* *उच्च शिक्षा विभाग एवं देव संस्कृति विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वाधान में समान नागरिक संहिता पर आयोजित की गई कार्यशाला*
* *मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्य अतिथि के रूप में कार्यशाला मं किया प्रतिभाग*
* *यूसीसी लागू होने से केवल सभी नागरिको के न्यायिक अधिकार समान हुए है बल्कि प्रदेश में महिला सशक्तिकरण के एक युग की शुरूवात: सीएम धामी*
* *उत्तराखण्ड की देव भूमि से माँ गंगा निकलकर पूरे देश को जल और जीवन देने का काम करती है उसी प्रकार समान नागरिक संहिता कानून पूरे देश के अन्य राज्यों को भी लाभ देने का काम करें- सीएम धामी*
*हरिद्वार दिनांक 03 मई, 2025* – मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को देवसंस्कृति विश्व विद्यालय में आयोजित *‘‘समान नागरिक संहिता,‘‘* कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में प्रतिभाग किया। तथा कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्जवलित कर किया।
इस अवसर कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए कहा कि उच्च शिक्षा विभाग और देव संस्कृति विश्वविद्यालय के द्वारा आयोजित की गई है इस कार्यक्रम में सभी का हृदय से स्वागत करते हुए कहा कि श्रीराम आचार्य शर्मा जी के द्वारा जो हमको मार्ग दिखाया गया था और जो उन्होंने बहुत पहले भविष्य की जो कल्पना की थी, आज सारा विश्व इस दिशा में अग्रसरित हो रहा है इस दिशा में आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि शांतिकुंज गायत्री परिवार एक अच्छा संस्थान है जहां सदैव आध्यात्मिक चेतना के साथ राष्ट्र निर्माण की चेतना भी प्रभावी होती रही है मुझे प्रसन्नता है कि राष्ट्र निर्माण की इसी भावना के साथ आज यहां पर अखंड भारत समान नागरिक संहिता के प्रत्यक्ष में नागरिक कर्तव्य विषय पर महत्वपूर्ण कार्यशाला आज देव संस्कृति विश्वविद्यालय में आयोजित की जा रही है ।
उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा विषय जो निश्चित रूप से लोगों के बीच में जाना चाहिए और जो तमाम प्रकार की भ्रांतियां हैं वह भ्रांतियां दूर होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि आधुनिक प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के कुशल नेतृत्व में हमारा राष्ट्र 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने की दिशा में अग्रसर है प्रधानमंत्री जी का संकल्प आगे बढ़ रहा है पूरा देश उसी दिशा में आगे बढ़ रहा है और अगले 22 वर्षों में जब हमारा देश एक विकसित राष्ट्र के रूप में स्थापित होगा उस समय देश के सभी नागरिकों के न्यायिक अधिकारों में समानता होगी इसकी शुरुआत देवभूमि उत्तराखंड में यूसीसी लागू करके हमने आजादी के बाद भारत में सबसे पहले शुरू कर दिया है उन्होने कहा कि समान नागरिक संहिता जाति धर्म लिंग भेद आदि में अंतर के आधार पर कानूनी मामलों में होने वाले भेदभाव को खत्म करने का भी एक संवैधानिक उपाय है और यूसीसी लागू होने से न केवल राज्य से सभी नागरिकों के न्यायिक अधिकार सम्मान हुए बल्कि प्रदेश में महिला सशक्तिकरण की एक युग की शुरुआत हुई है।
उन्होने कहा कि हमारे देश की मातृशक्ति हमारी बहने और हमारी माताएं है उनके लिए यह संपूर्ण कानून यानी की 50 प्रतिशत आबादी का 100 प्रतिशत का कानून यूसीसी कानून है। इसके साथ ही अब कोई महिला उत्तराधिकारी या संपत्ति के अधिकार में भेदभाव का शिकार भी नहीं होगी इतना ही नहीं समान नागरिक संहिता से जो तमाम मामले जो हाल नहीं हो पा रहे थे जिन पर न्याय नहीं मिल रहा था और न्यायिक प्रक्रिया में भी तेजी होगी जिससे अनावश्यक मुकदमे उनमें भी कमी आएगी और न्यायपालिका पर भी इसका बोझ कम होगा । उन्होने कहा कि आज के समय में कुछ बड़े शहरों में लिविंग का कलर बढ़ता जा रहा है में व्यक्तिगत रूप से