हरिद्वार। माननीय ग्राम्य विकास मंत्री स्वामी यतीशवरानंद जी ने बृहस्पतिवार को राज्य परियोजना प्रबंधन इकाई ग्राम्य विकास विभाग उत्तराखण्ड सरकार द्वारा चंडीघाट में आयोजित ‘दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना‘ कार्यक्रम को वीडियो क्रांफ्रेसिंग के माध्यम से सम्बोधित किया।
श्री यतीशवरानंद ने अपने सम्बोधन में कहा कि दीन दयाल उपाध्याय-ग्रामीण कौशल्य योजना ग्रामीण युवाओं के लिए केन्द्र सरकार द्वारा चलाई गई एक महत्वाकांक्षी योजना है, जिसे उत्तराखण्ड राज्य में वर्ष 2017 से संचालित किया जा रहा है।
देश में विभिन्न कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम चल रहे है उन कार्यक्रमों में ग्रामीण विकास मंत्रालय, के माध्यम से संचालित दीन दयाल उपाध्याय-ग्रामीण कौशल्य योजना (डीडीयू-जीकेवाई) नामक कौशल प्रशिक्षण योजना का एक अनूठा स्थान है, क्योंकि इस कार्यक्रम में ग्रामीण क्षेत्र के गरीब युवाओं को निःशुल्क प्रशिक्षण तथा नियोजन उपरांत निगरानी, रोजगार जारी रखने और करियर में प्रगति को दिये जाने वाले महत्व एवं प्रोत्साहनों के माध्यम से उनके लिए रोजगार पर विशेष महत्व दिया जाता है।
मा. कैबिनेट मंत्री जी ने कहा कि इस योजना के अन्तर्गत सरकार प्रशिक्षण एजेन्सियों के माध्यम से प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है ताकि ग्रामीण युवा इसका लाभ लेकर अपना भविष्य उज्जवल बना सकंे तथा गरीब परिवारों का आर्थिक उन्नयन किया जा सके। राज्य सरकार द्वारा भारत सरकार के माध्यम से संचालित योजना के तहत् प्रशिक्षण एजेंसीज के सहयोग से युवाओं को मुफ्त प्रशिक्षण, रहन-सहन तथा रोजगार के अवसर प्रदान कर रही है। पाठयक्रम के पूरा होने पर, ये युवक-युवतियाॅ विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत् है जैसे कि परिधान और वस्त्र, आॅटो मोबाइल, बैंंिकग/बीमा और वित्तीय सेवाएं, स्वास्थ्य सेवाएं एवं पर्यटन आदि।
मा0 ग्राम्य विकास मंत्री ने कहा कि इस योजना के तहत् अब तक 5500 से अधिक युवा प्रशिक्षण ले चुके हैं उनमें से 3000 से अधिक युवा राष्ट्रीय एवं अंतराष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न संस्थानों में काम कर रहे है। वर्तमान में राज्य के 13 जनपदों में डीडीयू-जीकेवाई के 53 प्रशिक्षण केन्द्र सुचारु रुप से कार्यरत् है। कोविड के कारण यह योजना प्रभावित रही है फिर भी राज्य सरकार के प्रयासों से यह योजना अत्यंत सफल हो रही है और ग्रामीण युवा रोजगार के अवसर पाकर अपनी आजीविका सुनिश्चित कर रहे हैं, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी की दर भी कम हो रही है और ग्रामीण युवाओं के सपनों को एक नई उडान मिल रही है। यह योजना निश्चित ही राज्य के ग्रामीण युवाओं के भविष्य ही नहीं, अपितु राज्य के विकास में भी कारगर साबित हो रही है। उन्होंने कहा कि दीन दयाल उपाध्याय-ग्रामीण कौशल्य योजना (डीडीयू-जीकेवाई) की रुपरेखा में ग्रामीण भारत को देश की विकास गाथा में सक्रिय भागीदार बनाने वाली कार्य नीति बनाई गयी है ताकि राष्ट्रीय एवं अन्तराष्ट्रीय स्तर पर कुशल कार्य बल मिले।
श्री यतीशवरानंद ने बताया की दीन दयाल उपाध्याय-ग्रामीण कौशल्य योजना के तहत प्रशिक्षण लेने वाले पूर्व छात्रों के अनुभवों का आदान-प्रदान हेतु यह आयोजन किया गया है। योजना के तहत प्रशिक्षण पाठयक्रम विभिन्न परियोजनाओं क्रिर्यावन्यन एजेंसियों द्वारा उत्तराखण्ड के विभिन्न जिलों में स्थित अपने विभिन्न प्रशिक्षण केन्द्रों पर प्रदान किये जा रहे है । आज 3000 से अधिक उम्मीदवार कई प्रतिष्ठित संगठनों में काम कर रहे है और 20 से अधिक अभ्यर्थियों ने अंतर्राष्टीय प्लेसमेंट भी हासिल किया है और दो साल से अधिक समय से अपने स्थानों पर कार्य कर रहे है। यहां पर राज्य के कुछ अभ्यर्थी जो प्रशिक्षण उपरांत विभिन्न सेवा सेक्टर में कार्यरत है, उनके द्वारा भी प्रतिभाग किया गया तथा अनुभवों का आदान प्रदान किया गया । राज्य सरकार द्वारा इस प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन, येाजना के तहत वर्तमान में प्रशिक्षणरत अभ्यर्थियों के प्रोत्साहन हेतु अत्यंत ही सराहनीय प्रयास है।
मा0 कैबिनेट मंत्री ने दीन दयाल उपाध्याय-ग्रामीण कौशल्य योजना (डीडीयू-जीकेवाई) ने राज्य में एक युवा और कुशल कार्य बल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हैं । इस एल्युमिनी मीट कार्यक्रम के तहतग्राम्य विकास विभाग, उत्तराखंड सरकार द्वारा इस योजना के तहत प्रशिक्षण प्राप्त कुशल युवाओं के लिए 10 हजार से अधिक रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए लगभग 15 से अधिक नियोक्ताओं के साथ एम0ओ0यू0 भी हस्ताक्षरित किया गया है।
कार्यक्रम में अपर सचिव ग्राम्य विकास एवं परियोजना निदेशक, डी0डी0यू0-जी0के0वाई0 श्री उदयराज सिंह, डाॅ0 प्रभाकर बेबनी, मुख्य क्रियान्वयन अधिकारी, डी0डी0यू0-जी0के0वाई0, टी0एस0ए0टीम के सदस्य एंव वापकोस के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।
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