🌺स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने माननीय मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी जी को परमार्थ निकेतन गंगा जी की आरती में सहभाग हेतु किया आंमत्रित
✨स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी एवं मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी जी की दिव्य भेंटवार्ता
💥चार धामों की पुण्य भूमि पर दर्शन हेतु देशवासियों को किया आंमत्रित
ऋषिकेश, 28 अप्रैल। ऋषिकेश की पुण्य भूमि पर आज परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष, स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी एवं उत्तराखंड के माननीय मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी जी के मध्य एक आत्मीय भेंटवार्ता सम्पन्न हुई। इस अवसर पर दोनों विभूतियों ने चार धामों की दिव्यता और भारतीय संस्कृति के उत्थान को लेकर चर्चा की और देशवासियों को चार धामों की पुण्य यात्रा हेतु आमंत्रित किया।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि, चार धाम हमारे दिव्य तीर्थस्थल हैं, ये हमारे आंतरिक शुद्धिकरण, जागृति और दिव्यता का प्रतीक हैं। जब हम इन धामों की यात्रा करते हैं, तो यह केवल बाह्य यात्राओं का क्रम नहीं होता, बल्कि यह एक आत्मिक जागरण की प्रक्रिया है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि वर्तमान समय में जब संसार भौतिकता की अंधी दौड़ में तनाव, संघर्ष और संकट का सामना कर रहा है, ऐसे में भारत की चार धाम यात्रा मानवता को एक शांति, सह-अस्तित्व और आध्यात्मिक उत्थान का संदेश देती है। उन्होंने कहा कि चार धाम यात्रा से व्यक्ति केवल मोक्ष का मार्ग नहीं खोजता, बल्कि अपने भीतर की करुणा, विनम्रता और सेवा भावना को भी जागृत करता है।
माननीय मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी जी ने कहा कि, चार धाम यात्रा का प्रत्येक चरण आस्था, संस्कृति और संस्कारों का जीवन्त परिचायक है। उत्तराखंड सरकार श्रद्धालुओं की सुखद, सुरक्षित एवं सुगम यात्रा सुनिश्चित करने हेतु निरंतर प्रयासरत है। हम चार धाम यात्रा को भव्यता एवं दिव्यता के साथ संचालित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी जी ने बताया कि इस वर्ष चार धाम यात्रा हेतु उत्तराखंड सरकार ने समुचित व्यवस्थाएँ सुनिश्चित की हैं। यात्रियों के लिए बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं, सुगम यातायात, स्वच्छता और सुरक्षा के विशेष प्रबंध किए गए हैं। मुख्यमंत्री जी ने आग्रह किया कि सभी श्रद्धालु यात्रा के दौरान प्रकृति का सम्मान करें, सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग न करें, पर्यावरण संरक्षण का ध्यान रखें और स्वच्छ भारत के संकल्प में सहभागी बनें।
आइए, चार धामों की पुण्य भूमि का दर्शन करें, इन धामों की दिव्यता को आत्मसात करें और अपने जीवन में प्रेम, करुणा, सेवा और संस्कारों की स्थापना करें।
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