श्मशान घाट पर काम करने वाली संस्था का दावा नमामि गंगे के साथ एग्रीमेंट
हरिद्वार।
तीर्थनगरी में कोरोनाकाल के दौरान चंडीघाट श्मशान घाट पर काफी समय से शव दाह संस्कार करने के लिए जजिया कर वसूला जा रहा है। जिसका शोर मीडिया और सोशल मीडिया में मचा हुआ हैं। ऐसा भी नहीं कि हरिद्वार के प्रशासन, सांसद, विधायकों को मामले की जानकारी नहीं हैं। मगर सब इस मामले पर मौन है। एसडीएम हरिद्वार के मुताबिक श्मशान घाट पर काम करने वाली संस्था का दावा हैं कि नमामि गंगे के साथ उनका एग्रीमेंट है। उसके आधार पर ही शव दाह संस्कार करने के एवज में साफ-सफाई, पण्डित, चिता बनाने वाले और लकडी का शुल्क शामिल है। संस्था से एग्रीमेंट की कापी मांगी गयी हैं जिसका अवलोकन किया जाएगा। देश की आजादी के बाद हिन्दुस्तान में शवदाह संस्कार के लिए व्यवस्था के नाम पर जबरन कर वसूलने का तीर्थनगरी में पहला मामला है। उत्तरी हरिद्वार क्षेत्र के व्यापारी नेता विपिन शर्मा ने बताया कि चंडी घाट श्मशान घाट पर मृतक के दाह संस्कार के लिए 2480 रुपए लिया जा रहा है। विकट परिस्थितियों में श्मशान घाटों पर अवसर तलाशते हुए जिस तरह से लूट खसोट हो रही है, उसको देखकर आम जनमानस हैरान है। उन्होंने बताया कि रविवार को उसके परिवार में चचेरे भाई का देहांत हो गया था वह गैंडी खाता में निवास करता था। नजीबाबाद, बिजनौर के मृतकों का परिजन अधिकांश दाह संस्कार के लिए चंडीघाट श्मशान आते हैं, वह मृतक के अंतिम क्रियाकर्म का सारा सामान एवं लकड़ी साथ लेकर आते हैं, चंडीघाट श्मशान घाट में दाह संस्कार के लिए पहले पर्ची कटवाई जाएगी। उसके पश्चात उसका दाह संस्कार किया जाएगा। उनके पहुंचने पर उनको भी पर्ची कटवाने के लिए बोला गया, जब वह पर्ची कटवाने के लिए काउंटर पर पहुंचे तो 2480 रुपए की पर्ची दाह संस्कार के किराए की काटी गई। उनके पूछने पर कार्यरत कर्मचारी मान सिंह गुंसाई ने बताया कि यह चार्ज नमामि गंगे संस्था द्वारा निर्धारित किया गया है हम उनकी आज्ञा का निर्वाहन कर रहे हैं। यह सुनकर दाह संस्कार के लिए पहुंचे लोगों को आश्चर्य हुआ की नमामि गंगे मृतक दाह संस्कार के रूप में भी व्यापार कर रही है। यदि कोई गरीब एवं असहाय परिवार अपने
मृतक के दाह संस्कार के लिए पहुंचेगा, यदि उसके पास 2480 रुपए नहीं होगें तो वह अपने मृतक का दाह संस्कार भी नहीं कर सकेगा। उत्तराखण्ड को देवभूमि कहा जाता हैं, लेकिन वहीं अपनों के मोक्ष की अभिलाषा लिए पहुंचने वालों ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि अपनों का दाह संस्कार करने के लिए व्यवस्था के नाम पर जजिया कर भी देना पडेगा। इसे उत्तराखंड के लोगों का सौभाग्य कहा जाए या दुर्भाग्य, यह लोग आपदा के समय में भी अवसर तलाशते हुए धन जुटाने में जुटे हैं। व्यापारी नेता विपिन शर्मा का आरोप हैं कि श्मशान घाट के बाहर बनी दुकानदारों का कहना था कि यहां पर दाह संस्कार की आड में लूट खसोट मची हुई है, अगर कोई पूछ लेता है तो 2480 की रसीद कटती है वरना यहां पर दस हजार रूपये तक ले लिए जाते है। तिरूपति कृ.उ.उ.वि. सहकारी समिति लि. कोटद्वार
गढवाल चंडीघाट मोक्ष घाट के नाम पर दाह संस्कार के नाम पर पैसे वसूले जा रहे है। रसीद के एक कोने में नमामि गंगे भी लिखा गया है। व्यापारी नेता ने जनहित में पूरे मामले पर ध्यान आर्किषत कराते हुए जिलाधिकारी हरिद्वार, गन्ना मंत्री स्वामी यतिश्वरानंद, सांसद प्रतिनिधि ओमप्रकाश जमदग्नि, शहर विधायक एवं प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक, ज्वालापुर विधायक सुरेश राठौर से उक्त मामले में कडा एक्शन लेने का अनुरोध किया है। एसडीएम हरिद्वार गोपाल चौहान ने इस मामले में कड़ा रूख दिखाते हुए चंडीघाट श्मशान घाट पर कार्यरत कर्मी मानसिंह गुंसाई से मामले की जानकारी मांगी गयी हैं जिसने बताया कि समिति का नमामि गंगे के साथ एग्रीमेंट है। जिसमें श्मशान घाट की साफ-सफाई, लकडी, पण्डित, चिंता बनाने वाले का शुल्क 3680 रूपये निर्धारित किया गया है। यदि कोई लकडी खुद साथ लेकर आता हैं तो उससे 2480 रूपये शुल्क लिया जाता है। एसडीएम ने बताया कि समिति के कर्मी से नमामि गंगे के साथ हुए एग्रीमेंट की कापी मांगी गयी है, जिसका अवलोकन किया जाएगा, उसके पश्चात ही वह कुछ कह सकते है।
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