Jodhpur: यौन दुराचार के आरोप में आजीवन कारावास की सजा काट रहे आसाराम की ओर से राजस्थान हाईकोर्ट मुख्य पीठ जोधपुर में पेश अपील पर आज सुनवाई हुई. वरिष्ठ न्यायाधीश संदीप मेहता और न्यायाधीश विनोद कुमार भारवानी खंडपीठ के समक्ष आसाराम की ओर से पीड़िता के अधिवक्ता पीसी सोंलकी से वीसी के जरिए कनेक्टिविटी नहीं होने पर ऑडियो कॉल किया गया।
वहीं, उन्होने अस्वस्थ होने की वजह से एक सप्ताह का समय देने की प्रार्थना की लेकिन कोर्ट ने अधिवक्ता को बहस के लिए दो दिन का समय देते हुए 20 जनवरी को अगली सुनवाई मुकरर्र कर दी।
गौरतलब है कि पिछली सुनवाई पर आसाराम की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा था कि उनकी ओर से सीआरपीसी की धारा 391 का एक प्रार्थना पत्र लंबित है, उस पर सुनवाई की जाए. आसाराम की ओर से अधिवक्ता ने जो प्रार्थना पत्र पेश किया है उसमें तत्कालीन डीसीपी अजय पाल लांबा से संबंधित है.
उन्होने अपनी एक पुस्तक आसाराम को लेकर लिखी है, जिसमें एक पेज पर कुछ लिखा है कि उसकी आधार बनाकर आसाराम के अधिवक्ता तत्कालीन डीसीपी लांबा जो कि इस केस में अधिकारी थे उसकी साक्ष्य करवाना चाहते है.
उन्होने तत्कालीन डीसीपी लांबा को न्यायालय में बुलाने और साक्ष्य दर्ज करने को लेकर प्रार्थना पत्र पेश कर रखा है. तत्कालीन डीसीपी लांबा ने ही आसाराम को गिरफ्तार किया था और अपराध स्थल की जांच करते हुए वीडियोग्राफी करवाई थी. अब आसाराम के अधिवक्ता उसी को आधार बनाकर दुबारा साक्ष्य करवाना चाहते है.
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