त समुंदर पार भी विदेशियों पर छाया उत्तराखंड के पारंपरिक गहनें और गढ़वाली टोपी का जादू
 हरिद्वार में आयोजित देवभूमि रजत उत्सव में लगाए गए स्टॉल में टिहरी के कीर्ति नगर ब्लॉक से पहुंचे घड़ियाल देवता स्वयं सहायता समूह की ओर से उत्तराखंड की संस्कृति से जुड़े पारंपरिक परिधान को लेकर कार्य कर रहा है।
हरिद्वार में आयोजित देवभूमि रजत उत्सव में लगाए गए स्टॉल में टिहरी के कीर्ति नगर ब्लॉक से पहुंचे घड़ियाल देवता स्वयं सहायता समूह की ओर से उत्तराखंड की संस्कृति से जुड़े पारंपरिक परिधान को लेकर कार्य कर रहा है।
सहायता समूह की ओर से उत्तराखंड की दुल्हन के गहने और उत्तराखंड की टोपी बनाई जाती है 
गहनों में जैसे कनफुल, मांग टीका, गुला बंद, पहाड़ी नथ, मंगलसूत्र बनाए जाते हैं, वहीं इसके साथ उत्तराखंडी टोपी के रूप में गढ़वाली-कुमाऊनी टोपी, हैंडमेड वूलन और कॉटन की टोपी भी बनाई जाती हैं।
पहाड़ी ज्वेलरी को दिल्ली, मुंबई, चंडीगढ़ के अलावा अमेरिका, दुबई, china, सिंगापुर, इटली और भारत के अलग-अलग राज्यों से उत्तराखंड की टोपी और पहाड़ी गहनों की ऑर्डर लगातार मिलते हैं।
समूह में पहुंचे विनोद असवाल ने बताया कि उनके समूह की वार्षिक आए 15 से 20 लख रुपए के बीच हैं।
बताया कि समूह में 15 से 20 महिलाएं इस कार्य को करती हैं। उन्होंने कहा कि लगातार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पूरे विश्व में उत्तराखंड के परिधानों को बढ़ावा दे रहे हैं जिसका लाभ लगातार हमारे जैसे सहायता समूह को मिल रहा है इसका धन्यवाद उन्होंने मुख्यमंत्री जी के लिए किया।

 
                         
                                         
                                         
                                         
                                        
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