*🌸महाकुम्भ की धरती, परमार्थ निकेतन शिविर, अरैल प्रयागराज में विश्व पावन राष्ट्रसंत, श्रीरामकथा मर्मज्ञ पूज्य मोरारी बापू के श्रीमुख से श्रीराम कथा*
*✨परमार्थ निकेतन शिविर, परमार्थ त्रिवेणी पुष्प और सतुआ बाबा आश्रम के संयुक्त तत्वाधान में दिव्य श्रीराम कथा की ज्ञानगंगा संगम तट पर प्रवाहित*
*🌸महाकुम्भ की पावन धरा पर परमार्थ निकेतन शिविर, अरैल प्रयागराज, सेक्टर 23*
*🌺श्रीराम कथा मर्मज्ञ, राष्ट्रसंत, परम पावन पूज्य मोरारी बापू का परमार्थ निकेतन शिविर प्रयागराज में शंखध्वनि, वेदमंत्र और पुष्पवर्षा से अभिनन्दन*
*💥परम पूज्य प्रातः स्मरणीय पूज्यपाद श्री गुरूकार्षि्ण पीठाधीश्वर पूज्य गुरूशरणानन्द जी महाराज, पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, पूज्य आचार्य मÛ मÛ जुनापीठाधीश्वर स्वामी अवधेशानन्द जी, पूज्य आचार्य श्री रमेश भाई ओझा जी (पूज्य भाईश्री), पूज्य गीता मनीषी ज्ञानानन्द जी महाराज, पूज्य सतुआ बाबाजी, पूज्य साध्वी भगवती सरस्वती जी और पूज्य संतों का पावन सान्निध्य*
*💦नदियों के पावन संगम के साथ पूज्य संतों को दिव्य संगम*
*🌺18 जनवरी, सांय 04 बजे, 19 जनवरी से 26 जनवरी तक महाकुंभ 2025 प्रतिदिन 10 बजे से 01 बजे तक*
*✨अमृतकाल की अमृत कथा-श्रीराम कथा*
*🌸संगम ही भारत का आधार*
*💥पूज्य बापू सनातन परम्परा के शिखर*
*🙏🏾स्वामी चिदानन्द सरस्वती*
प्रयागराज। महाकुंभ की पवित्र धरती पर, परमार्थ निकेतन शिविर, अरैल, प्रयागराज में विश्व प्रसिद्ध राष्ट्रसंत पूज्य श्री मोरारी बापू जी के श्रीमुख से श्रीराम कथा हो रही हैं। यह आयोजन परमार्थ निकेतन शिविर और सतु.आ बाबा आश्रम के संयुक्त तत्वावधान में किया गया।
दिव्य श्रीराम कथा का आयोजन महाकुंभ के ऐतिहासिक अवसर पर हुआ, जो न केवल श्रद्धालुओं के लिए धार्मिक आस्था का एक अद्भुत अनुभव है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक और अध्यात्मिक धरोहर का भी अद्भुत उदाहरण है। पूज्य बापू श्रीराम कथा के माध्यम से भगवान श्रीराम जी के जीवन और शिक्षाओं की मर्मज्ञता का दिव्यता से अनुभव श्रोताओं को कराकर उनके हृदय को गद्गद् करा रहे हैं।
श्रीराम कथा के प्रारंभ से पूर्व, पूजा अर्चना के साथ शंख ध्वनि, वेद मंत्रोच्चारण और पुष्पवर्षा के साथ पूज्य मोरारी बापू जी का परमार्थ निकेतन शिविर प्रयागराज में दिव्य अभिनन्दन किया गया। दिव्य श्रीराम कथा में परम पूज्य प्रातः स्मरणीय पूज्यपाद श्री गुरूकार्षि्ण पीठाधीश्वर पूज्य गुरूशरणानन्द जी महाराज, पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, पूज्य आचार्य मÛ मÛ जुनापीठाधीश्वर स्वामी अवधेशानन्द जी, पूज्य आचार्य श्री रमेश भाई ओझा जी (पूज्य भाईश्री), पूज्य गीता मनीषी ज्ञानानन्द जी महाराज, पूज्य सतुआ बाबाजी, पूज्य साध्वी भगवती सरस्वती जी और पूज्य संतों का पावन सान्निध्य प्राप्त हुआ।
इस अवसर पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और सतुआ बाबा जी ने पूज्य संतों का अभिनन्दन किया।
परम पूज्य प्रातः स्मरणीय पूज्यपाद श्री गुरूकार्षि्ण पीठाधीश्वर पूज्य गुरूशरणानन्द जी महाराज ने कहा कि सारे बंधन प्रभु समर्पण में समाप्त हो जाते हैं। श्रीराम कथा से अमृत के सारें घट खुल जाते हैं। अमृत को प्राप्त करने के लिये हमें अभिमुख होना होगा।
