August 24, 2025

भक्ति भक्त और भगवान के बीच सेतु का कार्य करती है: स्वामी प्रेम तीर्थ महाराज

हरिद्वार । कांगड़ी स्थित श्री देवभूमि योगपीठ आश्रम में चल रही श्रीमद् देवी भागवत महापुराण कथा के समापन के अवसर पर भक्तजनों के बीच ज्ञान की अमृत वर्षा करते हुए देश के प्रबुद्ध कथा व्यास परम पूज्य स्वामी प्रेम तीर्थ जी महाराज ने कहा श्रीमद् देवी भागवत महापुराण भक्त एवं भगवान के बीच सेतु के रूप में स्थापित है इस पावन महापुराण का श्रवण करने मात्र से मनुष्य को सैकड़ो तीर्थ की यात्रा का फल प्राप्त होता है इस सृष्टि की उत्पत्ति माता आदि शक्ति भवानी से हुई है इस पृथ्वी के जैसे और भी ब्रह्मण इस संसार में स्थापित है भगवान श्री विष्णु भगवान श्री शिव भगवान श्री ब्रह्मा जी माता शक्ति स्वरूपा की रचित महिमा का भाग है जब इस सृष्टि की उत्पत्ति हुई तो इस धरा पर चारों और जल ही जल स्थापित था तब माता की कृपा से धरा भाग स्थापित हुआ तथा भगवान श्री विष्णु श्री भगवान भोलेनाथ भगवान श्री ब्रह्मा जी को इसकी संरचना करने की जिम्मेदारी दी गई यह सब संसार उन्हीं की रचित माया का भाग है अगर आपके मन में ईश्वर के प्रति सच्ची भक्ति और आस्था है तो भगवान अपने तक पहुंचाने का मार्ग खुद आपको प्रदर्शित कर देते हैं मनुष्य जीवन की सबसे बड़ी निधि भजन सत्संग है यही युक्ति का मार्ग है और यही मुक्ति का मार्ग है यही दर्पण है और यही तर्पण है आज कथा के अंतिम भाग में राक्षस राज शुंम्भ निशुंम् के श्रृंगार का दृष्टांत भक्तजनों को सुनाया तथा बताया की अष्टभुजी मां भवानी ने किस प्रकार रक्षाश शुंम्भ निशुंभ का श्रृंगार किया तथा जगत को उनके आतंक से मुक्ति दिलाई इसके बाद गायत्री माता की कृपा से पूरे में जल दृष्टि हो गई तथा संपूर्ण सृष्टि हरियाली की गोद में झुमने लगी अगर माता की कृपा हो जाये तो यह मानव जीवन धन्य तथा सार्थक हो जाता है जो भी भक्त सच्चे मन से माता की आराधना करता है भगवान श्री हरि की आराधना करता है उसके जीवन में सुख शांति समृद्धि तथा वैभव की वर्षा होती है उनका यह लोक तो सुधर ही जाता है साथ-साथ परलोक भी सुधर जाता है इस अवसर पर मुख्य यजमान स्वामी प्रेम प्रणव महाराज श्रीमती अंकित मिश्रा जी ने कहा गुरु ही भक्तों को जीवन सफल करने की युक्ति बता सकते हैं इस संसार में हमारे सतगुरु देव हमारे जीवन की सार्थकता की सबसे बड़ी निधि है सतगुरु तारणहार है सतगुरु ही मेरे राम सतगुरु मेरे राम है और सतगुरु ही घनश्याम परम वंदनीय तपस्वी ज्ञान मूर्ति अनंत विभूषित कथा व्यास स्वामी प्रेम तीर्थ महाराज साक्षात ईश्वर के प्रतिनिधि के रूप में ज्ञान की वह धारा है जो हमारे जीवन को धन्य तथा सार्थक करते हुए अपनी धारा के बहाव में बहा कर भगवान श्री हरि के चरणों में पहुंचा देते हैं इस अवसर पर सचिव रामदुलार महाराज श्री राम विलास सिंह कार्यानंद कृष्णा संजय महाराज राधा देवी हीरामणि मंजू देवी विनोद कुमार दिनेश प्रसाद सिंह सहित भारी संख्या में संत महापुरुष तथा भक्ति अनुपस्थित थे