September 3, 2025

करम पूजा की देशवासियों को अनन्त शुभकामनायें

*💥करम पूजा की देशवासियों को अनन्त शुभकामनायें*

☘️*प्रकृति, भाईचारे और विविधता का पर्व*

*💫एकता का अर्थ एकरूपता नहीं, बल्कि विविधता में सामंजस्य*

*🌸प्रकृति के साथ सामंजस्य ही जीवन का मूल मंत्र*

*🙏🏾स्वामी चिदानन्द सरस्वती*

ऋषिकेश, 3 सितम्बर। भारत की भूमि विविधताओं से भरी हुई है। यहाँ का हर कोना, हर संस्कृति और हर उत्सव हमें संदेश देता है कि एकता केवल समानताओं से नहीं, बल्कि विविधताओं के सम्मान में ही समाहित है। इन्हीं दिव्य परंपराओं में से एक है आदिवासी समाज का पावन पर्व करम पूजा, करम पूजा की अनंत शुभकामनायें।

करम पूजा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि प्रकृति से गहरे जुड़ाव, भाई-बहन के पवित्र संबंध और श्रम व कृषि के महत्व का जीवंत प्रतीक है। इस दिन करम देवता की पूजा होती है। करम देवता, प्रकृति, हरियाली, समृद्धि और भाईचारे का प्रतीक है। पूजा का प्रार्थना की जाती है कि करम देवता ही धरती पर हरियाली लाते हैं, फसलों को समृद्धि देते हैं और परिवार की रक्षा करते हैं। इस पूजा का मुख्य आकर्षण होता है गांव या आँगन में करम वृक्ष की डाल का प्रतिष्ठापन करना। युवतियाँ उपवास रखकर गीत-नृत्य करती हैं, करम कथा का श्रवण होता है और सामूहिक उत्सव मनाया जाता है। यह जीवन में प्रकृति और परिवार के महत्व को पुनः जाग्रत करने का सामूहिक प्रयास है।

करम पूजा हमें याद दिलाती है कि मनुष्य और प्रकृति का रिश्ता केवल उपयोग, यूज एंड़ थ्रो का नहीं, बल्कि सहयोग, संरक्षण और यूज एंड ग्रो का होना चाहिए। जिस धरती से हम अन्न प्राप्त करते हैं, जिसकी हवा और जल हमें जीवन देते हैं, उसका संरक्षण करना ही सच्ची पूजा है।

आज जब पूरी दुनिया पर्यावरण संकट और जलवायु परिवर्तन की चुनौती से जूझ रही है, तब आदिवासी समाज का यह पर्व हमें संदेश देता है कि प्रकृति के साथ सामंजस्य ही जीवन का मूल मंत्र है। करम पूजा का संदेश आधुनिक समय में और भी प्रासंगिक है। यह हमें प्रेरित करता है कि हम सब मिलकर जल, जंगल और जमीन की रक्षा करें।

साथ ही, करम पूजा भाई-बहन के स्नेह और पारिवारिक बंधन को भी मजबूती देती है। यह पर्व बताता है कि समाज की सबसे बड़ी ताकत आपसी एकता और भाईचारा है। जब परिवार और समाज संगठित होते हैं, तभी राष्ट्र मजबूत बनता है।

 

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि भारत की यही खूबसूरती है, यहाँ हर समुदाय, हर संस्कृति और हर उत्सव राष्ट्र की आत्मा में अपनी विशिष्टता जोड़ता है। करम पूजा इस बात का सशक्त उदाहरण है कि भारत केवल एक भूगोल नहीं, बल्कि विविधताओं का उत्सव है। यह पर्व हमें तीन गहरे संदेश देता है कि प्रकृति का सम्मान करें क्योंकि पेड़, पौधे, जल और धरती हमारी धरोहर हैं। परिवार और भाईचारे को संजोएं, यही हमारी सामाजिक शक्ति है। श्रम और कृषि का आदर करें क्योंकि यही हमारी अन्न-समृद्धि और आत्मनिर्भरता का आधार है।

स्वामी जी ने कहा कि करम पूजा हमें यह भी संदेश देती है कि परंपराएँ केवल रीति-रिवाज नहीं होतीं, बल्कि जीवन जीने का मार्गदर्शन होती हैं। जब हम इन पर्वों को सम्मान देते हैं, तो हम अपनी जड़ों से जुड़े रहते हैं और जब हम अपनी जड़ों से जुड़े रहते हैं, तभी सच्चे अर्थों में प्रगति कर सकते हैं।

आज आवश्यकता है कि हम सब मिलकर इस पर्व से प्रेरणा लें और यह संकल्प करें कि भारत की विविधता का सम्मान करेंगे। हमें यह समझना होगा कि एकता का अर्थ एकरूपता नहीं, बल्कि विविधता में सामंजस्य है। आदिवासी समाज के उत्सव केवल उनकी धरोहर नहीं, बल्कि पूरे भारत की धरोहर हैं। इन्हें सम्मान देना ही राष्ट्र की आत्मा को सम्मान देना है। भारत की विविधताओं को गले लगाकर एक मजबूत और समृद्ध राष्ट्र का निर्माण किया जा सकता है।

करम पूजा का यह पवित्र पर्व हम सबके जीवन में हरियाली, समृद्धि और एकता लेकर आए। करम देवता की कृपा से हमारा समाज और हमारा भारत सतत प्रगति करता रहे।