पूज्य मोरारी बापू जी ने कहा कि श्रीराम कथा केवल एक कथा नहीं है, बल्कि यह एक जीवन जीने की कला है। श्रीराम कथा, जीवन में जो निष्कलंक सत्य और धर्म की राह है उसका संदेश देती है और यही जीवन का शाश्वत मार्ग है। श्रीराम का जीवन संघर्ष से परे एक शांति, संतुलन और आस्था का प्रतीक है। भगवान श्रीराम, केवल एक राजा या नायक नहीं थे, बल्कि उनके जीवन के प्रत्येक पहलू से हमें जीवन की सच्चाई और समर्पण के मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिलती है। महाकुम्भ से आप सभी इस दिव्य प्रेरणा को महाकुम्भ के प्रसाद स्वरूप ग्रहण करें, यही श्रीराम कथा की सार्थकता हंै।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि श्रीराम कथा, महाकुंभ जैसे पवित्र स्थान पूज्य मोरारी बापू के श्रीमुख से श्रवण करना हमारे जीवन के उद्देश्य और भगवान श्री राम के आदर्शों को समझने का सर्वोत्तम मार्ग है। यह कथा हमें धर्म, कर्म और भक्ति के मार्ग पर चलने की प्रेरणा प्रदान करती है। महाकुंभ, केवल एक धार्मिक मेला नहीं है, यह आत्मा की शुद्धि, तात्त्विकता और साधना का स्थल है। संगम का तट और इस तट पर महापुरूषों का संगम धन्य है।
सनातन का संदेश यही है कि अगर कहीं संग्राम होता भी है परन्तु संगम बचा रहे।
स्वामी जी ने कहा कि आज का क्षण अत्यंत पावन, पवित्र और दिव्य है। हम सब बहुत भाग्यशाली है कि हमें इस आध्यात्मिक गौरवमयी गाथा श्रीराम कथा को श्रवण करने का अवसर का प्राप्त हो रहा है। संगम के तट पर पूज्य संतों का संगम केवल भारत का नहीं पूरे विश्व की समस्याओं का समाधान है।
मÛ मÛ स्वामी अवधेशानन्द जी ने भी श्रीराम के आदर्शों की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि श्रीराम ने सत्य, कर्तव्यनिष्ठा, धर्मपरायणता का जो मार्ग दिखाया है, वह मार्ग वर्तमान समय में भी हमें जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता और शांति दिलाने वाला है। भारतीय संस्कृति सभी के कल्याण की संस्कृति है।
गीता मनीषी ज्ञानानन्द जी महाराज ने कहा कि कुम्भ भारत का स्वाभिमान है, राष्ट्र का गौरव है। यहां पर केवल स्नान का अमृत नहीं बल्कि कथा का अमृत, पूज्य संतों के दर्शन का अमृत प्राप्त हो रहा है। पूज्य बापू के श्रीमुख से जो कथा का अमृत मिल रहा है वह अद्भुत है।
आचार्य श्री रमेश भाई ओझा जी (पूज्य भाईश्री) ने कहा कि आज का अवसर वास्तविक कुम्भ व त्रिवेणी स्नान का दिव्य अवसर है।
मÛ मÛ श्री संतोषदास जी (सतुआ बाबा) जी ने कहा कि श्रीराम कथा का उद्देश्य श्रद्धालुओं को भगवान श्रीराम के आदर्शों से जोड़ना है ताकि प्रत्येक श्रद्धालु अपने जीवन में भगवान श्रीराम के उपदेशों को अपनाकर एक शांतिपूर्ण और सुखमय जीवन जीए और यही महाकुम्भ की धरती का संदेश भी है।
साध्वी भगवती सरस्वती जी ने कहा कि भारत, श्रीराम भगवान की दिव्य धरती है और महाकुम्भ, भारत का नहीं पूरे विश्व का दिव्य महोत्सव है। इस दिव्य महोत्सव में दिव्यता की कथा जीवन की अनमोल गाथा है। हम सभी अत्यंत भाग्यशाली है कि 144 वर्षों बाद आये इस दिव्य अवसर के हमें दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हो रहा है। ऐसी भक्ति, प्रेम और दिव्य संबंध केवल भारत में ही हो सकता है।
महाकुंभ के पावन अवसर पर प्रयागराज की दिव्य धरती पर, परमार्थ निकेतन शिविर, अरैल, सेक्टर 23 में दिव्य, अलौकिक, अद्भुत श्रीराम कथा का आयोजन किया जा रहा है। यह आयोजन 18 जनवरी 2025 से 26 जनवरी 2025 तक प्रतिदिन, सुबह 10 बजे से 1 बजे तक आयोजित किया जाएगा। विश्व प्रसिद्ध श्रीरामकथा मर्मज्ञ, राष्ट्रसंत, परम पूज्य संत मोरारी बापू जी, के श्रीमुख से श्रीराम कथा का अमृतपान महाकुम्भ की धरती पर करने का सौभाग्य प्राप्त हो रहा है।
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