- त्याग, तपस्या की प्रतिमूर्ति थे स्वामी मुक्तानन्दः स्वामी रामदेव
- ब्रह्मलीन स्वामी मुक्तानंद महाराज का जीवन निर्मल जल के समान था:बालकृष्ण
हरिद्वार। योग गुरु स्वामी रामदेव के बाल्यकाल के सहयोगी स्वामी मुक्तानंद महाराज की षोडशी बहादराबाद स्थित पतंजलि योगपीठ में सभी अखाड़ों के संतों के सानिध्य में मनाई गई। संतों ने स्वामी मुक्तानंद महाराज को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए उन्हें पुण्य आत्मा बताया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी महाराज ने कहा कि स्वामी मुक्तानंद महाराज ने पतंजलि योगपीठ को उन्नति की ओर अग्रसर करने में अपना जीवन समर्पित किया धर्म और संस्कृति के प्रखंड विद्वान स्वामी मुक्तानंद महाराज का जीवन सदैव युवा संतो के लिए प्रेरणादाई रहेगा। योगगुरू स्वामी रामदेव महाराज ने कहा कि वैराग्य वृत्तियों से युक्त ब्रह्मलीन स्वामी मुक्तानंद महाराज त्याग एवं तपस्या की साक्षात प्रतिमूर्ति थे। जिन्होंने जीवन पर्यंत सनातन परंपराओं का निर्वहन करते हुए योग एवं आयुर्वेद के प्रचार प्रसार में योगदान किया। योग एवं आयुर्वेद के उत्थान तथा पतंजलि योगपीठ के विकास में उनका अहम योगदान हमेशा स्मरणीय रहेगा। उन्होंने कहा कि उनके अधूरे कार्यो को आगे बढ़ाया जाएगा।
पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी मुक्तानंद महाराज का जीवन निर्मल जल के समान था। उनके जीवन से सभी को प्रेरणा लेनी चाहिए। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष एवं श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज ने कहा कि योग एवं आयुर्वेद के प्रखर विद्वान ब्रह्मलीन स्वामी मुक्तानंद ने अपना पूरा जीवन रोगों से पीडि़त लोगों की सेवा में व्यतीत किया। पीडितों के प्रति उनकी सेवा भावना सभी को सदैव प्रेरणा देती रहेगी। निरंजन पीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा कि पतंजलि योगपीठ के विभिन्न सेवा प्रकल्पों को आगे बढ़ाने में बह्मलीन स्वामी मुक्तानंद महाराज का योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा। श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल के अध्यक्ष श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज व कथावाचक विजय कौशल ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी मुक्तानंद योग एवं आयुर्वेद के उच्च कोटि के विद्वान थे। ऐसे विद्वान संत को समस्त संत समाज नमन करता है।
श्रद्धांजलि देने वालों में श्रीमहंत रघुमुनि महाराज, स्वामी हरिचेतनानन्द, महंत गंगादास उदासीन, स्वामी सत्यव्रतानन्द, महंत दामोदर दास, पूर्व पालिकाध्यक्ष सतपाल ब्रह्मचारी, स्वामी हरिहरानंद, स्वामी रविदेव शास्त्री, रामभरत, यशदेव शास्त्री, स्वामी जगदीशानंद, स्वामी कृष्णानंद, एमपी सिंह, महंत जसविन्दर सिंह, महंत अमनदीप सिंह, महंत दामोदरशरण दास, महंत निर्मल दास, महंत रघुवीर दास, महंत सूरजदास, महामण्डलेश्वर स्वामी कपिलमुनि, महंत प्रहलाद दास, महंत दुर्गादास, महंत बिहारी शरण, महंत कमलदास, महंत सूर्यनारायण गिरी, स्वामी अवन्तिकानन्द ब्रह्मचारी आदि सहित बड़ी संख्या में संत शामिल रहे।
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