April 2, 2025

महिला दिवस के स्थान पर मानसिकता परिवर्तन दिवस होना चाहिए: डॉ मनु शिवपुरी

हरिद्वार। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की ब्रांड एंबेसडर डॉ मनु शिवपुरी ने वर्तमान समय के परिपेक्ष में भारतीय महिलाओं की दशा एवं दिशा एवं उनके आत्मसम्मान की हो रही घोर उपेक्षा को लेकर अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि क्या वास्तव में महिला दिवस मनाना ही मात्र महिलाओं को सम्मान देने का जरिया रह गया है ? क्या वास्तव में महिलाओं को उनकी वास्तविक पहचान उनका वास्तविक परिचय उनको मिल गया है ? इस प्रश्न पर अगर मेरी निजी राय मांगी जाए तो मैं कहूंगी की महिला दिवस का नाम परिवर्तित करके “”””सोच परिवर्तन दिवस”””” या “””मानसिकता परिवर्तन दिवस””” नाम कर दिया जाना चाहिए। जबकि जो लोग पहले से ही महिलाओं को सम्मान देते हैं, वही इसे आगे बढ़ाते हुए महिला दिवस पर बढ़-चढ़कर सम्मान प्रदान कर इस स्वस्थ परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। वह बधाई के पात्र हैं, वही दूसरी ओर समाज में कुछ ऐसे संकीर्ण विक्षिप्त सोच वाले व्यक्ति भी है जो कि महिलाओं को हर क्षेत्र में आगे बढ़ने से रोकते हैं।

महिलाओं को अपने से आगे बढ़ना देखना नहीं चाहते हैं। अतः ऐसे कुंठित मानसिकता वादी लोगों की सोच पर गहरा कटाक्ष होकर उनका मानसिकता परिवर्तन दिवस होना चाहिए।

डॉ मनु शिवपुरी के मुताबिक प्रचार प्रसार से यह कहीं ना कहीं उनकी मानसिकता पर चोट पहुंचाता है। ऐसे लोग चाहते हैं कि महिला अभी भी अपनी पहचान अपनी आर्थिक आजादी को कभी भी स्वीकार ना करें। उसके लिए आगे ना बढ़े और उनके घर के चार दिवारी में ही रहकर जीवन के अंत समय तक समय व्यतीत करें। वही इस सबसे इतर सामान्यतः घरेलू महिला कभी भी घर के कार्य हो या हो या बच्चों के लालन-पालन की जिम्मेदारी उसे भी सहर्ष खुशी से निभाकर ही आगे कार्य करना चाहती है। किंतु उसे आगे बढ़ने नहीं दिया जाता कि कहीं वह अपनी जिम्मेदारियों से विमुख हो जाएगी और उन्मुक्त हो जाएगी। जबकि ऐसा नहीं है अधिकांश महिलाएं अपनी जिम्मेदारियों के साथ अपने घर परिवार को भी सही से निर्वाह कर रही हैं। किंतु उनकी जॉब की वजह से उन्हें कितना विपरीत व्यवहार घरों में झेलना पड़ता है, इसका आकलन कोई नहीं जानता।

शायद इस कश्मकश से ही पारिवारिक कलह एवम् हिंसा जनित होती हैं। कई परिवार या कई पुरुष सदियों से देखते आ रहे महिलाओं की पहचान पर अंकुश को ही इनकी जिंदगी का सत्य मान उन्हें इस जिंदगी से बाहर नही निकलने देना चाहते है। मैं महिलाओं से भी कहना चाहती हूं कि वो अपनी आजादी का दुरुपयोग कभी न करें। तभी हम मानसिकता परिवर्तन दिवस को एक दिन अवश्य मना पाएंगे ।