*✨स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाकुम्भ 2025 -चिंतन मंथन विशेष कार्यकम में विशेष रूप से आमंत्रित*
*💥महाकुम्भ 2025 के दिव्यता व भव्यता से युक्त आयोजन पर हुआ विचार मंथन*
*💥परमार्थ निकेतन में आयी दादियों (वृद्ध माताओं) ने जल संरक्षण व नदियों के संरक्षण के विषय में प्राचीन विधियों को किया साझा*
*☘️क्लीन, ग्रीन और सरीन महाकुम्भ*
*💦सिंगल यूज प्लास्टिक मुक्त महाकुम्भ 2025 पर मंथन*
*💦शाही स्नान के साथ संगम स्नान*
*🌸संगम में डुबकी के साथ संगम की डुबकी*
*🙏🏻स्वामी चिदानन्द सरस्वती*
ऋषिकेश, 23 सितम्बर। परमार्थ किनेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने इन्डिया थिंक काउंसिल द्वारा आयोजित महाकुम्भ 2025 -चिंतन मंथन आॅनलाइन प्लेटफाॅर्म के माध्यम से जुड़कर महाकुम्भ 2025 को दिव्यता व भव्यता से युक्त बनाने हेतु चिंतन-मंथन किया।
इस अवसर पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने तिरुपति मंदिर प्रसादम् मामले पर विचार साझा करते हुये कहा कि यह घिनौना कृत्य सनातन संस्कृति को दूषित करने की बड़ी साजिश है। विधर्मियों ने पहले तो मन्दिरों पर कंट्रोल किया फिर धीरे-धीरे मन्दिरों में प्रवेश किया और अब पूरी संस्कृति के ही विनाश करने की साजिश की जा रही है और मन्दिरों की शुद्धि का विनाश किया जा रहा है। हमारी आस्था से खिलवाड़ किया जा रहा है।
स्वामी जी ने कहा कि मन्दिर अर्थात् सबसे शुद्धतम् स्थान, प्रसादम् अर्थात सबसे शुद्धतम् वस्तु उसी के साथ खिलवाड़ यह महापाप है और जघन्य अपराध है। उन्होंने कहा कि धार्मिक विश्वास, धार्मिक भावनाओं का अनादर कभी भी बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। सनातन संस्कृति के साथ खिलवाड़ वह भी अपने फायदे के लिये जघन्यता की श्रेणी में आता है। थोड़े से फायदे के लिये, अपने मूल, मूल्य, परम्परा, आस्था, विश्वास, करोड़ों श्रद्धालुओं की भावनाओं और आस्था के साथ खेलना कहा का न्याय है। जो हमारे धाम शुद्धता, पवित्रता और शुचिता के केन्द्र है वहां पर किसी भी प्रकार की अशुद्धता के प्रवेश के विषय में सोचना भी एक तरह का अपराध है इसलिये दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिये।
प्रसादम् में अशुद्धता, प्रसादम में घोटाला, प्रसादम् से खिलवाड़ हमारी पूरी सनातन संस्कृति से खिलवाड़ है। अब समय आ गया है कि मन्दिरों की कमेटी में पूज्य संतों, मदिरों व मठों के सनातन धर्म को जीने वाले पदाधिकारियों और चितंकों को स्थान मिले ताकि सब की दृष्टि हो क्योकि बात केवल एक मन्दिर की नहीं सनातन संस्कृति की है, बात प्रभु की है और बात नियंता की है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि कुम्भ, विश्व का सबसे बड़ा मेला है, जो सदियों से चला आ रहा है। जिसने पूरे विश्व को विश्व बन्धुत्व का संदेश दिया है। कुम्भ हमें अपनी जड़ांे से जुड़ने, भारतीय संस्कृति को पहचानने, अपने गौरव को जानने तथा इस गौरवमय संस्कृति को आत्मसात करने का अवसर प्रदान करना है।
स्वामी जी ने कहा कि वर्ष 2019, प्रयागराज में माननीय प्रधानमंत्री भारत, श्री नरेन्द्र मोदी जी के कुशल मार्गदर्शन और उत्तरप्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी के नेतृत्व में आयोजित कुम्भ अद्भुत था, जिसने वैश्विक स्तर पर एक मिसाल कायम की।
आगामी महाकुम्भ 2025 भी अद्भुत व अलौकिक होने वाला है और यह एक बड़ा अवसर है, संगम के तट से संगम का संदेश देने का ताकि यहां से पूरे विश्व को वसुधैव कुटुम्बकम् का संदेश जाये।
स्वामी जी ने कहा कि माननीय मोदी जी के जन्मदिवस से महात्मा गांधी जी के जन्मदिवस तक पूरा देश स्वच्छता पखवाड़ा मना रहा हैं और उत्तरप्रदेश सरकार, माननीय मुख्यमंत्री उत्तरप्रदेश श्री योगी आदित्यनाथ जी और पूरा उत्तरप्रदेश शासन-प्रशासन क्लीन, ग्रीन और सरीन कुम्भ की तैयारियां कर रहे हैं जो अद्भुत कार्य है।
