*🩺वर्ल्ड हेल्थ डे के अवसर पर परमार्थ निकेतन में तीन दिवसीय निःशुल्क मोतियाबिंद ऑपरेशन शिविर का आयोजन*
*✨महामंडलेश्वर स्वामी असंगानन्द सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में चिकित्सकों की टीम में दीप प्रज्वलित कर मोतियाबिंद आपरेशन शिविर का किया उद्घाटन*
*💥स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने अमेरिका से भेजे संदेश में समग्र स्वास्थ्य के महत्व पर दिया विशेष बल*
*💐सच्चा स्वास्थ्य वही है जिसमें तन, मन और आत्मा तीनों संतुलित हों*
*✨संतुलन ही समग्र स्वास्थ्य है और हर व्यक्ति का अधिकार भी*
*🙏🏾स्वामी चिदानन्द सरस्वती*
ऋषिकेश। विश्व स्वास्थ्य दिवस 2025 के अवसर पर परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश में तीन दिवसीय निःशुल्क मोतियाबिंद ऑपरेशन शिविर का आयोजन किया गया। इस चिकित्सा सेवा शिविर में निःशुल्क नेत्र जांच, परामर्श, औषधि वितरण, मोतियाबिंद के ऑपरेशन, व रोगियों व उनके साथ आये परिवार जनों के लिये रहने व भोजन की उत्तम व्यवस्थायें की गई। शिविर का आयोजन परमार्थ निकेतन, डिवाइन शक्ति फाउंडेशन और अन्य संस्थाओं के सहयोग किया गया।
विश्व स्वास्थ्य दिवस 2025 की थीम मेरा स्वास्थ्य, मेरा अधिकार को केंद्र में रखकर परमार्थ निकेतन ने यह संदेश दिया कि हर व्यक्ति को सुलभ, गुणवत्तापूर्ण और सस्ती स्वास्थ्य सेवाएं प्राप्त करना उसका मौलिक अधिकार है। बिना भेदभाव के सभी तक स्वास्थ्य सेवाओं, स्वच्छ जल, पोषण, साफ पर्यावरण, शिक्षा तक सब की पहुँच होना नितांत आवश्यक है।
महामंडलेश्वर स्वामी असंगानन्द सरस्वती जी ने कहा कि स्वास्थ्य को केवल दवाइयों तक सीमित न रखते हुए, इसे एक समग्र दृष्टिकोण से देखना होगा, जिसमें योग, ध्यान, स्वच्छता, पौष्टिक आहार और मानसिक संतुलन शामिल हैं। उन्होंने मुम्बई, पुणे, बरेली और अन्य राज्यों से आये नेत्र चिकित्सकों को धन्यवाद देते हुये कहा कि चिकित्सा सेवा को परमात्मा की सेवा मानकर करना चाहिये। उन्होंने कहा कि आपके सामने रोगी नहीं बल्कि उस रूप में परमात्मा स्वयं खड़ा है इस रूप से सेवा करना ही सच्ची सेवा है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि स्वस्थ जीवन का मंत्र शरीर, मन और आत्मा का संतुलन है। स्वास्थ्य केवल रोगमुक्त रहने का नाम नहीं है, बल्कि यह शरीर की शक्ति, मन की शांति और आत्मा के संतुलन का समग्र अनुभव है। एक पूर्ण स्वस्थ जीवन वही है जिसमें व्यक्ति ऊर्जावान शरीर, स्थिर मन और प्रबुद्ध चेतना के साथ जीवन जिये।
आज की भागदौड़ भरी जीवनशैली में हमें केवल शारीरिक तंदुरुस्ती पर ही नहीं, बल्कि मानसिक एवं आध्यात्मिक स्वास्थ्य पर भी विशेष ध्यान देना होगा। योग हमें शरीर और मन के बीच सामंजस्य सिखाता है, ध्यान आंतरिक स्थिरता प्रदान करता है, और आयुर्वेद प्रकृति के अनुरूप जीवन जीने की कला सिखाता है।
स्वामी जी ने कहा कि योग के माध्यम से हम हर दिन को आरोग्य का उत्सव बना सकते है। सुबह योग से शुरुआत करें, ध्यान के माध्यम से शांति प्राप्त करें, और आयुर्वेदिक जीवनशैली को अपनाकर स्वयं को प्रकृति के निकट लाएं।
स्वामी जी ने कहा कि एक स्वस्थ नागरिक ही एक समृद्ध राष्ट्र की नींव होता है। आइए, हम सब मिलकर संकल्प लें कि स्वस्थ भारत, समृद्ध भारत की दिशा में आगे बढ़ें, जहाँ हर व्यक्ति न केवल शरीर से स्वस्थ, बल्कि सम्पूर्ण रूप से संतुलित हो।
मुम्बई से आये वरिष्ठ नेत्र चिकित्सक डा मुस्तफा ने कहा कि उनकी टीम विगत 24 वर्षों से परमार्थ निकेतन के पवित्र वातावरण में सेवा प्रदान करने के लिये आ रही हैं। उन्होंने स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी व परमार्थ निकेतन का आभार व्यक्त करते हुये कहा कि न केवल हमें बल्कि विश्व के अनेक देशों के चिकित्सकों को आमंत्रित कर सेवा का एक अद्भुत मंच प्रदान करते है। परमार्थ निकेतन में स्वास्थ्य सेवा केवल सुविधा नहीं बल्कि सेवा के रूप में प्रदान की जाती है। यहां आकर हम दूसरों को स्वस्थ करने के साथ स्वयं भी स्वस्थ व ऊर्जावान होकर लौटते है। परमार्थ निकेतन आकर वास्तव में समग्र स्वास्थ्य अपने आप प्राप्त हो जाता है।
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