*✨मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान में आयोजित तीन दिवसीय कुम्भ काॅन्क्लेव के दूसरे दिन सनातन पर्व, अखाड़ा, आश्रम और सभ्यता, सांस्कृतिक अर्थव्यवस्था और स्थिरता पर हुई चर्चा*
*✨भारतीय संविधान की 75वीं वर्षगांठ के पावन अवसर पर संविधान दिवस की शुभकामनाएं*
*💐संविधान की बातें केवल किताबों तक सीमित न रहें, बल्कि उन्हें हर व्यक्ति के दिल और दिमाग में भी स्थान मिले*
*🌸संविधान ही है समाधान*
*🙏🏻स्वामी चिदानन्द सरस्वती*
*☘️26/11 अटैक में शहीद हुये जवानों को अर्पित की श्रद्धांजलि*
ऋषिकेश, 26 नवंबर। मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान में आयोजित तीन दिवसीय कुम्भ काॅन्क्लेव के दूसरे दिन भारतीय संविधान की 75 वीं वर्षगांठ के अवसर पर कहा कि संविधान ही है समाधान। आज का दिन भारतीय लोकतंत्र का आधार है और इसने हमारे राष्ट्र को एक मजबूत, संप्रभु और लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में स्थापित किया।
कुम्भ काॅन्क्लेव के दूसरे दिन परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, उप मुख्यमंत्री श्री केशव प्रसाद मौर्य जी, निदेशक, मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, श्री आर एस वर्मा जी, एडवोकेट, श्री अशोक मेहता जी, विधायक श्री दीपक मेहता जी, विधायक श्री देवप्रसाद मौर्य जी, इंडिया थिंक काउंसिल, श्री सौरभ पांडे जी और अन्य विशिष्ट अतिथियों ने सहभाग कर संविधान दिवस के अवसर पर भारत के गरिमामय इतिहास पर चर्चा की।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि संविधान ही है समाधान। हमारे संविधान ने हमें एक मजबूत आधार प्रदान किया है जिस पर हम अपने देश के भविष्य का निर्माण कर सकते हैं। यह हमें समानता, स्वतंत्रता और न्याय की दिशा में आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। हमारे संविधान ने हमारे समाज को एकता और अखंडता का संदेश दिया है।
उन्होंने कहा कि संविधान दिवस हमें यह याद दिलाता है कि हमारे पास एक ऐसी पवित्र किताब है जो हमें सही दिशा में बढ़ने का मार्गदर्शन प्रदान करती है।
स्वामी जी ने कहा कि हमें अपने संविधान के प्रति सम्मान और आदर बनाए रखना होगा। संविधान ने हमें अधिकार दिए हैं, लेकिन इसके साथ ही वह हमें अपने कर्तव्यों का पालन करने का भी संदेश देती है। हमें संविधान के द्वारा दिए गए अधिकारों का सम्मान करने के साथ ही उन कर्तव्यों को नहीं भूलना चाहिए जो हमें इसे बनाये रखने के लिए करने हैं। संविधान दिवस एक मौका है जब हम अपने अधिकारों और कर्तव्यों को याद करते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि हम अपने समाज को एक बेहतर स्थान बनाने के लिए योगदान दें।
स्वामी जी ने विशेष रूप से युवा पीढ़ी को संदेश दिया कि वे संविधान के प्रति जागरूक रहें और इसके महत्व को समझें। उन्होंने कहा, युवाओं को संविधान के सिद्धांतों और मूल्यों को समझाना और उन्हें अपने जीवन में अपनाने हेतु प्रेरित करना होगा। हमारा संविधान हमें न केवल अधिकार देता है, बल्कि हमें एक जिम्मेदार नागरिक बनने की भी शिक्षा प्रदान करता है।
स्वामी जी ने समाज में शांति और सद्भाव बनाए रखने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि संविधान हमें एक ऐसा ढांचा प्रदान करता है जिसमें हम अपने मतभेदों को सुलझा सकते हैं और एक साथ मिलकर देश की उन्नति के लिए कार्य कर सकते हैं। हमारा संविधान हमें सिखाता है कि कैसे हम विभिन्नता में एकता की स्थापना कर एक मजबूत और समृद्ध राष्ट्र का निर्माण कर सकते हैं।
वर्तमान समय में, जब हम कई सामाजिक और राजनीतिक चुनौतियों का सामना कर रहे हैं ऐसे में हमें यह याद रखना होगा कि एकजुटता में ही शक्ति है। हमारी एकता ही हमारी ताकत है, और यही हमें हर चुनौती का सामना करने और उसे पार करने में सक्षम बनाती हैै।
हम सबका उद्देश्य यही होना चाहिये कि हम एक समृद्ध, सुरक्षित और प्रगतिशील भारत का निर्माण करें। यही सच्ची देशभक्ति है, और यही हमारे राष्ट्र के उज्ज्वल भविष्य का आधार है।
दूसरे दिन के सत्र में विभूतियों ने सनातन पर्व, अखाड़ा और आश्रम, भारतीय सभ्यता की धरोहर आदि कई विषयों पर चर्चा करते हुये कहा कि ये हमारी सांस्कृतिक अर्थव्यवस्था और स्थिरता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हमें इन संस्थाओं और परंपराओं का सम्मान करना चाहिए और उन्हें संजोए रखना चाहिए, ताकि हमारी सभ्यता की समृद्ध धरोहर आने वाली पीढ़ियों तक पहुंच सके।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने 26 नवम्बर 2008 को मुम्बई में हुये हमले में शहीद हुये जवानों को श्रद्धाजंलि अर्पित करते हुये उनकी स्मृति में परमार्थ त्रिवेणी पुष्प प्रयागराज में रूद्राक्ष का पौधा रोपित किया। उन्होंने कहा कि यह दिन भारतीय इतिहास में एक काले अध्याय के रूप में दर्ज है। हमारे बहादुर जवानों ने अपनी जान की बाजी लगाकर देश की रक्षा की। आज हम उन सभी वीर जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं जिन्होंने इस हमले में अपने प्राणों की आहुति दी। उनकी वीरता और बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने अपने कर्तव्य का पालन करते हुए न केवल मुंबई, बल्कि पूरे देश को एक बड़े संकट से बचाया। उनकी साहसिकता और निस्वार्थ सेवा हमें हमेशा प्रेरित करती रहेगी।
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