May 25, 2025

मानस कथा व्यासपीठ से लोकमाता महारानी अहिल्या बाई होल्कर जी की 300 वीं जन्म जयंती पर अर्पित की भावभीनी श्रद्धाजंलि

✨परमार्थ निकेतन गंगा जी के पावन तट पर आयोजित श्रीराम कथा का 10 वें दिन माननीय श्री मदन दिलावर जी, विद्यालय शिक्षा विभाग (स्कूल एजुकेशन), पंचायती राज विभाग, संस्कृत शिक्षा विभाग, कैबिनेट मंत्री, राजस्थान सरकार का आगमन
🌺परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और माननीय कैबिनेट मंत्री, श्रीमदन दिलावर सिंह जी ने संत मुरलीधर जी के श्रीमुख से हो रही दिव्य मानस कथा में सहभाग कर श्रद्धालुओं को किया सम्बोधित

✨सत्ता किसी को सताने के लिये नहीं बल्कि सेवा के लिये हो
स्वामी चिदानन्द सरस्वती

☘️गौ माता नहीं बचेगी तो हमारी कृषि भी नहीं बचेगी
मदन दिलावर

ऋषिकेश, परमार्थ निकेतन, 24 मई 2025। परमार्थ निकेतन, गंगा तट पर आयोजित दिव्य 34 दिवसीय श्रीराम कथा में आज स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में राजस्थान सरकार के कैबिनेट मंत्री, विद्यालय शिक्षा, पंचायती राज व संस्कृत शिक्षा विभाग, माननीय श्री मदन दिलावर जी ने सहभाग किया।

कथा व्यास श्रद्धेय संत मुरलीधर जी के श्रीमुख से प्रवाहित हो रही श्रीरामकथा के दसवें दिन श्री परशुराम संवाद का अद्भुत वर्णन किया।

कथा मंच से स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर जी को उनकी 300वीं जन्म जयंती पर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।

परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष, स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने अपने प्रेरणादायी उद्बोधन में कहा कि राजस्थान की माटी केवल वीरता की नहीं, बल्कि श्रद्धा, समर्पण और सेवा की भी प्रतीक है। यहाँ शौर्य के साथ संतुलित संयम, संस्कार और सेवा की भावना भी विद्यमान है। उन्होंने कहा कि राजस्थान की धरती पर जहाँ पैलेस हैं, वहीं अब ‘पीस’ अर्थात शांति भी होगी। जयपुर पींक सिटी है, अब पूरे राजस्थान को ‘पीस सिटी’ के रूप में भी पहचाना जाएगा और परमार्थ निकेतन इस दिशा में अद्भुत कार्य कर रहा है।

स्वामी जी ने कहा कि शिक्षा जीवन को सामथ्र्य देती है, लेकिन संस्कार जीवन को संतुलन और गरिमा प्रदान करते हैं। हमें केवल शिक्षा की ही नहीं, जीवनमूल्यों की भी आवश्यकता है जो जीवन की कठिन परिस्थितियों में भी हमें गिरने नहीं देते।

स्वामी जी ने लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि उन्होंने न केवल मंदिरों का पुनर्निर्माण किया, बल्कि टूटे हुए मनों को जोड़ा, समाज को एक नई दिशा दी और नारी नेतृत्व को एक नई ऊँचाई प्रदान की। जब राजधर्म में लोकधर्म का समावेश होता है, तब शासन सेवा बन जाता है और यही स्थायी सामाजिक परिवर्तन की आधारशिला बनती है।

माननीय श्री मदन दिलावर जी ने परमार्थ निकेतन में श्रीराम कथा के अवसर पर अपने संबोधन में ‘बर्तन आन्दोलन’ की प्रेरक जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि राजस्थान में यह आन्दोलन पर्यावरण संरक्षण और जनस्वास्थ्य के दृष्टिकोण से शुरू किया गया है। प्लास्टिक व थर्माकोल से बने डिस्पोजल आइटम्स न केवल पर्यावरण के लिए घातक हैं, बल्कि इनसे गंभीर रोग जैसे कैंसर होने की संभावना भी बढ़ जाती है।

उन्होंने चिंता व्यक्त की कि कई बार ये पत्तलें व डिस्पोजल सामग्री सड़कों और खुले स्थानों पर फेंकी जाती हैं, जिन्हें गौ माता खा लेती हैं, जिससे उन्हें आंतरिक चोट पहुंचती है। गौ माता नहीं बचेगी तो हमारी कृषि भी नहीं बचेगी। साथ ही यह धरती माता की उर्वरता और स्वच्छता को भी प्रभावित करती है। इन सभी समस्याओं को ध्यान में रखते हुए ‘बर्तन आन्दोलन’ एक सराहनीय और स्थायी समाधान के रूप में सामने आया है। यह पर्यावरणीय चेतना और भारतीय परंपरा की पुनसर््थापना का प्रतीक है। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि पेड़-पौधे धरती माता का श्रृंगार है इसलिये पौधों का रोपण कर उस श्रंृगार का संवर्द्धन करें।

संत मुरलीधर जी ने आज मानस कथा के माध्यम से परशुराम संवाद का अद्भुत वर्णन किया। परशुराम भगवान का जीवन त्याग, धर्म और कर्तव्य की अद्भुत मिसाल है। वे अधर्म का नाश करने वाले योद्धा थे। उन्होंने संदेश दिया कि जब भी अन्याय बढ़े, सत्य और धर्म के लिए हमें आवाज उठानी चाहिए। उनका जीवन हमें सिखाता है कि शक्ति का सही उपयोग तभी होता है जब वह न्याय और धर्म के लिए समर्पित हो।

इस अवसर पर स्वामी जी ने सभी श्रद्धालुओं को कथाओं, पर्वों, त्यौहारों और उत्सव के अवसर पर पेडे नहीं, पेड़ बाँटे। पेडे नहीं पेड़ बांटने का संकल्प कराया।