*🌸अंतरधार्मिक सम्मेलन*
*दिल्ली गुरुद्वारा मेनेजमेंट कमेटी द्वारा आयोजित सर्व धर्म सम्मेलन में परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी का पावन सान्निध्य*
*✨श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी की 350वीं शहादत दिवस के अवसर पर आयोजित*
*🌸श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी के अनुयायियों भाई मति दास जी, भाई सती दास जी और भाई दयाला जी की शहादत को भी याद किया गया, जिन्होंने अटूट विश्वास के साथ अपने प्राण न्यौछावर कर दिये*
*💐पावन सान्निध्य-परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, सिंह साहिब ज्ञानी रणवीर सिंह जी, आचार्य डा लोकेश मुनि जी, श्री गोस्वामी सुशील जी महाराज, सरदार श्री परमजीत सिंह चंडोक जी, बौद्ध गुरू श्री भीखू संघसेना जी, हाजी सैय्यद सलमान चिश्ती जी विभिन्न धर्मों के धर्मगुरूओं का आशीर्वाद व उद्बोधन*
दिल्ली। दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी द्वारा श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी की 350वीं शहादत दिवस की स्मृति में “सर्व धर्म सम्मेलन” का आयोजन किया गया। यह सम्मेलन न केवल सिख समुदाय के लिए, बल्कि पूरे समाज और मानवता के लिए एक प्रेरणास्त्रोत के रूप में हैं।
श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी, नौवें सिख गुरु, जिन्हें ‘मानवता के रक्षक’ और ‘श्रीष्ट-दी-चादर’ के रूप में स्मरण किया जाता है, ने अपने जीवन में सत्य, धर्म, साहस और मानवता के आदर्श स्थापित किए। उनका जीवन संदेश केवल धार्मिक दृष्टि तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हर उस व्यक्ति का मार्गदर्शन करता है जो न्याय, सहिष्णुता और स्वतंत्रता के लिए खड़ा होना चाहता है। भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म की नींव सदैव सत्य, धर्म, अहिंसा और सार्वभौमिक मानवता पर आधारित रही है।
श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी ने संदेश दिया कि धर्म केवल अनुष्ठानों या व्यक्तिगत श्रद्धा तक सीमित नहीं होता, बल्कि इसका वास्तविक अर्थ समाज में न्याय और समानता स्थापित करना, चरित्र निर्माण करना और मानवता की रक्षा करना है। 1675 ईस्वी में कश्मीरी ब्राह्मणों पर जब धार्मिक उत्पीड़न का दबाव बढ़ा, तब वे गुरु जी के पास मदद के लिए आए। गुरु जी ने न केवल उनका साहसिक मार्गदर्शन किया, बल्कि अपने प्राणों की आहुति देने का निश्चय कर धर्म और मानवता की रक्षा की।
उन्होंने कहा था कि “मैं अपने धर्म और सत्य के मार्ग से नहीं हट सकता। धर्म की रक्षा के लिए प्राण त्यागना मेरी जिम्मेदारी है।” इस साहस ने यह सिद्ध कर दिया कि सच्चा धर्म केवल व्यक्तिगत आस्था का नाम नहीं, बल्कि अन्याय और अत्याचार के खिलाफ खड़े होने का साहस भी है।
24 नवंबर, 1675 को दिल्ली में श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी ने अपने प्राणों की आहुति दी। उनकी शहादत न केवल सिख समुदाय के लिए, बल्कि समस्त मानव जाति के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनके बलिदान ने यह साबित किया कि धर्म का वास्तविक उद्देश्य मानवता की सेवा, न्याय की रक्षा और सार्वभौमिक स्वतंत्रता की गारंटी है। यही कारण है कि उन्हें ‘हिंद की चादर’ की उपाधि दी गई।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि आज का यह सम्मेलन हमें यह स्मरण कराता है कि समाज में धर्म और संस्कृति का वास्तविक अर्थ भेदभाव या संघर्ष नहीं, बल्कि सहिष्णुता, प्रेम और सहयोग है। जब हम विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों के बीच संवाद स्थापित करते हैं, तो हम केवल बाहरी संबंध ही नहीं, बल्कि अपने भीतर मानवीय मूल्यों को भी समृद्ध करते हैं।
समाज में शांति और सौहार्द स्थापित करने के लिए आपसी संवाद, समझ और सहिष्णुता अनिवार्य हैं। आधुनिक जीवन की भागदौड़, तकनीकी परिवर्तन और वैश्विकरण के युग में अक्सर लोग अपनी सांस्कृतिक जड़ों और आध्यात्मिक मूल्यों से दूर हो जाते हैं। ऐसे में श्री गुरु तेग बहादुर जी के आदर्श हमें याद दिलाते हैं कि जीवन की वास्तविकता केवल शक्ति, दौलत या पद से नहीं, बल्कि चरित्र, साहस और धर्म के प्रति निष्ठा से होती है।
स्वामी जी ने कहा कि सिख कौम स्वाभिमानी कौम हैं, उन्होंने अपने राष्ट्र और मूल्यों के लिये अपने सिर तक कटवा दिये। स्वामी जी ने वर्तमान पीढ़ी को उनकी गौरवमयी गाथा का स्मरण कराते हुये नशे से दूर रहने का संदेश देते हुये कहा कि “नशे को कहें ‘ना’ और जीवन को कहें ‘हाँ’।” नशा, एक मूक हत्यारा, न केवल शरीर बल्कि मन, समाज और आत्मा को भी खोखला करता है। यह मीठा जहर है, जो लाखों जिंदगियाँ निगल लेता है। सम्मेलन के माध्यम से युवा पीढ़ी को प्रेरित किया जाएगा कि वे नशे के बजाय सच्चे धर्म, सत्य और मानवता के मार्ग का पालन करें।
दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी द्वारा आयोजित यह सर्व धर्म सम्मेलन सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
इस अवसर पर श्री मनिंदर सिंह सिरसा जी, माननीय कैबिनेट मंत्री, एनसीटी, माननीय मंत्री, एनसीटी, दिल्ली सरकार, श्री कपिल मिश्रा जी, माननीय मंत्री, एनसीटी, दिल्ली सरकार आदि विशिष्ट विभूतियों की गरिमामयी उपस्थिति रही।
आयोजक समिति के श्री हरमीत सिंह काल्का, अध्यक्ष, जगदीप सिंह काल्होन जी, महासचिव, हरविंदर सिंह जी, के.पी. वरिष्ठ उपाध्यक्ष, आत्मा सिंह लुबाना जी, उपाध्यक्ष, जसमान सिंह नोनी जी, सचिव, जसप्रीत सिंह करमसर जी, धर्म प्रचार समिति, दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधन समिति, अध्यक्ष ने सभी विशिष्ट अतिथियों का अभिनन्दन किया।
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