*** शिला वैदिक आयुर्वेदिक संस्थान में भारत के ऋषि मुनियों और वैद्यों के नुस्खे पर आधारित औषधि उपलब्ध
हरिद्वार। शिला वैदिक आयुर्वेदिक चिकित्सा संस्थान भारतीय ऋषि-मुनियों और वैद्यों के नुस्खे पर आधारित आयुर्वेदिक औषधि का निर्माण कर रहा है। जिसका सेवन करने से मरीजों को शर्तियां लाभ हो रहा है। आज देश विदेश से मरीज उपचार के लिए संस्थान द्वारा निर्मित औषधियों का सेवन कर लाभ प्राप्त कर रहे हैं। उक्त विचार
शिला वैदिक आयुर्वेदिक चिकित्सा संस्थान के संस्थापक स्वामी रामदास उदासीन ने व्यक्त किए।
प्रेस को जारी बयान में स्वामी रामदास उदासीन ने कहा कि बीएचयू से आयुर्वेद रत्न कुछ उपाधि हासिल करने के उपरांत लगातार 15 वर्षों तक तमाम ऋषि-मुनियों और वैद्यों के नुस्खे एकत्र कर आयुर्वेदिक औषधियां तैयार की है। जों आमजन के उपचार के लिए समर्पित है।
मधुमेह रोग के बढ़ते प्रभाव पर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए स्वामी रामदास ने बताया कि आयुर्वेद के अनुसार स्त्रियों में 18 प्रकार का प्रदर और पुरूषों में 22 प्रकार का प्रमेह होता है। इन 22 प्रकार का प्रमेह बिगड़ने पर ही मधुमेह का अटैक होता है। अनियमित दिनचर्या और उचित खान- पान के अभाव में व्यक्ति का पाचनतंत्र कम कमजोर हो जाता है और मोटाबलिज्म की कमी इंसुलिन बनना बंद हो जाता है। ऐसा होने पर ही व्यक्ति मधुमेह की चपेट में आ जाता है। स्वामी रामदास ने कहा उन्होंने ऐसी दवाइयां तैयार की है जिसका सेवन करने पर शूगर को नियंत्रित किया जा सकता है और प्रतिदिन गोली खाने की समस्या से छुटकारा भी। उच्च रक्तचाप के सवाल पर स्वामी रामदास ने कहा रोजमर्रा की जिंदगी में लोगों में तनाव ज्यादा बढ़ गया। पढ़ाई , रोजगार, व्यापार, परिवारिक क्लेश, आगे बढ़ने की होड़ के चलते लोग उच्च रक्तचाप का शिकार हो रहे हैं। ऐसे मरीजों के लिए भी आयुर्वेदिक औषधि तैयार हैं। तीन महीने तक लगातार सेवन करने से रक्तचाप की समस्या से छुटकारा मिल जाता है।
आज देश- विदेश से मरीज उनके पास उपचार के लिए पहुंच रहे हैं। उन्होंने कहा चेतन देव कुटिया, कनखल में प्रातः 9 बजे से 12 बजे और शाम को 4 बजे से 6 तक मरीजों की सेवा के लिए उपलब्ध रहते है।
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