कृतिक धारा को भी प्रभावित किया। स्वामी जी ने दक्षिण अफ्रीका के लोगों को भारतीय संस्कृति और संस्कारों के साथ ही अपनी विरासत को सहेजने का संदेश दिया। श्री सुखलाल सिंह ने इस बात को जोर देकर कहा कि स्वामी जी के प्रयासों ने दोनों देशों के बीच रिश्तों को प्रगाढ़ किया है और भारत को एक सांस्कृतिक मार्गदर्शक के रूप में स्थापित किया है।
स्वामी चिदानंद सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में श्री अनिल सुखलाल सिंह जी ने विश्व प्रसिद्ध गंगा आरती में सहभाग किया, जो भारतीय संस्कृति और धर्म का एक अभिन्न हिस्सा है। स्वामी चिदानंद सरस्वती जी ने श्री अनिल सुखलाल सिंह को हिमालय की हरित भेंट, रूद्राक्ष का पौधा आशीर्वाद स्वरूप भेंट किया। उन्होंने रूद्राक्ष का पौधा स्वीकार करते हुये कहा कि यह केवल एक पौधा नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता का प्रतीक है जो हमारे देश में पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।
श्री अनिल सुखलाल सिंह जी ने कहा कि परमार्थ निकेतन केवल एक आश्रम नहीं, बल्कि एक संस्कारों का केंद्र है, जो भारत सहित विश्व में समता, समरसता, और सद्भाव का संदेश प्रसारित कर रहा है। यह न केवल धार्मिक, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि परमार्थ निकेतन में गंगा जी के पवित्र जल की धारा के साथ-साथ संस्कारों की धारा भी प्रवाहित होती है।
स्वामी चिदानंद सरस्वती जी ने इस अवसर पर भारत और दक्षिण अफ्रिका के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर देते हुये कहा कि दोनों देशों के बीच कई साझे मुद्दे हैं, दोनों ही राष्ट्र पर्यावरण संरक्षण, शिक्षा, और सामाजिक कल्याण, आदि विषयों पर मिलकर काम करें तो पूरी दुनिया में इसका प्रभाव दिखायी देगा। भारत और दक्षिण अफ्रिका के रिश्ते सदियों पुरानी सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहरों से जुड़े हुए हैं। दोनों देशों के बीच सहयोग और साझेदारी को और मजबूत किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि भारत और दक्षिण अफ्रिका का संबंध सिर्फ राजनीतिक और व्यापारिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और आध्यात्मिक रूप से भी बहुत गहरे है।
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