“भेड़ पालन से बढ़ी आमदनी, बनी आत्मनिर्भर महिला उद्यमी”
मुख्य विकास अधिकारी हरिद्वार श्रीमती आकांक्षा कोण्डे के निर्देशों के क्रम में जनपद हरिद्वार के समस्त विकासखंडों में अल्ट्रा पूवर सपोर्ट, एंटरप्राइजेज (फॉर्म एवं नॉन फॉर्म) तथा सीबीओ लेवल के एंटरप्राइजेज की स्थापना की जा रही है।
विकासखंड भगवानपुर के मंडावर गांव की मनीषा, जो पूजा स्वयं सहायता समूह से जुड़ी हैं और जिनका समूह ज्योतिर्मय सीएलएफ के मातृशक्ति ग्राम संगठन से संबद्ध है, पहले अपने पति के साथ दिहाड़ी मजदूरी कर परिवार का भरण-पोषण करती थीं। मजदूरी का काम कभी मिलता, कभी नहीं, जिससे आय अनिश्चित रहती थी। खेतों में दिनभर मेहनत करने के बाद भी उन्हें केवल 250 से 300 रुपये की ही कमाई होती थी। गांव में बकरी और भेड़ पालन का अनुभव होने के बावजूद, अपने व्यवसाय की शुरुआत का सही मार्ग उन्हें समझ नहीं आ रहा था।
इसी बीच, गांव में आयोजित ग्राम संगठन की बैठक में ग्रामोत्थान (रीप) परियोजना के ब्लॉक स्टाफ ने भाग लिया और परियोजना के अंतर्गत उपलब्ध योजनाओं की जानकारी दी। मनीषा को ज्ञात हुआ कि समूह से जुड़ी महिलाएं यदि स्वरोजगार शुरू करना चाहें, तो उन्हें वित्तीय एवं तकनीकी सहयोग प्राप्त हो सकता है।
वित्तीय वर्ष 2023-24 में, इस जानकारी ने मनीषा को अपने सपनों को साकार करने का अवसर दिया। उन्होंने बकरी एवं भेड़ पालन के लिए एक व्यक्तिगत लघु उद्योग का प्रस्ताव प्रस्तुत किया। परियोजना की कुल लागत 3 लाख रुपये थी, जिसमें 1.5 लाख रुपये का बैंक ऋण, 75,000 रुपये का स्वयं का अंशदान और 75,000 रुपये का अनुदान ग्रामोत्थान (रीप) परियोजना से मिला। इस धनराशि से मनीषा ने 15 भेड़ें खरीदीं और अपना उद्यम शुरू किया।
आज, ग्रामोत्थान (रीप) परियोजना के सहयोग से मनीषा का व्यवसाय सफलतापूर्वक चल रहा है। वह हर छह महीने में 15,000 से 20,000 रुपये की शुद्ध आय अर्जित कर रही हैं। आर्थिक रूप से सशक्त होने के साथ ही मनीषा अब अपने गांव में एक प्रेरणादायक महिला उद्यमी के रूप में जानी जाती हैं।
मनीषा कहती हैं, “ग्रामोत्थान परियोजना ने मुझे न केवल आजीविका का साधन दिया, बल्कि आत्मविश्वास भी दिया कि महिलाएं अपने दम पर सफल व्यवसाय खड़ा कर सकती हैं।”
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