हरिद्वार। शिवालिक पर्वतमाला में स्थित मनसादेवी पहाड़ी पर बरसात की वजह से हिलबाईपास व आबादी वाले क्षेत्रों में जगह-जगह लगातार हो रहे भू-स्खलन को देखते हुये जिलाधिकारी श्री धीराज सिंह गर्ब्याल की पहल पर निदेशक उत्तराखण्ड भूस्खलन न्यूनीकरण एवं प्रबन्धन केन्द्र (यूएलएमएमसी) डाॅ0 शान्तनू सरकार के निर्देशन में विशेषज्ञों की एक टीम, जिसमें यूएसडीएमए जीआईएस एक्सपर्ट डाॅ0 रोहित कुमार, यूएसडीएमए भूवैज्ञानिक डाॅ0 टन्ड्रिला सरकार ने विगत 26 एवं 31 जुलाई,2023 को भूस्खलन वाले क्षेत्रों का व्यापक व गहन स्थलीय निरीक्षण किया था, जिसकी रिपोर्ट विशेषज्ञ टीम ने जिलाधिकारी को सौंप दी है, जिसमें विशेषज्ञों ने उल्लेख किया है कि- हिल बाईपास सड़क के किनारे स्थित अस्थिर ढलानों को स्थिरता प्रदान करने के लिए पानी की उचित निकासी की व्यवस्था के साथ ही सतह के उपचार के लिये रिटेनिंग दीवारों का निर्माण किया जायेl इसके साथ ही रिटेनिंग स्ट्रक्चर को पहाड़ी की तरफ के साथ- साथ घाटी की तरफ भी लागू किया जाना चाहिएl उन्होंने सुझाव दिया है कि चूंकि, प्रभावित क्षेत्रों में पानी का प्रवेश एक बड़ी समस्या के रूप में पहचाना जाता है, इसलिए उचित जल निकासी के लिए साइट का अध्ययन किया जाना चाहिए तथा उसी अनुसार क्षेत्र में उचित सतही जल निकासी प्रदान की जानी चाहिएl उन्होंने रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया है कि उचित जल निकासी प्रणाली अपनाते हुए जगह-जगह चेक बांध बनाये जाने चाहिए ताकि ढलान से होते हुए जो मलबा शहर तक पहुँच रहा है, उसकी रोक- थाम हो सकेl इसके अतिरिक्त जल निकासी के किनारे चेक बांधों का भी पुनर्निर्माण किया जाना चाहिए , पुरानी नालियां जो क्षतिग्रस्त हैं और मलबे आदि से भरी हुई हैं, उनकी मरम्मत तथा सफाई की जानी चाहिए, ढलान पर जहाँ-जहाँ पर भी ढीली मिट्टी है, उसे तार की जाली की सहायता से मजबूत किया जाना चाहिएl टीम ने यह भी सुझाव दिया कि आगे के कटाव और फिसलन को रोकने के लिए मिट्टी के ढलान पर कटाव नियंत्रण चटाई बिछाना भी एक बेहतर विकल्प हो सकता है।
रेलवे ट्रैक के पास अस्थिर ढलान के संबंध में टीम ने सुझाव दिया है कि ढीले मलबे को ट्रैक तक पहुंचने की संभावना को रोकने के लिए रेलवे ट्रैक के पास अस्थिर ढलान पर आरसीसी रिटेनिंग दीवार बनाई जाये l
टीम ने रिपोर्ट में उल्लेख करते हुए बताया है कि बड़े पैमाने पर पूरा मानचित्र तैयार करने के लिए पूरे क्षेत्र के स्थलाकृतिक मानचित्रण की आवश्यकता है तथा मनसा देवी पहाड़ी के 3डी स्थलाकृतिक मानचित्रण के लिए ड्रोन सर्वेक्षण का भी सुझाव दिया गया है, जिससे उच्च- रिज़ॉल्यूशन छवियां प्राप्त हो सकती हैं l
टीम ने रिपोर्ट में शमन उपायों के साथ- साथ भूवैज्ञानिक, स्थलाकृतिक, भूभौतिकीय और भू- तकनीकी सर्वेक्षण व जांच का सुझाव भी दिया हैl
जिलाधिकारी श्री धीराज सिंह गर्ब्याल ने निदेशक उत्तराखण्ड भूस्खलन न्यूनीकरण एवं प्रबन्धन केन्द्र (यूएलएमएमसी) श्री शान्तनू सरकार तथा उनकी टीम का शीघ्र स्थलीय निरीक्षण रिपोर्ट प्रस्तुत करने हेतु धन्यबाद ज्ञापित किया l उन्होंने कहा है कि विशेषज्ञ टीम ने जो रिपोर्ट प्रस्तुत की है, उस अनुसार शीघ्र ही आवश्यक कदम उठाये जायेंगे l
More Stories
आबकारी आ राज्य में त्रिकाल नामक मदिरा ब्राण्ड को निर्माण, रजिस्ट्रेशन अथवा बिक्री हेतु अनुमति नहीं: सेमवाल
मुख्यमंत्री ने उत्तराखंड की सुश्री राधा भट्ट को साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में पद्म श्री से सम्मानित किए जाने पर राज्य का भी सम्मान बताया
21 जून को भराड़ीसैंण में होगा योग दिवस का मुख्य आयोजन