May 9, 2025

परमार्थ निकेतन में शिवकथा ज्ञानयज्ञ का शुभारम्भ

*✨परमार्थ निकेतन में शिवकथा ज्ञानयज्ञ का शुभारम्भ*

*💥स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में कथा व्यास श्री राम भारती जी और सन्यास आश्रम, बुलढ़ाना, महाराष्ट्र से आये भक्तों व साधकों ने दीप प्रज्वलित कर शिवकथा का किया शुभारम्भ*

ऋषिकेश, 8 मई। माँ गंगा के पावन तट पर स्थित दिव्य आध्यात्मिक तीर्थस्थल परमार्थ निकेतन में आज पावन शिवकथा ज्ञानयज्ञ का भव्य शुभारम्भ हुआ। इस विशेष अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में कथा व्यास श्री राम भारती जी एवं सन्यास आश्रम, बुलढ़ाना (महाराष्ट्र) से पधारे सैकड़ों श्रद्धालु भक्तों व साधकों ने दीप प्रज्वलित कर शिवकथा का शुभारम्भ किया।

भगवान शिव के जीवन, तत्त्व, और शिक्षाओं को समर्पित यह कथा आत्मशुद्धि, संयम और सेवा का संदेश देने वाली है। आज की कथा में कथाव्यास श्री राम भारती जी ने भगवान शिव के स्वरूप, उनके वैराग्य, करुणा और ब्रह्मज्ञान की महिमा का अद्भुत वर्णन किया।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने इस अवसर पर श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा, शिव का अर्थ है कल्याण और शिवकथा का श्रवण जीवन में कल्याणकारी परिवर्तन लाता है। शिव हमें सिखाते हैं कि कैसे हम भीतर के विष (काम, क्रोध, लोभ) को नीलकंठ बनकर धारण करें और समाज के लिए मंगलकारी बनें।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि भगवान शिव का परिवार विविधता में एकता का अनुपम उदाहरण है। स्वयं शिवजी समाधिस्थ योगी हैं, माता पार्वती गृहस्थ जीवन की आदर्श हैं, भगवान गणेश बुद्धि और विवेक के प्रतीक हैं तो भगवान कार्तिकेय वीरता और नेतृत्व का संदेश देते हैं।

भगवान शिव के परिवार में प्रत्येक सदस्य के वाहन भिन्न है, शिवजी का वाहन नंदी बैल है, माता पार्वती सिंह पर सवारी करती हैं, गणेशजी मूषक पर और कार्तिकेयजी मोर पर, यह प्रतीकात्मक रूप से दर्शाता है कि शक्तिशाली सिंह, सरल बैल, छोटा सा मूषक और मोर सब भिन्न स्वभाव और प्रकृति के प्राणी हैं परन्तु सभी एक ही छत के नीचे समरसता से रहते हैं जो यह शिक्षा देता है कि एकता का मूल आधार प्रेम, स्वीकार्यता और आपसी सम्मान है। जब दिलों में मेल होता है तो विविधता में भी सामंजस्य सम्भव होता है।

एक ही परिवार में, एक ही समाज में, अलग-अलग स्वभाव, रुचियाँ और दृष्टिकोण होने पर भी हम सब मिलकर प्रेम, सहयोग और सम्मान से रह सकते हैं। विविधता विरोध नहीं है, बल्कि समरसता का अवसर है। शिव परिवार का यह आदर्श हमें सिखाता है कि जब प्रेम और समर्पण होता है, तो भिन्नताएँ बाधा नहीं बनतीं, बल्कि एकता की सुंदर झलक बन जाती हैं।

कथा व्यास श्री राम भारती जी ने अपने वक्तव्य में भगवान शिव के विविध रूपों, अर्धनारीश्वर, नटराज, महाकाल और भोलानाथ की भावनात्मक व्याख्या की। उन्होंने बताया कि भगवान शिव विश्व को यह संदेश देते हैं कि वैराग्य और प्रेम, तपस्या और करुणा, ज्ञान और सेवा सबका समन्वय ही सच्चा शिवत्व है।

स्वामी जी ने सभी भक्तों को जल संरक्षण, स्वच्छता और सेवा को अपने जीवन में अपनाने का संकल्प कराते हुये कहा कि कथा तभी सार्थक होती है जब वह केवल श्रवण तक सीमित न रह जाए, बल्कि जीवन की दिशा और दशा को भी रूपांतरित करे इसलिये आप सभी कथा की याद में अपने – अपने गंतव्यों पर जाकर कम से कम एक-एक पौधे का रोपण अवश्य करें।

स्वामी जी ने कथा व्यास श्री रामभारती जी को हिमालय की हरित भेंट रूद्राक्ष का पौधा भेंट कर उनका अभिनन्दन किया।

सन्यास आश्रम, बुलढाना से पधारे भक्तों ने परमार्थ निकेतन के दिव्य वातावरण में आयोजित इस शिवकथा को जीवन का सौभाग्य बताया। कथा यजमान श्री चन्द्रशेखर जी और श्रीमती अनुराधा जी महाराष्ट्र के अपने गांव से 600 से अधिक श्रद्धालुओं को इस भगवान नीलकंठ व माँ गंगा की इस दिव्य भूमि पर आमंत्रित कर पांच दिवसीय शिवकथा, मां गंगा जी की आरती और इस दिव्य परमार्थ आश्रम के दर्शन करा रहे हैं। महाराष्ट्र से आये इस दल में अनेक श्रद्धालु ऐसे हैं जो पहली बार उत्तराखंड, ऋषिकेश की धरती पर आये हैं और इस दिव्यता को आत्मसात कर रहे हैं और स्वयं को धन्य व गद्गद महसूस कर रहे हैं।