*हरिद्वार । राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने मंगलवार को हरिद्वार स्थित देव संस्कृति विश्वविद्यालय में आयोजित “एआई: विश्वास एवं भविष्य” अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन सत्र में प्रतिभाग किया।
राज्यपाल ने अपने संबोधन में कहा कि यह ऐतिहासिक सम्मेलन देवभूमि उत्तराखण्ड की पावन भूमि से मानवता के भविष्य की दिशा तय करेगा। उन्होंने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) आज केवल विज्ञान और तकनीक का विषय नहीं है, बल्कि यह नैतिकता, मानवाधिकार और सामाजिक सद्भाव से भी गहराई से जुड़ा हुआ है।
राज्यपाल ने कहा कि आने वाला समय कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) का है और यह विकास, समृद्धि तथा खुशहाली का प्रमुख साधन बनेगी। उन्होंने कहा कि एआई न केवल मानव समाज के लिए, बल्कि पूरे ब्रह्मांड के विकास के लिए आवश्यक है। उन्होंने कहा कि एआई ऐसा क्षेत्र है जहां असीमित संभावनाएं हैं और इसमें कोई गुरु या शिष्य नहीं है, बल्कि सभी निरंतर सीखने और आगे बढ़ने की प्रक्रिया में शामिल हैं।
राज्यपाल ने कहा कि एआई आज जीवन का हिस्सा बन चुकी है और आने वाले समय में ऐसा कोई भी क्षेत्र नहीं रहेगा जो इससे अछूता हो। उन्होंने कहा कि भारत को वर्ष 2047 तक विकसित राष्ट्र और विश्व गुरु बनाने में एआई तथा आधुनिक प्रौद्योगिकी की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होगी।
राज्यपाल ने युवा पीढ़ी से आह्वान किया कि वे एआई को अपनाकर उसकी शक्ति का सकारात्मक और रचनात्मक उपयोग करें। उन्होंने कहा कि “अमृत पीढ़ी” यदि एआई की शक्ति को अपनाएगी तो यह समाज, राष्ट्र और मानवता के लिए परिवर्तनकारी सिद्ध होगी।
राज्यपाल ने कहा कि देव संस्कृति विश्वविद्यालय अपने वैश्विक सहयोगों और अभिनव पहलों के माध्यम से वास्तव में विश्वविद्यालय के आदर्श स्वरूप को सिद्ध कर रहा है। यह सम्मेलन न केवल इंडिया एआई मिशन के अंतर्गत पहला अंतर्राष्ट्रीय आयोजन है, बल्कि मानवता के इतिहास में भी एक मील का पत्थर है।
उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि हरिद्वार की इस पवित्र भूमि से निकलने वाला “हरिद्वार डिक्लेरेशन” केवल नीतिगत दस्तावेज नहीं होगा, बल्कि एक नैतिक संकल्प होगा, जो दुनिया को यह दिशा देगा कि तकनीक का उपयोग मानवता, न्याय और आध्यात्मिक मूल्यों के अनुरूप किया जाए।
इस सम्मेलन में देश-विदेश के एआई विशेषज्ञों सहित कई गणमान्य अतिथियों ने भाग लिया।
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