September 3, 2025

मसूरी गोलीकांड के अमर शहीदों को श्रद्धांजलि

*💥मसूरी गोलीकांड के अमर शहीदों को श्रद्धांजलि*

*✨शक्ति, साहस और समर्पण के प्रतीक अमर बलिदानियों को शत-शत नमन*

*💐शहीदों का बलिदान, हमारा संकल्प*

ऋषिकेश। आज का दिन उत्तराखण्ड के इतिहास में अत्यंत प्रेरणादायी स्मृति का दिन है। मसूरी गोलीकांड की बरसी पर हम परमार्थ निकेतन से राज्य आंदोलन के उन वीर अमर सपूतों को नमन करते हैं, जिन्होंने उत्तराखण्ड के स्वप्न को साकार करने हेतु अपने प्राणों की आहुति दे दी। आज का दिन बलिदान की उस गाथा का स्मरण है, जिसने सम्पूर्ण समाज को संकल्प और साहस का संदेश दिया।

मसूरी गोलीकांड उत्तराखण्ड राज्य आंदोलन का वह अमर अध्याय है, जहाँ युवाओं, महिलाओं, बुजुर्गों और साधारण जनमानस ने अपनी अस्मिता की रक्षा के लिए असाधारण त्याग और साहस का परिचय दिया। उन वीर आंदोलनकारियों की शहादत ने यह सिद्ध कर दिया कि जब किसी समाज का जन-जन अपने अधिकार और पहचान के लिए उठ खड़ा होता है, तो कोई भी शक्ति उसे रोक नहीं सकती।

आज जब हम स्वतंत्र उत्तराखण्ड में साँस ले रहे हैं, तब हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि इसकी नींव बलिदानियों के बलिदानों पर टिकी है। शहीदों ने केवल राज्य की माँग नहीं उठाई थी, बल्कि उन्होंने एक ऐसे उत्तराखण्ड का सपना देखा था, जो सशक्त, समृद्ध और आत्मनिर्भर हो, जहाँ पर्वतीय अंचल का हर युवा अवसर पाए, हर महिला सशक्त बने, और हर परिवार खुशहाल जीवन जी सके।

बलिदानियों की शहादत हमारे लिए केवल इतिहास का हिस्सा नहीं है, बल्कि एक जीवंत प्रेरणा है। आज हम उन शहीदों को नमन करते हुए यह संकल्प लें कि उनके सपनों के अनुरूप उत्तराखण्ड को नई ऊँचाइयों पर ले जाएँगे। शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, पर्यटन, पर्यावरण संरक्षण और सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण में हम अपना सर्वोत्तम योगदान देंगे।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि उत्तराखण्ड की आत्मा उसकी नदियों, वनों, पर्वतों और लोक संस्कृति में बसती है। शहीदों का बलिदान हमें यह संदेश देता है कि इस धरोहर की रक्षा करना ही हमारी सच्ची श्रद्धांजलि है। जब तक गंगा, यमुना, भागीरथी और अलकनंदा की धाराएँ बहती रहेंगी, जब तक हिमालय की चोटियाँ हमें आकाश छूने की प्रेरणा देती रहेंगी।

1 सितंबर का खटीमा कांड, 2 सितंबर का मसूरी गोलीकांड और 2 अक्टूबर का रामपुर तिराहा कांड, ये तीनों दिन हमारे राज्य के इतिहास के सबसे काले अध्याय के रूप में दर्ज हैं। इन घटनाओं में अनेक आंदोलनकारियों ने अपने प्राणों की आहुति देकर उत्तराखण्ड राज्य की नींव रखी। उनके त्याग और बलिदान के कारण ही आज हम उत्तराखण्ड में साँस ले रहे हैं।

इन बलिदानों की स्मृति हमें सदैव यह प्रेरणा देती है कि हमें अपने राज्य के विकास, समृद्धि और सांस्कृतिक गौरव के संरक्षण के लिए सतत प्रयत्नशील रहना होगा। शहीदों की यह विरासत ही हमारा मार्गदर्शन है और उनका सपना ही हमारा संकल्प है।