स्वामी जी ने कहा कि कुम्भ के दौरान स्वच्छता को बनाये रखने के लिये सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग बिल्कुल न हो क्योंकि यह धरती, हमारी नदियों और हमारे स्वास्थ्य के लिये हानिकारक हैं इसलिये कपड़े के झोले का प्रयोग हो अब समय आ गया हक झोले में लायें नहीं बल्कि लेकर जायें क्योंकि अपना कचरा अपनी जिम्मेदारी।
उन्होंने कहा कि झोले बनाने में खर्च तो होगा परन्तु प्लास्टिक कचरे से जो गंदगी व प्रदूषण होगा उसे तो रोका जा सकता है हमें यह भी याद रखना होगा कि गंदगी व बंदगी साथ-साथ नहीं हो सकती इसलिये शाही स्नान तो हो पर अब संगम स्नान भी हो। महाकुम्भ के दौरान आध्यात्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन, भारतीय संस्कृति और संस्कारों का आयोजन तो हो परन्तु साथ ही जल, जंगल, जमीन और सब प्राणीमात्र के जीवन को स्वच्छ व स्वस्थ कैसे रखना है इस पर भी चितंन, मंथन व एक्शन हो। इन विषयों पर स्वामी जी ने कई प्रेरणादायक विचार साझा किये।
स्वामी जी ने कहा कि कुम्भ के दौरान संगम स्नान का बड़ा महत्व है इसलिये संगम में स्नान करने से पूर्व हमें संगम को स्नान करायें अर्थात आसपास किसी भी प्रकार का कचरा हो उसे अपने झोले में डाले-अपना कचरा भी मेले में नहीं झोले में हो। क्योंकि संगम है, हमारे देश का समाधान और संगम ही है इस देश का संविधान। अतः संगम को समझें और संगम को जियंे। जब हमारी नीति और नियति साफ होती है तो नियति हमेशा सतत विकास और सुरक्षित विकास की ओर ले जाती है। भारत अपने लिये नहीं बल्कि भारत तो पूरे विश्व के लिये जीता है। भारत कोई धरती का टुकड़ा नहीं बल्कि भारत तो जीता जागता राष्ट्र है इसलिये सर्वसमावेशी संस्कृति ही है समाधान। संगम के तट से संगम का संदेश, महाकुम्भ का संदेश – स्वस्थ शरीर, समृद्ध भारत।
परमार्थ निकेतन में वाइल्ड लाइफ इन्टिट्यूट के अधिकारियों के साथ नदियों के ंसंरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली पांच से अधिक राज्यों की नदी व नदी संस्कृति की रक्षा करने वाली दादियों ने परमार्थ निकेतन गंगा आरती में सहभाग कर पूज्य स्वामी जी से भेंट का आशीर्वाद लिया।
स्वामी जी ने कहा कि आप सभी के पास प्राचीन व पौराणिक ज्ञान है उसे आज की युवा पीढ़ीयों के साथ साझा करें ताकि हमारे प्राकृतिक संसाधनों के साथ नदियाँ व नदी संस्कृति भी बची रहे।
इस महाकुम्भ-2025 की थीम इस वर्ष “भव्य-दिव्य और नव्य” होगा। महाकुम्भ 2025 प्रयागराज की प्रमुख स्नान तिथियाँ-मकर संक्रांति 14 जनवरी, पौष पूर्णिमा 13 जनवरी, मौनी अमावस्या 29 जनवरी, बसंत पंचमी 3 फरवरी, माघी पूर्णिमा 12 फरवरी, महाशिवरात्रि 26 फरवरी होगी। इन तिथियों पर विशेष ध्यान रखने की जरूरत कि सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग न हो ताकि हमारी नदियाँ स्वच्छ व प्रदूषण मुक्त बनी रहे।
इस अवसर पर श्री जीएस नवीन कुमार आईएएस सचिव सिंचाई, उत्तर प्रदेश सरकार, प्रो. संजय पासवान पूर्व केंद्रीय मंत्री, प्रो श्रीनिवास वोराखेड़ी कुलपति केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, प्रो. जीएसआर कृष्णमूर्ति कुलपति राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, डॉ. नीरजा ए. गुप्ता कुलपति गुजरात विश्वविद्यालय, प्रो. मनोज दीक्षित, कुलपति एमजीएसयू, श्री सौरभ पांडे, निदेशक इंडिया थिंक काउंसिल और अन्य विभिष्ट विभूतियों ने आनलाइन प्लेटफार्म के माध्यम से जुड़कर महाकुम्भ-2025 पर चिंतन मंथन किया।
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