हरिद्वार । श्रीभगवानदास आदर्श संस्कृत महाविद्यालय हरिद्वार में; दीक्षारम्भ- कार्यक्रम के अन्तर्गत, उत्तराखण्ड परिचय विषयक व्याख्यान का आयोजन किया गया।
ज्ञात हो कि केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय नई दिल्ली के निर्देशानुसार; श्रीभगवानदास आदर्श संस्कृत महाविद्यालय हरिद्वार में एक जुलाई से पन्द्रह जुलाई तक दीक्षारम्भ कार्यक्रम चल रहा है। कार्यक्रम के अष्टम दिवस पर, वेदान्त विभाग के प्राध्यापक डाॅ.आलोक सेमवाल ने नवागत छात्रों को उत्तराखण्ड राज्य का परिचय प्रदान किया।
छात्रों को उत्तराखण्ड राज्य का परिचय प्रदान करते हुए उन्होंने बताया कि 09 नवम्बर 2000 को उत्तराखण्ड को 11वें हिमालयी राज्य एवं देश के 27वें राज्य के रूप में मान्यता मिली।भारतवर्ष के उत्तरी सीमान्त हिमालय की गोद में अवस्थित उत्तराखण्ड प्रदेश को पौराणिक ग्रन्थों में देवभूमि,हिमवत् प्रदेश,मानसखण्ड,केदार खण्ड,कूर्माञ्चल एवं स्वर्गभूमि की संज्ञा से सुशोभित किया गया है।प्राचीन काल से ही इस पावन भूमि के प्राकृतिक,आध्यात्मिक,धार्मिक सांस्कृतिक एवं धार्मिक परिवेश ने अनेक मानव जातियों ऋषि मनीषियों तीर्थयात्रियों,प्रकृतिप्रेमियों एवं पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित किया है।यहाँ की भौगोलिक संरचना एवं विविधता भी अपने आप में विशिष्ट स्थान रखती है।
वर्तमान उत्तराखण्ड प्रदेश के अन्तर्गत गढवाल एवं कुमाऊँ दो मण्डल हैं।इनमें से प्रथम मण्डल गढवाल है।इसके विषय में सभी विद्वानों का मत है कि इस क्षेत्र में बावन छोटे-छोटे गढ होने से इस क्षेत्र का नाम गढवाल पडा । समय समय पर इन गढों पर, अनेक जातियों के राजाओं का शासन भी रहा।इसी प्रकार विष्णु भगवान् के द्वितीय अवतार कूर्म के नाम से द्वितीय क्षेत्र का नाम कुमाऊँ पडा।
इस अवसर पर व्याकरण विभागाध्यक्ष डाॅ.रवीन्द्र कुमार आर्य,आधुनिक विषय विभाग की सहायकाचार्य डाॅ.मञ्जू पटेल,अंग्रेजी विषय की सहायकाचार्य डाॅ.आशिमा श्रवण,वेदान्त विभाग के प्राध्यापक डाॅ.आलोक सेमवाल,योग विषय के प्राध्यापक श्री मनोज गिरि एवं श्री अतुल मैखुरी,संस्कृत शिक्षक डाॅ.प्रमेश बिजल्वाण,साहित्य विभाग के प्राध्यापक डाॅ.अंकुर आर्य ,व्याकरण विभाग के प्राध्यापक डाॅ.शिवदेव आर्य आदि सहित नव प्रविष्ट छात्र समुपस्थित रहे। कार्यक्रम के प्रारम्भ में महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य डाॅ.व्रजेन्द्र कुमार सिंहदेव के द्वारा भी छात्रों को अपना आशीर्वाद प्रदान किया गया।
इस पञ्चदश दिवसीय दीक्षारम्भ- कार्यक्रम का संयोजन, व्याकरण विभाग के प्राध्यापक डाॅ.दीपक कुमार कोठारी द्वारा किया जा रहा है।
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