जीवन से प्यार तो नशे का बहिष्कार : स्वामी चिदानन्द सरस्वती

Jalta Rashtra News

ऋषिकेश।

नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध व्यापार के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय दिवस के अवसर पर परमार्थ निकेतन के स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने देश के युवाओं को संदेश देते हुये कहा कि ’’वर्तमान समय में अधिकांश युवा नशे की गिरफ्त में जा रहें हैं। युवा हमारे देश की संपत्ति हैं; हमारे देश का युवा हमारा बहुमूल्य खजाना है अतः युवाओं को नशीले पदार्थों के सेवन के प्रति संवेदनशील करना होगा।‘‘
कोरोना वायरस के कारण देश में लाॅकडाउन के समय शराब की दुकानें बंद थी। कुछ दिनों बाद सरकार ने दुकानें खोली तो लोग शराब खरीदने के लिये छः सात घन्टे लाइन में लगे रहे। क्या नशा है शराब का! जिसके आगे मृत्यु का डर भी छोटा पड़ गया। एक बोतल शराब के लिये लोग कतार में जिंदगी लेकर खड़े हो गये, ऐसे में मौत का डर तो वहम था परन्तु आज नशा जिंदगी से बड़ा हो गया।
नशे के कारण परिवार में बिखराव, अलगाव और सामाजिक सम्बंध भी टूटने का खतरा बना रहता है। महिलाओं के लिये सबसे सुरक्षित माना जाने वाला घर ही उनके लिये सबसे असुरक्षित हो जाता है। नशे की लत के कारण कई महिलाओं की हत्या उनके पार्टनर या परिवार के सदस्यों के द्वारा ही कर दी जाती है।
पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान विश्व ड्रग्स दिवस पर आईये अपने कदम कोरोना से करूणा की ओर बढ़ायें। यह करुणा का समय है सबसे पहले तो स्वयं पर करूणा करें, स्वयं को हर तरह के नशे से मुक्त करें और यह भी सुनिश्चित करें कि कोई भी व्यक्ति पीछे न छुट जाये, किसी का दिल न टूट जायें। जो भी नशे की गिरफ्त में हैं उन सभी को हमारी मदद की जरूरत है।
जो लोग ड्रग्स का उपयोग करते हैं उन तक पहुंचना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि नशा करने वालों से घ्रृणा न करें, उनको अपनापन दें, उनके साथ आत्मीयता की भावना से मिलें।
स्वामी जी ने नशा करने वाले युवाओं से कहा कि अपनी प्रतिरक्षा को मजबूत करें, घीरे-धीरे अपनी नशे की आदत को सुधारें ताकि जीवन में बदलाव की लहर आये। उन्होंने कहा कि नशा, नाश करता है। नशा शराब या तम्बाकू में नहीं हमारी सोच में है अतः सोच से नशे को बाहर निकालना होगा। नशा केवल कैंसर का ही कारण नहीं बल्कि दिल की धड़कन को भी रोक देता है। कृपया जिन्दगी चुनें, नशा नहीं।
नशा जानलेवा है, भगवान ने सभी को गिनती की साँसे दी हैं एक सिगरेट पीने से एक साँस कम हो जाती है, एक बीड़ी पीने से दो साँसे कम हो जाती है और एक पैकेट गुटका खाने से चार साँसे कम हो जाती है। सोचो तो सही, क्या हम अपने साथ ही अन्याय नहीं कर रहे हैं। भारत में दस लाख और विश्व स्तर में 70 लाख से अधिक लोग हर साल तम्बाकू और सिगरेट के सेवन से अकाल मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं। नशा, कैंसर कारक है, अतः अगर जीवन से है प्यार, तो नशे का करें बहिष्कार।’’
पूज्य स्वामी जी ने कहा कि एक ऐसा भी नशा है जो भीतर की मस्ती, आनन्द और दिव्यता प्रदान करता है और हम इससे ध्यान के माध्यम से जुड़ सकते हैं। ध्यान के माध्यम से हम अपने आप से जुड़ेंगे तो पक्का माने कि नशे की प्रवृति भी छूटेगी, व्यसन भी छूटेंगे और हम व्यस्त रहते हुये भी मस्त रह सकेंगे। मनुष्य को सरल, सात्विक और मर्यादित जीवन जीना चाहिये। ’’ये अपने ही दिल की मस्ती, जिसने मचाई हलचल। नशा शराब में होता, तो नाचती बोतल।’’

स्वामी जी ने कहा कि नशा, सर्वथा नाश करता है इसलिये अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुये एक ऐसा वातावरण बनाना है कि नशा करने वाले के प्रति भी हमारे दिलों में कोई भेदभाव या घृणा न हो, कोई स्टिग्मा या संशय न हो उन्हें ज्यादा से ज्यादा अपनापन देना होगा ताकि वे इस समस्या से बाहर निकल सकें। उनके प्रति हमारा अपनापन और प्रेम उनके जीवन में एक क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकता है।

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