*🌸भगवान श्री वराह जयंती पर परमार्थ निकेतन से देशवासियों को मंगलकामनायें*
*धर्म, न्याय और सृष्टि-संतुलन का दिव्य प्रतीक वराह अवतार*
*💫सत्य, शक्ति और बुद्धि का समन्वय ही सृष्टि के संरक्षण में सक्षम*
*🙏🏾स्वामी चिदानन्द सरस्वती*
ऋषिकेश, 25 अगस्त। परमार्थ निकेतन में आज भगवान श्री वराह, श्री हरि विष्णु का तृतीय अवतार की धूमधाम से जयंती मनायी। परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमारों ने विशेष पूजन-अर्चन व यज्ञ कर भगवान वराह अवतार की आराधना की।
श्री हरि विष्णु जी ने इस अवतार में पृथ्वी माता को समुद्र मंथन और असुरों के अत्याचार से बचाने के लिए वराह का रूप धारण किया। यह अवतार धर्म और न्याय की रक्षा का प्रतीक है साथ ही सृष्टि-संतुलन और जीवन में संतुलन स्थापित करने का संदेश भी देता है।
शास्त्रों के अनुसार, जब पृथ्वी माता असुरों के अत्याचार और अधर्म के कारण कराह रही थी तब भगवान विष्णु ने वराह रूप धारण कर उन्हें समुद्र से उठाया और सृष्टि को स्थिर किया। संकट और अधर्म के समय सच्चे धर्म और साहस के द्वारा ही परिस्थितियों को सुधारा जा सकता है। वराह अवतार यह संदेश देते हैं कि धर्म, न्याय और नैतिकता की रक्षा प्रत्येक व्यक्ति का धर्म है, चाहे परिस्थितियाँ कितनी भी कठिन क्यों न हों।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने अपने संदेश में कहा कि वराह अवतार में भगवान विष्णु जी का शरीर ऊँचा और भारी, जबकि सिर मानवीय और शरीर वराह के रूप में है। यह प्रतीक है कि सत्य, शक्ति और बुद्धि का समन्वय ही सृष्टि के संरक्षण में सक्षम है। ऊँचा और भारी शरीर शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है, जो संकटों और असुरों के अत्याचार का सामना कर सृष्टि को स्थिर कर सके। मानवीय सिर बुद्धि और विवेक का प्रतीक है, जो निर्णय और न्याय का मार्ग दिखाता है। इस अवतार से हमें यह शिक्षा मिलती है कि शक्ति बिना विवेक और विवेक बिना शक्ति असफल है।
जीवन में संकट के समय साहस, न्याय और संतुलन की आवश्यकता होती है। वराह अवतार हमें प्रेरित करता है कि हम न केवल अपने लिए, बल्कि समाज और सृष्टि के लिए भी सही निर्णय लें। जैसे भगवान ने पृथ्वी माता को समुद्र से बचाया, वैसे ही हम भी अपनी जिम्मेदारियों को समझे और सृष्टि व समाज की रक्षा के लिये आगे आये।
वराह अवतार हमें यह याद दिलाता है कि जीवन में चाहे कितनी भी कठिन परिस्थितियाँ हों, धर्म और नैतिकता का मार्ग कभी नहीं छोड़ना चाहिये। हमारे विचार, वचन और कर्म इसी मार्ग के अनुसार होने चाहिए।
हर व्यक्ति का कर्तव्य है कि वह समाज और पर्यावरण के संतुलन के लिए योगदान दे। अपने कर्मों के माध्यम से हम न केवल अपने जीवन को सुधार सकते हैं, बल्कि पूरे समाज को समृद्ध और संतुलित बना सकते हैं। जीवन में कठिनाइयाँ आएँगी, लेकिन सही मार्गदर्शन और श्रेष्ठ कर्मों के द्वारा हम हर चुनौती को पार कर सकते हैं।
भगवान श्री वराह जयंती जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सत्य, न्याय, धर्म और सृष्टि-संतुलन को स्मरण करने वाला अवसर है। यह दिन हमें प्रेरित करता है कि हम अपने जीवन में साहस, नैतिकता और संतुलन का मार्ग अपनाएँ, समाज और प्रकृति के उत्थान में योगदान दें, और सकारात्मक परिवर्तन लाएँ। इस पावन अवसर पर सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ! प्रभु श्री वराह की कृपा से हम सभी के जीवन में सुख, शांति, समृद्धि और संतुलन हमेशा बना रहे।
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