November 23, 2024

तीर्थ पुरोहितों ने पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत, धन सिंह रावत एवं मदन कौशिक को काले झंडे दिखाए

रुद्रप्रयाग। उत्तराखंड के मंत्रियों ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि उन्हें तीर्थ पुरोहितों के विरोध प्रदर्शन के कारण इस तरह की अपमानजनक स्थिति का सामना भी करना पड़ सकता है। मोदी के केदारनाथ दौरे के मद्देनजर स्थिति का जायजा लेने पहुंचे पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत और काबीना मंत्री धन सिंह रावत तथा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक को आंदोलनकारी तीर्थ पुरोहितों के उग्र विरोध प्रदर्शन का सामना करना पड़ा। तीर्थ पुरोहितों ने उन्हें न सिर्फ काले झंडे दिखाए और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की बल्कि पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह को उन्होंने केदारनाथ मंदिर में भी नहीं घुसने दिया गया। स्थिति की गंभीरता को देखकर त्रिवेंद्र सिंह रावत को संगम पुल से वापस लौटने पर मजबूर होना पड़ा।
दो साल से देवस्थानम बोर्ड के हककृहकूक धारियों का गुस्सा आज उस समय सातवें आसमान पर पहुंच गया जब उनका सामना पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत से हुआ। त्रिवेंद्र आज धन सिंह रावत व मदन कौशिक के साथ केदारनाथ जा रहे थे तभी आंदोलनकारियों ने उन्हें रास्ते में ही रोक लिया तथा उन्हें काले झंडे दिखाकर उनका विरोध किया। तीर्थ पुरोहित त्रिवेंद्र सिंह रावत से इतने खफा दिखे कि उन्होंने उन्हें केदारनाथ मंदिर में भी नहीं घुसने दिया गया। तीर्थ पुरोहितों का गुस्सा देखकर त्रिवेंद्र सिंह रावत संगम पुल से वापस लौटने पर विवश हो गए और वह बाबा केदारनाथ के दर्शन भी नहीं कर सके।

तीर्थ पुरोहितों के गुस्से को देख कर धन सिंह रावत व मदन कौशिक ने उन्हें समझाने बुझाने की कोशिश की लेकिन वह नाकाम रहे और उन्होंने कहा कि वह इस मुद्दे पर सीएम धामी से बात करेंगे। तीर्थ पुरोहित अभी दो माह पूर्व सीएम धामी से मिले थे तो उन्होंने उन्हे 31 अक्टूबर तक इस समस्या के समाधान का भरोसा दिया था। लेकिन दो माह बाद भी सरकार द्वारा कोई निर्णय नहीं लिया गया है। जिससे नाराज तीर्थ पुरोहितों ने आज से अपना आंदोलन और तेज कर दिया है। तीर्थ पुरोहितों ने आज अपनी मांग के विरोध में रुद्रप्रयाग बाजार को बंद रखा तथा गंगा घाटों पर भी पूजाकृअर्चना नहीं होने दी।
तीर्थ पुरोहितों का आरोप है कि सरकार उन्हें धोखा दे रही है। और अब वह आरकृपार की लड़ाई लड़ेंगे। उल्लेखनीय है कि दो साल पूर्व त्रिवेंद्र सरकार ने 27 नवंबर 2019 में देवस्थानम बोर्ड का गठन किया था जिसे भंग करने व पुरानी बद्री केदार समिति व्यवस्था की बहाली को लेकर तीर्थ पुरोहित लगातार आंदोलन कर रहे हैं।

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