और बेचारिक रूप से इसे ठीक नहीं मानता हूं यह हमारी संस्कृति में नहीं रहा है परंतु यह आज के समय का सच है और अभी तक लिविंग के संबंध में कोई कानून भी नहीं था जिस कारण लिव-इन के दौरान विशेष कर लड़कियों पर अत्याचार के अनेक मामले सामने आ रहे थे। इसलिए सब की सुरक्षा का प्रावधान हमने किया है और ऐसी घटनाओं को रोक लगाने के लिए हमने यह प्रावधान किया है, इसके साथ ही यदि लड़के या लड़की की उम्र 21 वर्ष से कम है तो उनके माता-पिता को भी सहमति को भी उनका अनिवार्य किया गया है इसमें और लिविंग का रजिस्ट्रेशन होने के बाद रिश्ते में कोई विवाद होता है महिला साथी को कानूनी तौर पर गुजारा भत्ता प्राप्त करने का भी अधिकार मिलेगा इसके साथ ही इन संबंधों में जन्मे बच्चों को भी उनको भी वैधानिकता मिलेगी उनके भविष्य का भी प्रावधान किया गया है कि उसे वह संपत्ति में उत्तराधिकार के पात्र होगा।
उन्होने कहा कि हमने एक बार पुनः सिद्ध किया है यदि नियत साफ है और जन भावना साथ हो तो कोई भी बदलाव असंभव नहीं है कोई भी काम किया जा सकता है उन्होने कहा कि मुझे गर्व है कि देवभूमि उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता को लागू करके देश के सामने एक उदाहरण प्रस्तुत किया है। उन्होने कहा कि समान नागरिक संहिता किसी धर्म में पंथ के खिलाफ नहीं है कई लोग इसको दुष्प्रचारित भी कर रहे हैं लोगों में एक तरफ से भ्रम डालने का भी प्रयास कर रहे हैं यह किसी भी किसी के खिलाफ नहीं है किसी को टारगेट करके नहीं किया गया है बल्कि समाज की कुप्रथाओं को हटाकर सभी नागरिकों में समानता में समरसता स्थापित करने का एक कानूनी प्रयास है एक ऐसा ऐतिहासिक अवसर है एक ऐसा आवश्यक सुधार है जो पूरे समाज को लाभ देने वाला है।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड देवभूमि है उत्तराखंड हमारा चार धामों का प्रदेश उत्तराखंड हमारा दो-दो अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं से लगा हुआ प्रदेश हैउत्तराखंड 70 प्रतिशत वनों से अच्छादित है पूरा उत्तराखंड देवों से अच्छादति हैं यहां से गंगा निकलती है यहां से यहां से यमुना निकलती है यहां प्रत्येक परिवार से कोई देश सेवा में है कोई सेना, अर्धसैनिक बलों में इसलिए जैसे उत्तराखंड से देवभूमि से मां गंगा निकालकर पूरे देश को जल और जीवन देने का काम करती है उसी प्रकार इस समान नागरिक संहिता कानून पूरे देश के अन्य राज्यों को भी लाभ देने का काम करेगा ।
उन्हेांने छात्र-छात्राओं का आवह्न करते हुए कहा कि समान नागरिक संहिता का व्यापक स्तर से प्रचारित-प्रसारित किया जाना है तथा इसमें युवाओं का सहयोग जरूरी है।
इस अवसर पर उच्च शिक्षामंत्री धन सिंह रावत ने कहा कि यूसीसी लागू करने वाला उत्तराखण्ड देश में पहला राज्य है, उन्हेंाने की कहा कि यूसीसी को व्यापक ढ़ग से प्रचारित प्रसारित करने के लिए विश्व विद्यालय में कार्यशाला का आयोजन किया गया है उन्हेंाने कहा कि प्रदेश के सभी विश्वविद्यालय में कार्यशाला आयोजित की जाएगी जिसमें लगभग 05 लाख छात्रों की संख्या है जिसमें 62 प्रतिशत छात्राएं अध्ययनरत हैं तथा 03 माह में सभी विश्वविद्यालय में कार्यशाला आयोजन करने का लक्ष्य रखा गया है जिसमें यूसीसी बारे में पूरी जानकारी दी जाएगी।
दर्जाधारी राज्यमंत्री विनय रोहिला, प्रति कुलपति डॉ चिन्मय पंड्या, कुलपति डॉ. सुरेखा डंगवाल, उच्च शिक्षा सचिव रणजीत सिन्हा, समाजिक कार्यकर्त्ता/ यूसीसी सदस्य मन्नू गौड़, कुलसचिव योगेंद्र गिरी, जिलाधिकारी हरिद्वार कर्मेन्द्र सिंह, जिलाधिकारी देहरादून सविन बंसल, एसएसपी हरिद्वार प्रमेन्द्र सिंह डोभाल, उपाध्यक्ष एचआरडीए अंशुल सिंह, मुख्य विकास अधिकारी अकांक्षा कोण्डे, नगर मजिस्ट्रेट कुश्म चौहान सहित जनप्रतिनिधि एवं छात्र छात्राएं उपस्थित थे।
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