July 19, 2025

परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, सड़क परिवहन, राजमार्ग व जहाजरानी मंत्री, भारत सरकार, श्री नितिन गडकरी जी और पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेन्द्र यादव जी की दिल्ली में हुई विशेष भेंटवार्ता

💥*परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, सड़क परिवहन, राजमार्ग व जहाजरानी मंत्री, भारत सरकार, श्री नितिन गडकरी जी और पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेन्द्र यादव जी की दिल्ली में हुई विशेष भेंटवार्ता*

*✨देहरादून से दिल्ली तक की यात्रा और नेपाली फार्म से लेकर तपोवन तक की यात्रा को कम समय में सहज व सुगम बनाने के लिये सड़क मार्ग को बेहतर बनाने हेतु चर्चा हुई*

*💐देहरादून से दिल्ली तक सड़क निर्माण चार माह में और नेपाली फार्म से लेकर तपोवन तक 1 वर्ष की अवधि में बन कर तैयार करने की योजना*

*🌺हरिद्वार से लेकर ऋषिकेश के बीच मेट्रो चलाये जाने पर भी हुई चर्चा ताकि यहां आने वाले पर्यटकों व तीर्थयात्रियों की यात्रा सहज व सुगम होने साथ ही प्रदूषण से मुक्त हो*

*🌸माननीय श्री नितिन गड़कर जी ने जिस उत्साह व समर्पण के साथ पूरे देश में सड़कों को जाल बिछाया है उस हेतु स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने उनका अभिनन्दन किया*

*💥स्वामी जी ने कहा कि पहले लोग हनुमान चालीसा पढ़ते थे और अब पूरा विश्व हिन्दुस्तान चालीसा पढ़ रहा है*

*💥स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेन्द्र यादव जी ने एक पेड़ माँ के नाम और दूसरा पेड़ धरती माँ के नाम का संकल्प कराया*

*💐स्वामी जी ने भीतरी पर्यावरण के साथ बाहरी पर्यावरण को स्वच्छ करने का दिया संदेेश*

*🌺सड़कें हमारे राष्ट्र की धमनियाँ हैं और पर्यावरण उसकी प्राणवायु*

*🙏🏾स्वामी चिदानन्द सरस्वती*

नई दिल्ली। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने भारत सरकार के वरिष्ठ मंत्रियों, सड़क परिवहन, राजमार्ग और जहाजरानी मंत्री माननीय श्री नितिन गडकरी जी एवं पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री माननीय श्री भूपेन्द्र यादव जी से दिल्ली में विशेष भेंटवार्ता हुई।

यह भेंट सड़क विकास की योजनाओं, तीर्थाटन की सहजता, पर्यावरण की रक्षा और सतत, हरित व सुरक्षित भारत के निर्माण पर भी केंद्रित रही।

इस भेंटवार्ता में विशेष रूप से देहरादून से दिल्ली तक और नेपाली फार्म से तपोवन तक सड़क मार्गों को सुगम, सुरक्षित और आधुनिक बनाने पर चर्चा हुई। ये दोनों मार्ग, जो उत्तराखंड के पर्यटन और अध्यात्मिक यात्रा के प्रमुख रास्ते हैं, अब आगामी चार माह से लेकर एक वर्ष की समयावधि में नव रूप में तैयार किए जाने की योजना के विषयों पर भी चर्चा हुई।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि तीर्थ क्षेत्र एक स्थान नहीं, वह भाव है। जब तीर्थों तक की यात्रा सहज, सुगम और सुरक्षित होती है, तो श्रद्धालुओं का विश्वास और अनुभव दोनों और भी दिव्य हो जाते है।

हरिद्वार से ऋषिकेश के बीच मेट्रो सेवा प्रारम्भ करने की संभावना पर भी गहन चर्चा हुई। यह पहल तीर्थयात्रियों और पर्यटकों की सुविधा को बढ़ाएगी साथ ही पर्यावरण के दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण होगी। मेट्रो जैसे सार्वजनिक परिवहन से यातायात का दबाव घटेगा और वायु प्रदूषण में भी कमी आएगी।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि सड़कें हमारे राष्ट्र की धमनियाँ हैं और पर्यावरण उसकी प्राणवायु है। जब हम सड़कें बनाते हैं, तो हमें वृक्षारोपण और हरियाली को भी प्राथमिकता देनी होगी।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने माननीय श्री नितिन गडकरी जी के उस समर्पण और संकल्प का अभिनन्दन किया जिसके द्वारा उन्होंने देशभर में सड़कों का अभूतपूर्व जाल बिछाया है। स्वामी जी ने कहा, पहले लोग हनुमान चालीसा पढ़ते थे, आज पूरा विश्व हिन्दुस्तान चालीसा पढ़ रहा है। पहले लोग यात्रा के दौरान टूटी-फूटी सड़कों पर यात्रा व प्रवास करते हुये हनुमान चालीसा पढ़ते थे परन्तु अब पूरा विश्व हिन्दुस्तान चालीसा पढ़ रहा है क्योंकि सड़के, इतनी सुन्दर व विशाल है बन गयी है और ये सब भारत के ऊर्जावान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में श्री नितिन गड़करी जी को जाता है। भारत की गति, भारत की सड़कें, भारत की संस्कृति, सब वैश्विक मंचों पर सम्मान पा रही हैं।

इसी दौरान, स्वामी जी और पर्यावरण मंत्री श्री भूपेन्द्र यादव जी ने ‘एक पेड़ माँ के नाम और एक पेड़ धरती माँ के नाम’ का संकल्प कराते हुये कहा कि यह पहल केवल वृक्ष लगाने का अभियान नहीं, बल्कि भावनात्मक और पर्यावरणीय पुनर्जागरण का संदेश भी है।

स्वामी जी ने कहा कि अगर हमने अपने भीतरी पर्यावरण को स्वच्छ कर लिया, विचारों को, व्यवहार को और दृष्टिकोण को, तो बाहरी पर्यावरण को स्वच्छ रखना सहज हो जाएगा।

आज जब भारत विश्वपटल पर अपने तेजी से विकसित हो रहे बुनियादी ढांचे के लिए पहचाना जा रहा है, तब हमें यह भी सुनिश्चित करना है कि विकास की यह दौड़ प्रकृति के साथ समरसता में हो। सड़कें केवल कंक्रीट की पट्टियाँ ही नहीं, बल्कि सभ्यता और संवेदनशीलता की राह भी बनें।