November 5, 2024

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी का पावन सान्निध्य, आशीर्वाद व प्रेरक उद्बोधन

🌸परमार्थ निकेतन गंगाजी के पावन तट पर प्रसिद्ध कथावाचक जया किशोरी जी की मधुर वाणी में तीन दिवसीय ’नानी बाई को मायरो’ कथा*

*🌼स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी का पावन सान्निध्य, आशीर्वाद व प्रेरक उद्बोधन*

*💥जया किशोरी जी ने परमार्थ निकेतन गंगा जी की आरती में किया सहभाग*

*✨नानी बाई को मायरो, भक्ति की शक्ति की अद्भुत कथा*

*💐स्वामी चिदानन्द सरस्वती*

 

ऋषिकेश, 2 सितम्बर। परमार्थ निकेतन में प्रसिद्ध कथावाचक जया किशोरी जी की मधुर वाणी मंे हो रही कथा नानी बाई को मायरो के दूसरे दिन भक्तों को स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी का पावन सान्निध्य, आशीर्वाद और प्रेरक उद्बोधन श्रवण करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने आज नानी बाई को मायरो कथा के दौरान मां के गुणों की महिमा बताते हुये कहा कि मां का वात्सल्य और ममता अद्भुत है। मां का मीठा-मीठा बोलना और उनकी ममता बच्चों को सुरक्षा और प्रेम का अहसास कराती है। वह अपने बच्चोेेेेें को जीवन के हर मोड़ पर सही निर्णय लेने के लिये परिपक्व करती है ताकि वे समाज में एक आदर्श व्यक्ति बन सकें।

स्वामी जी ने भक्ति की महिमा बताते हुये कहा कि एक भक्त का अपने ईश्वर के प्रति अटूट विश्वास और प्रेम कितना मजबूत होता है यही संदेश हमें नानी बाई को मायरो से मिलती है। एक सच्चा भक्त अपने ईश्वर के प्रति समर्पित होता है और हर परिस्थिति में अपने ईश्वर पर विश्वास रखता है। स्वामी जी ने कहा कि भक्ति का मार्ग कठिन हो सकता है, लेकिन यह आत्मा को शांति और संतोष प्रदान करता है।

नरसी मेहता जी एक महान भक्त और संत थे, उन्होंने अपने जीवन में अनेक कठिनाइयों का सामना किया, लेकिन उनका प्रभु के प्रति विश्वास कभी नहीं डगमगाया। उनकी भक्ति और विश्वास हमें सिखाते हैं कि चाहे कितनी भी कठिनाइयाँ आएं, हमें अपने ईश्वर पर अटूट विश्वास रखना चाहिए। नरसी मेहता का जीवन एक प्रेरणा है कि सच्ची भक्ति और विश्वास से हम किसी भी कठिनाई को पार कर सकते हैं।

नरसी मेहता का जीवन कठिनाइयों से भरा था। उनके पास धन की कमी थी और समाज व परिवार ने भी उनका कई बार तिरस्कृत किया लेकिन उनकी भक्ति और विश्वास ने उन्हें हमेशा मजबूत बनाए रखा। एक बार जब उनके पिता के श्राद्ध के लिए घी की आवश्यकता थी, तो भगवान कृष्ण ने स्वयं नरसी मेहता का रूप धारण कर घी लाकर दिया। उनकी बेटी नानी बाई की बेटी के विवाह में मायरा भरने के लिए उनके पास धन नहीं था लेकिन भगवान कृष्ण ने उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर स्वयं मायरा भरा और विवाह को सफल बनाया। अगर भक्त की भक्ति में शक्ति होती हैं तो प्रभु स्वयं आते हैं यह कथा हमें भक्ति का शक्ति का संदेश देती है।

आज के प्रसंग में जया किशोरी जी ने सुनाया कि एक बार नरसी मेहता को एक धार्मिक आयोजन में आमंत्रित किया गया था, जहाँ उन्हें कीर्तन करना था। आयोजन के दौरान, वहाँ उपस्थित लोगों ने नरसी मेहता की भक्ति की परीक्षा लेने का निर्णय लिया। उन्होंने नरसी मेहता से कहा कि अगर उनकी भक्ति सच्ची है, तो भगवान श्रीकृष्ण स्वयं उन्हें हार (माला) पहनाएंगे।

नरसी मेहता ने भगवान श्रीकृष्ण से प्रार्थना की और कीर्तन में लीन हो गए। उनकी भक्ति और प्रार्थना से प्रसन्न होकर, भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं आकर नरसी मेहता के गले में हार डाल दी। उन्होंने कहा कि यह कोई चमत्कार नहीं बल्कि नरसी मेहता की भक्ति की शक्ति है। हम सभी के भीतर भी यह शक्ति विद्यमान है जरूरत है तो प्रभु प्रति अपने विश्वास प्रबल करने की। नरसी मेहता का जीवन और उनकी भक्ति हमें सिखाती है कि सच्चे मन से की गई भक्ति और श्रद्धा कभी व्यर्थ नहीं जाते।