July 29, 2025

जिले में प्रथम बारः डीवाटरिंग पोर्टेबल पम्पस की खेप राजधानी के जलभराव क्षेत्रों में हुए तैनात

*जिले में प्रथम बारः डीवाटरिंग पोर्टेबल पम्पस की खेप राजधानी के जलभराव क्षेत्रों में हुए तैनात;*

*दून, ऋषिकेश शहर समेत 07 एजेंसियों को पम्पस हस्तगतः*

*बड़ी राहतः मानसून में शहरी इलाकों में जलभराव की समस्या से मिलेगी निजात,*

*संवेदनशील चौक, चौराहे और जंक्शन पर स्थापित होंगे 17-हाई प्रेशर डी-वाटरिंग पंप,*

*मा0 सीएम के निर्देश, जिला प्रशासन का बड़ा एक्शन प्लान, जलभराव से छुटकारा, आवागमन होगा सुगम,*

*जिला प्रशासन ने लिए 30 लाख लागत के 17 हाई प्रेशर डी-वाटरिंग पंप, एजेंसियों को कराए उपलब्ध,*

*डीएम के निर्देश, क्यूआरटी के साथ जल जमाव वाले स्थानों पर लगेंगे डी-वाटरिंग पंप,*

*देहरादून, ऋषिकेश और डोईवाला में जलभराव की समस्या से मिलेगा छुटकारा,*

*मानसून में वर्षों से नासूर बना ISBT ड्रेनेज का जिला प्रशासन पहले ही कर चुका परमानेंट समाधान,*

*डीएम के निर्देश पर जल निकासी के लिए हर पल सक्रिय, जिला प्रशासन की क्यूआरटी।*

*देहरादून । शहरी इलाकों में जलभराव की समस्या को दूर करने के लिए जिला प्रशासन प्रतिबद्ध है। मा0 मुख्यमंत्री की प्रेरणा और मार्गदर्शन में जिला प्रशासन ने आईएसबीटी में जलभराव की बडी समस्या का स्थायी निदान करने के बाद अब शहरी क्षेत्रों में जलजमाव की समस्या को दूर करने के लिए पूरा एक्शन प्लान तैयार किया है।

मा0 सीएम की प्रेरणा से जिलाधिकारी सविन बंसल ने देहरादून, ऋषिकेश, और डोईवाला शहरों में जल भराव समस्या के समाधान हेतु 30 लाख लागत के 17-हाई प्रेशर डी-वाटरिंग पंप लिए है। सोमवार को जिलाधिकारी ने जिला आपातकालीन परिचालन केंद्र से इन सभी डी-वाटरिंग पंपों को संबंधित एजेंसियों को उपलब्ध करा दिया है। जिलाधिकारी ने एजेंसियों को निर्देश दिए कि शहरी इलाकों में चिन्हित संवेदनशील चौक, चौराहे और जंक्शनों पर शीघ्र डी-वाटरिंग पंप स्थापित किए जाए और अतिवृष्टि में जलभराव होने पर कम से कम रिस्पांस टाइम में जल निकासी सुनिश्चित की जाए। इस दौरान जिलाधिकारी ने नगर निगम ऋषिकेश को 04, डोईवाला को 02, तहसील ऋषिकेश को 01, देहरादून में आपदा प्रबंधन, नगर निगम, जल निगम, जल संस्थान, स्मार्ट सिटी, सिंचाई एवं क्यूआरटी को 10 डीवाटरिंग एवं मड पंप सहवर्ती उपकरणों के साथ वितरित किए। जिले में प्रथम बारः डीवाटरिंग पोर्टेबल पम्पस की खेप राजधानी के जलभराव क्षेत्रों में तैनात की गई है।

जिलाधिकारी ने कहा कि अतिवृष्टि में शहरी क्षेत्रों में कुछ स्थानों पर जलभराव की समस्या उत्पन्न हो जाती है। जिससे स्कूली बच्चों, महिलाओं और आम जनमानस को आवागमन में खासी परेशानियों का सामना करना पडता था। जलभराव की समस्या से निपटने के लिए जल निगम, जल संस्थान, स्मार्ट सिटी, नगर निगम एवं संबंधित एजेंसियों के पास मैनपावर एवं संसाधनों की कमी के कारण त्वरित रिस्पांस में समस्या आ रही थी। इसको देखते हुए डीएम एक्ट में निहित शक्तियों के तहत जनहित में हाई प्रेशर डीवाटरिंग पंप लेने का निर्णय लिया गया। जिन्हें शहर के संवेदनशील चौक, चौराहे, जंक्शन एवं तिराहों पर स्थापित किया जा रहा है।

जिलाधिकारी ने कहा कि मा0 मुख्यमंत्री शहरी क्षेत्रों में जलभराव की समस्या को लेकर बहुत संवेदनशील है। जल भराव समस्या से निपटने के लिए जिले में क्यूआरटी गठित है। मा0 सीएम के निर्देशों पर क्यूआरटी द्वारा जलभराव क्षेत्रों का नियमित जायजा लिया जा रहा है। जहां पर भी जलभराव की शिकायत और समस्या मिलती है, वहां पर क्यूआरटी अपने संसाधनों के साथ मौके पर त्वरित रिस्पांस करती है। जिलाधिकारी ने कहा कि जलभराव की समस्या से निपटने के लिए 17 हाई प्रेशर डीवाटरिंग पंप लिए गए है, जिन्हें आज संबंधित एजेंसियों को हैंडओवर किया गया है। क्यूआरटी के पास डी-वाटरिंग पंप होने के बाद क्यूआरटी का रिस्पांस टाइम न्यून हो जाएगा और आमजन मानस को जलभराव की समस्या से त्वरित छुटकारा मिलेगा।

जिलाधिकारी ने सड़क मार्गाे के क्रोनिक भूस्खलन वाले क्षेत्रों में तैनात मानव एवं मशीनरी की तर्ज पर जल भराव वाले स्थलों पर भी मैनपावर व मशीनरी तैनात करने के निर्देश दिए है। जिससे रिस्पांस टाइम कम करते हुए समस्या का त्वरित समाधान हो सके। जल भराव की समस्या को दूर करने के लिए डीएम के निर्देशों पर नगर निगम को 12 भागों में विभाजित कर तीन क्यूआरटी बनाई गई है। जिसमें सिटी मजिस्ट्रेट प्रत्यूष सिंह, एसडीएम हरिगिरी और एसडीएम कुमकुम जोशी को नोडल अधिकारी नामित किया गया है। जिलाधिकारी ने क्यूआरटी के सभी नोडल अधिकारियों को मानसून अवधि के दौरान अलर्ट रहने और जल निकासी में व्यवधान व चोकिंग पाए जाने पर तत्काल कार्रवाई करने के निर्देश दिए है।

इस दौरान अपर जिलाधिकारी (एफआर) केके मिश्रा, सिटी मजिस्ट्रेट प्रत्यूष सिंह, जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी ऋषभ कुमार सहित जल संस्थान, जल निगम, सिंचाई आदि विभाग के अधिकारी मौजूद थे।