October 18, 2024

सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए ऋषिराज पोपट ने किया, संस्कृत व्याकरण की महती आचार्य परंपरा का अपमान: डॉ शैलेश तिवारी

हरिद्वार। उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के व्याकरण विभागाध्यक्ष डॉ शैलेश कुमार तिवारी ने कहा की सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए कैंब्रिज विश्वविद्यालय के शोध छात्र गिरिराज पोपट संस्कृत व्याकरण की महती आचार्य परंपरा का घोर अपमान किया है। उन्होंने कहा जिन प्रयोगों की सिद्धि के लिए उनके द्वारा सर्वथा गलत तर्क दिया गया है , वह प्रयोग आचार्य पाणिनि के विशेष सूत्रों से ही सिद्ध हो जाते हैं। फिर भी मनगढ़ंत तर्क की कल्पना ऋषिराज पोपट ने की है। इससे उनका आचार्य के प्रति अविश्वास ही प्रकट हो रहा है। यह उनके शीर्षक “हम पाणिनि पर विश्वास करते हैं” के विरुद्ध है। उन्होंने कहा कि संस्कृत जगत के विद्वान इसका विरोध करते है और इस विषय पर आन लाइन या आफलाइन शास्त्रार्थ के लिए तैयार हैं।

डॉ शैलेश कुमार तिवारी ने बुधवार को

प्रेस क्लब हरिद्वार के सभागार में पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के शोधछात्र ऋषिराज पोपट के अनौचित्यपूर्ण तर्क का जिसमें आचार्य कात्यायन एवं आचार्य पतंज्जलि के पाणिनीय सूत्र “व्रिप्रतिषेधे परं कार्यम” के परम इस अंश पर प्रदत्त व्याख्यान का खंडन किया गया एवं अपना मनगढ़ंत, सर्वथा दुर्भावना पूर्ण अनुचित तर्क़ प्रस्तुत किया।‌ इस संबंध में राष्ट्रीय समाचार चैनल आज तक पर 2500 वर्ष पुरानी संस्कृत की गुत्थी को 27 साल के कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के शोधछात्र ऋषिराज पोपट ने सुलझाया समाचार का प्रसारण किया गया। इसको लेकर संस्कृत जगत के विद्वानों ने विरोध जताया है। उन्होंने कहा कि ऋषिराज ऊपर द्वारा जिस समस्या को सुलझाने की बात कही गई है वह कभी की ही नहीं अमृता को व्हाट्सएप उठना कि आगे समस्या कौन सी थी पहले यह बताया जाए? सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए ऋषिराज पोपट ने संस्कृत व्याकरण की महती आचार्य परंपरा का घोर अपमान किया है। इसकी घोर निंदा करते हैं। इस मौके पर श्रीभगवानदास आदर्श संस्कृत महाविद्यालय के साहित्य विभागाध्यक्ष डॉक्टर निरंजन मिश्रा, व्याकरण विभागाध्यापक डॉ दीपक कुमार कोठारी, उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय वेद विभाग के अध्यक्ष डॉ अरुण कुमार मिश्र सहित अन्य विद्वान मौजूद रहे।