*✨नवरात्रि, समानता और शक्ति का महोत्सव*
*✨अंतरराष्ट्रीय ट्रांसजेंडर दृश्यता दिवस- समानता और स्वीकृति की दिशा में एक कदम*
*💥आइए, हम ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को पहचान और गरिमा दें और एक न्यायसंगत समाज की ओर बढ़ें*💥
ऋषिकेश, 31 मार्च। आज का दिन दो विशेष अवसरों को समर्पित है आज नवरात्रि का दूसरा दिन माँ ब्रह्मचारिणी को समर्पित हैं और अंतरराष्ट्रीय ट्रांसजेंडर दृश्यता दिवस भी हैं। यह दिन हमें ट्रांसजेंडर समुदाय की पहचान, संघर्ष और उपलब्धियों को स्वीकार करने की प्रेरणा देता है। यह दिन समानता, स्वीकृति और न्याय की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है ताकि सभी मिलकर एक समावेशी समाज बनाने का संकल्प लें।
परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने अपने संदेश में कहा कि नवरात्रि, माँ दुर्गा की शक्ति और नारी सशक्तिकरण का प्रतीक है। यह नौ दिनों का पर्व साहस, आत्मविश्वास और अच्छाई की जीत को समर्पित पर्व है, जो समानता, सम्मान और समावेशिता और हर व्यक्ति को गरिमा और प्रेम से जीने की प्रेरणा देता है।
नवरात्रि, देवी दुर्गा की उपासना का पर्व है, यह शक्ति, भक्ति और विजय का महोत्सव है। अगर हम नवरात्रि और ट्रांसजेंडर दृश्यता दिवस को एक साथ देखें, तो दोनों एक ही मूल भावना का प्रतीक हैं। सशक्तिकरण, समानता और न्याय। नवरात्रि का पर्व हमें यह सिखाता है कि शक्ति का सम्मान किया जाना चाहिए, चाहे वह किसी भी रूप में हो। इसी तरह, ट्रांसजेंडर समुदाय भी समाज में समान अधिकार और सम्मान के पात्र है। यह समय है कि हम सभी अपनी सोच को व्यापक बनाकर समावेशिता को अपनाएँ और एक न्यायसंगत समाज की नींव रखें।
देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा के पीछे यही भाव छिपा है कि हर व्यक्ति में शक्ति का वास है, और हमें किसी भी प्रकार के भेदभाव से ऊपर उठकर समानता की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए।
नवरात्रि केवल एक धार्मिक पर्व ही नहीं, बल्कि सामाजिक समानता और न्याय का भी प्रतीक है। जब हम शक्ति और नारीत्व का सम्मान करते हैं, तो हमें यह भी समझना चाहिए कि लिंग का कोई भी रूप, चाहे पुरुष, महिला, ट्रांसजेंडर, या गैर-बाइनरी, सम्मान के समान अधिकारी है।
ट्रांसजेंडर समुदाय भी इस शक्ति का प्रतीक है। वे समाज में अपनी पहचान बनाने के लिए संघर्ष करते हैं, अपने अधिकारों के लिए लड़ते हैं और अपनी विशिष्टता के बावजूद आगे बढ़ते हैं। यही तो असली शक्ति है अपने अस्तित्व को स्वीकार कराना और आत्मसम्मान के साथ जीना।
समानता, शक्ति और स्वीकृति ही सच्चे मानव मूल्यों का आधार हैं। जब हम देवी दुर्गा की पूजा करते हैं, तब हमें यह भी समझना चाहिए कि हर व्यक्ति, चाहे वह किसी भी लिंग का हो, सम्मान और गरिमा के साथ जीने का अधिकार रखता है।
इस शुभ अवसर पर, आइए हम सभी समावेशिता, समानता और सशक्तिकरण के इस संदेश को आगे बढ़ाएँ और एक ऐसा समाज बनाएँ, जहाँ हर व्यक्ति अपनी पहचान के साथ गर्व से जी सके।
शक्ति, समानता और स्वीकृति का यह पर्व सभी के जीवन में खुशियाँ और सकारात्मकता लाए!
More Stories
जनपद हरिद्वार के समस्त विकासखंडों में अल्ट्रा पूअर सपोर्ट, एंटरप्राइजेज और सीबीओ लेवल के एंटरप्राइजेज की स्थापना की गई
रोटरी इंटरनेशनल में नई टीम ने संभाली कमान
शांति व्यवस्था भंग करने पर अलग अलग मामलों में 02 दबोचे