हरिद्वार। तीर्थ नगरी हरिद्वार के ज्वालापुर में कई मौहल्लों में आदमियों का रहना दुभर हो गया है।
बताते चले की ज्वालापुर के कई मोहल्ले ऐसे है जहां पर खुलेआम अवैध सट्टा, शराब, जुआ, नशे के ईन्जेक्शन लेना आदि धंधा गलियों एवं चौहराहों पर किसी भी समय देखा जा सकता है। इसकी पुष्टि यहां मौहल्लों में निवासियों के द्वारा भी की जा सकती है।
जिस प्रकार से जुआ, सट्टा आदि का अवैध कारोबार तेजी से पनप रहा है। जिस पर कार्रवाई नहीं होने के कारण सटोरियों के हौसले बुलंद होते चले जा रहे हैं। इससे सैकड़ों परिवार प्रतिदिन बर्बाद हो रहे हैं। ज्वालापुर में कभी चोरी-छिपे चलने वाला सट्टा आज बाजार में कानून की ढीली पकड़ की वजह से खुलेआम संचालित हो रहा है। मोहल्लो में यह खेल में जिस प्रकार सब कुछ ओपन हो रहा है उससे यही प्रतीत होता है कि अब शहर में कानून का कोई खौफ नहीं रह गया है।
कोतवाली ज्वालापुर क्षेत्र में इस खेल के बढ़ते कारोबार का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि महिलाएं व बच्चे भी दिन-रात अंकों के जाल में उलझे रहते हैं।
प्रत्येक वार्ड में सत्ता पक्ष के प्रभावशाली कुछ लोगों के समर्थक अवैध सट्टे का कारोबार पुलिस के नाक के नीचे चला रहे हैं। स्थानीय का यह भी कहना है कि जब इसकी शिकायत स्थानीय पुलिस को की जाती है तो शिकायतकर्ता से ही पूछा जाता है कि कौन से वार्ड में कौन-कौन सट्टा व जुआ का काम कर रहा है बताएं, तो हम कार्रवाई करेंगे। लेकिन स्थानीय निवासी इसलिए परेशान है कि पुलिस की कार्यवाही से पूर्व ही अवैध कारोबारियो को इसका कैसे पता चलता है कि आज पुलिस आने वाली है।
गलियों को बनाने लगे अड्डा
खाईबाडी सरेआम सट्टा लगवा रहे हैं। उन्होंने अपना पैंतरा बदल लिया है। अब वह गली-मोहल्ले में ठिकाना बनाकर सट्टे का काला कारोबार कर रहे हैं। इस काले कारोबार में अमीर बनने के चाह में नौजवान उजड़ रहे हैं और खाईबाडी मालामाल होते जा रहे हैं।
कोड वर्ड में चलता है धंधा
सट्टा कोड वर्ड का अवैध करोबार है। मसलन कोई युवा 22 नंबर लगाता है तो वह खाईबाडी से जाकर कोड वर्ड में बता देगा। कोडवर्ड में काम होने से आसपास बैठे व्यक्ति को इसकी भनक तक नहीं लगती है। मालूम पड़ा है कि एक से लेकर 99 तक नंबरों के कोड वर्ड रखे गए हैं। नंबर बताने की प्रक्रिया भी बेहद गोपनीय होती है। खाईबाडी द्वारा एक काफी में सभी नंबर लिखे जाते हैं।
पुलिस कार्रवाई नहीं होने से शहर में नए खाईबाडों की इंट्री
शहर में सट्टे का कारोबार परवान चढ़ रहा है, जिसके चलते सट्टा खाईवाल की तादात बढ़ती जा रही है। युवा पीढ़ी सट्टा बाजार में खाईवाल द्वारा दिखाए जाने वाले रंगीन सपनों के जाल में फंसते जा रहे हैं। पुलिस की सुस्ती से नगर में सट्टे का खेल अब गली-गली में चल रहा है। इसके बावजूद पुलिस के कानों तक इसकी आवाज नहीं पहुंच रही है। रातों रात अमीर बनने के च-र में युवा से लेकर बूढ़े इस कारोबार में फंसकर अपनी कीमती कमाई गंवा रहे हैं।
जगह-जगह पर मौहल्लों के बीच में पूरे-पूरे दिन तेज आवाज में डेक बजाकर, आवाज करते रहना। जिसके कारण कई बार यहां के निवासियों के साथ आप में झगडे भी हुए हैं लेकिन ये नही मानते, कई बार पुलिस द्वारा कार्यवाही भी की गयी लेकिन इसके बाद एक-दो दिनों के बाद फिर यह अपना धंधा शुरू कर देते हैं।
जो परिवार इनके आस पास रहते हैं उनका वहां पर निवास करना मजबूरी हो गयी है क्योंकि यदि वह अपना मकान बेचना भी चाहे तो इतनी महंगाई में बेच कर कहां जायेंगे। अब तो इनका एक ही सहारा है वह पुलिस प्रशासन। यदि जल्द ही पुलिस प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं दिया गया तो वह दिन दूर नहीं जब इन मौहल्लों में निवासियों को मजबूरन सडकों पर उतरकर कार्यवाही के लिए मांग करनी पडे।
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