May 27, 2025

योग सेतु, योग, संवाद और साधना का अद्भुत संगम

*💥योग सेतु, योग, संवाद और साधना का अद्भुत संगम*

*✨इंडियन योग एसोसिएशन और परमार्थ निकेतन की साझा पहल योग सेतु*

*🌺आईवाईए और परमार्थ निकेतन का सामूहिक संकल्प योग सेतु*

*🌸स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में संकल्प में एकता और योग में प्रवाह के दर्शन*

ऋषिकेश, 25 मई। परमार्थ निकेतन और भारतीय योग संघ के संयुक्त तत्वावधान में परमार्थ निकेतन में आयोजित “योग सेतु” कार्यक्रम ने आज योग, संवाद और साधना के अद्भुत मिलन का प्रतीक स्थापित किया। योग के वैज्ञानिक और आध्यात्मिक पक्ष के दर्शन के साथ एकता, सहयोग और सामूहिक संकल्प के दर्शन आज इस कार्यक्रम के माध्यम से हुये।

योग सेतु अर्थात एक ऐसा सेतु, जो शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्तर पर व्यक्ति और समाज को जोड़ता है। इस पहल के माध्यम से भारतीय योग संघ और परमार्थ निकेतन ने योग को मात्र एक व्यायाम नहीं, बल्कि जीवन की संपूर्ण दर्शन के रूप में प्रस्तुत किया।

परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष, स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में श्री के.सी. जैन जी, कोषाध्यक्ष, आईवाईए, श्री एस.पी. मिश्रा जी, सीईओए आईवाईए, भारतीय योग संघ के गवर्निंग काउंसिल सदस्यों एवं विशिष्ट विभूतियों ने दीप प्रज्वलित कर इस योग सेतु समारोह का उद्घाटन किया।

परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष एवं भारतीय योग संघ के गवर्निंग काउंसिल सदस्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने योग सेतु कार्यक्रम में अपने प्रेरक उद्बोधन में कहा कि योग केवल आसन नहीं, आत्मा से आत्मा की यात्रा है। यह स्वयं से, समाज से और समग्र विश्व से जुड़ने का भी माध्यम है। उन्होंने कहा कि योग को अपने जीवन में आत्मसात करें और योग के सेतु बनें, ऐसे सेतु जो शांति, करुणा और एकता को जोड़ें।

स्वामी जी ने आगे कहा कि योग सेतु इस बात का प्रतीक है कि योग केवल जोड़ने वाला अभ्यास नहीं, बल्कि एक ऐसा दिव्य प्रवाह है जो जीवन के हर पहलू में सौंदर्य और संतुलन लाता है। यह सेतु हमारी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत को वर्तमान और भविष्य के लिए सशक्त बनाता है।

उन्होंने युवाओं से आह्वान करते हुये कहा कि योग को जीवनशैली बनाएं और इसके माध्यम से अपने भीतर की दिव्यता को पहचानें, क्योंकि अंततः सच्चा योग आत्मा की एकता और समरसता की ओर ले जाता है।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने सभी से आह्वान किया कि “आइए, योग को केवल योग दिवस तक सीमित न रखें, बल्कि इसे अपने जीवन की शैली बनाएं। स्वयं के भीतर के प्रकाश को पहचानें और दूसरों को भी उस प्रकाश से जोड़ें। जब हम योग के सेतु बनते हैं, तभी सच्चे अर्थों में समाज, संस्कृति और सृष्टि के साथ हमारा समन्वय स्थापित होता है

श्री के.सी. जैन, कोषाध्यक्ष, आईवाईए ने योग संघ की वर्तमान गतिविधियों, योग के प्रचार-प्रसार के लिए गठित नई योजनाओं तथा योग को मानकीकृत करने के प्रयासों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि किस प्रकार योग को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से विकसित कर युवाओं और सभी वर्गों तक पहुंचाया जा रहा है।

श्री एस.पी. मिश्रा, सीईओए आईवाईए ने योग प्रमाणन और गुणवत्ता नियंत्रण के विषय पर विस्तार से चर्चा की। उनका मानना है कि योग के अभ्यास और शिक्षण के लिए प्रमाणित मानक स्थापित करना आवश्यक है, जिससे योग का सही स्वरूप सभी तक पहुंचे और वह अधिक प्रभावशाली बन सके।

कार्यक्रम में एक खुला मंच भी रखा गया, जहां उपस्थित योग साधकों, शिक्षकों और योग प्रेमियों ने अपने विचार साझा किए, प्रश्न पूछे और संवाद स्थापित किया। इस ओपन फोरम में अनेक ऐसे मुद्दे उठाए गए जो योग के वर्तमान परिदृश्य और भविष्य की चुनौतियों से जुड़े थे। इस संवाद सत्र ने सभी के मन में उत्साह और जिज्ञासा जगाई।

‘योग क्विज’ कार्यक्रम ने युवाओं को योग के प्रति जागरूक किया, उनमें प्रतिस्पर्धा की भावना और सीखने की प्रेरणा भी उत्पन्न की। विजेताओं को आकर्षक उपहार देकर उनका उत्साहवर्द्धन किया गया।

कार्यक्रम के समापन के पश्चात सभी प्रतिभागियों ने गंगा के पावन तट पर परमार्थ गंगा आरती में भाग लिया। इस आध्यात्मिक अनुष्ठान ने सभी के मन को शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया। स्वामी जी ने सभी विशिष्ट अतिथियों को रूद्राक्ष का दिव्य पौधा भेंट किया।

इस अवसर पर श्री के.सी. जैन जी, कोषाध्यक्ष, आईवाईए, श्री एस.पी. मिश्रा जी, सीईओए आईवाईए योगाचार्य गंगा नन्दिनी, आचार्य दीपक शर्मा, परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमार और आईवाईए के पदाधिकारी व सदस्यगण उपस्थित रहे।