हरिद्वार। जिला मुख्यालय हरिद्वार के विकास भवन, रोशनाबाद में मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) महोदया की अध्यक्षता में एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठक का उद्देश्य सिंघाड़ा प्रोसेसिंग यूनिट के उत्पादों, विशेषकर सिंघाड़ा आटा, उसकी ब्रांडिंग, पैकेजिंग डिज़ाइनिंग, और मार्केट कोलैबोरेशन/रणनीति को अंतिम रूप देना था। बैठक में सीडीओ महोदया के साथ परियोजना निदेशक – डीआरडीए, जिला विकास अधिकारी हरिद्वार, जिला परियोजना प्रबंधक (डीपीएम-ग्रामोत्थान परियोजना), सहायक प्रबंधकों, वाईपी-केएम/आईटी, और विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े 12-15 प्रमुख उद्यमियों ने भाग लिया। बैठक में भौतिक और वर्चुअल दोनों माध्यमों का उपयोग किया गया।
बैठक की शुरुआत और प्रस्तुतीकरण:-
बैठक की शुरुआत जिला परियोजना प्रबंधक (डीपीएम) द्वारा एक विस्तृत प्रस्तुतीकरण के माध्यम से की गई। प्रस्तुतीकरण में सिंघाड़ा आटा के उत्पादन, गुणवत्ता, संभावित बाजार, और ब्रांडिंग के महत्व पर चर्चा की गई। डीपीएम ने परियोजना के तहत किए जा रहे कार्यों, यूनिट की वर्तमान स्थिति, और भविष्य की योजनाओं पर प्रकाश डाला।
इसके बाद सीडीओ महोदया ने अपने विचार साझा करते हुए सभी प्रतिभागियों से सुझाव मांगे। उन्होंने सिंघाड़ा आटा को हरिद्वार जिले की एक विशिष्ट पहचान के रूप में उभारने और स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया।
प्रतिभागियों के विचार और सुझाव:-
बैठक में विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े विशेषज्ञों और उद्यमियों ने अपने सुझाव प्रस्तुत किए।
1. ब्रांडिंग और पैकेजिंग: Recreating Reality ब्रांडिंग कंपनी की टीम ने सिंघाड़ा आटा की ब्रांडिंग और पैकेजिंग पर अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया कि उत्पाद की पहचान को बाजार में स्थापित करने के लिए ब्रांडिंग और आकर्षक पैकेजिंग डिज़ाइन अनिवार्य है।
2. मार्केट कोलैबोरेशन: Kisansay.in के हेड नितिन पुरी ने देशभर के 45-50 हजार किसानों के साथ कार्य करने का अनुभव साझा करते हुए सुझाव दिया कि सिंघाड़ा आटा को स्थानीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में प्रमोट करने के लिए को-ब्रांडिंग और को-मार्केटिंग मॉडल अपनाया जा सकता है।
3. नवाचार और उत्पाद विविधीकरण: MEDHANSH के को-डायरेक्टर और डॉ. अरविंद चौधरी (डायरेक्टर, एग्रीकल्चर डेवलपमेंट मार्केटिंग कोऑपरेटिव सोसाइटी) ने सुझाव दिया कि सिंघाड़ा आटा से बिस्कुट, मिठाई, नमकीन, और अन्य खाद्य पदार्थ तैयार कर उत्पादों की विविधता बढ़ाई जा सकती है।
स्थानीय रोजगार सृजन और स्टार्टअप्स की भागीदारी:-
सीडीओ महोदया ने सुझाव दिया कि स्थानीय युवाओं और स्टार्टअप्स को इस प्रक्रिया में शामिल कर रोजगार के अवसरों का सृजन किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस प्रोजेक्ट को ‘हरिद्वार की पहचान’ के रूप में विकसित किया जाए।
परियोजना निदेशक और जिला विकास अधिकारी के विचार:-
परियोजना निदेशक – डीआरडीए और जिला विकास अधिकारी ने सिंघाड़ा आटा के उत्पादन की गुणवत्ता सुधारने, यूनिट की क्षमता बढ़ाने, और उत्पाद को देशभर में लोकप्रिय बनाने के लिए आवश्यक कदम उठाने पर जोर दिया। उन्होंने तकनीकी और वित्तीय सहायता के माध्यम से परियोजना को गति देने का सुझाव दिया।
आगे की कार्य योजना:-
बैठक के अंत में सीडीओ महोदया ने सभी सुझावों को संकलित कर एक कार्य योजना तैयार करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि ब्रांडिंग और पैकेजिंग डिज़ाइन का कार्य शीघ्र प्रारंभ किया जाए और अगले 7 दिनों में प्रगति की समीक्षा के लिए पुनः बैठक आयोजित की जाए।
इस बैठक में उपस्थित सभी विशेषज्ञों और उद्यमियों ने हरिद्वार जिले में सिंघाड़ा उत्पादों की ब्रांडिंग और मार्केटिंग को सफल बनाने के लिए अपने अनुभव और संसाधनों का उपयोग करने का आश्वासन दिया। यह बैठक हरिद्वार जिले के ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार और उद्यमिता को बढ़ावा देने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगी।
सिंघाड़ा आटा और उससे जुड़े उत्पादों के विकास के लिए आयोजित यह बैठक कई दृष्टिकोणों और सुझावों का संगम थी। इससे न केवल सिंघाड़ा उत्पादकों को लाभ होगा, बल्कि जिले की अर्थव्यवस्था और पहचान को भी मजबूती मिलेगी।
मुख्य विकास अधिकारी महोदया ने इस पहल को प्राथमिकता देते हुए इसे सफल बनाने के लिए सभी संबंधित विभागों और प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया।
अगली बैठक की तैयारी और कार्य योजना के क्रियान्वयन के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं।
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