December 23, 2024

भारत की आजादी हेतु अपने प्राणों को न्‍योछावर करने वाले स्वतंत्रता सेनानी राम प्रसाद बिस्‍मिल, अशफाकउल्‍ला खान और ठाकुर रोशन सिंह को भावभीनी श्रद्धाजंलि


‘✨*शहादत दिवस’ के अवसर पर भारत के वीर शहीदों को अर्पित आज की परमार्थ गंगा आरती*
*💐भारत की स्वतंत्रता की नींव उन शहीदों के बलिदान पर टिकी है*
*स्वामी चिदानन्द सरस्वती*
ऋषिकेश। आज, शहादत दिवस के अवसर पर भारत के तीन महान स्वतंत्रता सेनानी- राम प्रसाद बिस्‍मिल, अशफाकउल्‍ला खान और ठाकुर रोशन सिंह को परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने भावभीनी श्रद्धाजंलि अर्पित की। परमार्थ निकेतन की दिव्य गंगा आरती शहीदों को अर्पित कर उनके बलिदान को नमन किया।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि राम प्रसाद बिस्‍मिल, अशफाकउल्‍ला खान और ठाकुर रोशन सिंह का बलिदान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है। इन शहीदों ने अपनी जान की आहुति दी, जिससे आज हम स्वतंत्र भारत में सांस ले रहे हैं। इनकी शहादत ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा दी और समूचे देश को स्वतंत्रता के लिये प्रेरित किया।
स्वामी जी ने कहा कि राम प्रसाद बिस्‍मिल एक विलक्षण क्रांतिकारी थे। उनका कृतित्व उनकी क्रांतिकारी भावना और स्वतंत्रता के प्रति उनकी निष्ठा अद्भुत थी। उनका प्रसिद्ध गीत ’सारामाह’ आज भी देशवासियों में देशभक्ति का जज्बा जगाता है।
अशफाकउल्‍ला खान, एक महान क्रांतिकारी थे, अशफाकउल्‍ला खान की शहादत ने भारतीय युवाओं को यह सिखाया कि धर्म, जाति और समाज की सीमाएं भारतीय स्वतंत्रता की लड़ाई के रास्ते में कभी नहीं आ सकतीं। उनका बलिदान आज भी एक प्रेरणा का स्रोत है। ठाकुर रोशन सिंह अपने प्राणों की आहुति देकर काकोरी कांड के समय अपनी वीरता और देशभक्ति की सभी को प्रेरणा दी।
स्वामी जी ने कहा कि आज का दिन हम सबके लिए एक गर्व और सम्मान का अवसर है। हम उन महान स्वतंत्रता सेनानियों को याद करते हैं जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति देकर हमें आज़ादी दिलाई। उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। हम सबका कर्तव्य है कि हम उनकी शहादत के महत्व को समझें और अपने देश के लिए निरंतर काम करते रहें।

इन वीर शहीदों की शहादत के कारण ही भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हुई। हमें अपनी पवित्र भूमि के लिए कृतज्ञता का अहसास हमेशा बनाए रखना होगा।
भारत की स्वतंत्रता की नींव उन शहीदों के बलिदान पर टिकी हुई है। आज हम सबका यह दायित्व बनता है कि हम उनके योगदान को नमन करें और अपने देश को और अधिक समृद्ध और शक्तिशाली बनाने के लिए काम करें।