हरिद्वार । जलवायु परिवर्तन में बढ़ रही आपदाओं का न्यूनीकरण कैसे किया जाये एवं आपदा के बाद आपदा प्रभावित क्षेत्र में पुनर्वास किस प्रकार किया जाये जैसे ज्वलंत विषय पर आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला में उत्तराखण्ड रेडक्रास के चेयरमेन/प्रोफेसर डॉ. नरेश चौधरी ने रेडक्रास के साथ-साथ उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय का प्रतिनिधित्व करते हुए उत्तराखण्ड राज्य का गौरव बढ़ाया।
ऋषिकुल राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. नरेश चौधरी ने उत्तराखण्ड रेडक्रास एवं उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय का प्रतिनिधित्व करते हुए गत दिवस उत्तराखण्ड प्रशासन अकादमी नैनीताल द्वारा आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला में MainStreaming Disater Risk Reduction & Climate Change Adaptation Measures Into Develoment Plannig जलवायु एवं मौसम परिवर्तन से बढ़ रही आपदाओं का कम करना एवं विकास योजनाओं को भी और अच्छी प्रकार से धरातल पर उतारा जाये विषय पर विशेष रूप व्याख्यान दिया। कार्यशाला में सम्पूर्ण भारत के विभिन्न आपदा प्रभावित राज्यों के प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए डॉ. नरेश चौधरी ने कहा कि प्राकृतिक आपदा तो आनी ही है उनको रोकना नहीं जा सकता परन्तु वर्तमान में सभी कार्यदायी विभागों को स्थानीय समुदायों को साथ लेकर अपने आधुनिक संशाधनों से अतिशीघ्र प्रभावित क्षेत्रों में पहुंचकर कम किया जा सकता है। जिससे कि पूर्व में आयी आपदाओं की तुलना में जनहानि, आर्थिक हानि, पशु हानि भी कम हो रही है। डॉ. नरेश चौधरी ने उत्तराखण्ड मे आयी आपदाओं के साथ-साथ भारत के अन्य आपदा प्रभावित राज्यों में भी Early Warnigh (आपदा चेतावनी) से आपदाओं का न्यूनीकरण हुआ है। डॉ. नरेश चौधरी ने आपदा के बाद किस प्रकार आपदा प्रभावित क्षेत्रों में स्थानीय निवासियों को विश्वास में रखकर पूर्ण पारदर्शिता के साथ पुनर्वास किया जाये पर भी विशेष रूप से प्रतिभागियों को अपने द्वारा आपदाओं में किये गये समर्पित कार्यों के अनुभवों से रूबरू कराया। डॉ. नरेश चौधरी ने यह भी आह्वान किया कि इंडियन रेडक्रास सम्पूर्ण विश्वमें सबसे अधिक स्वयंसेवकों को समर्पित स्वयंसेवी संस्था है। जिसका लाभ आपदाओं के प्रति जागरूकता अभियानों में स्थानीय प्रशासन को आपदा विभाग से सामंजस्य कर लेना चाहिये।
डॉ. नरेश चौधरी ने इसी पहल उत्तराखण्ड से ही शुरुआत करने का भी कार्यशाला में संकल्प लिया। डॉ. नरेश चौधरी ने यह भी अवगत कराया कि उत्तराखण्ड के सभी 13 जनपदों में प्राकृतिक आपदाओं के साथ मानवजनित आपदाओं यथा वनाग्निी, सड़क दुर्घटनाएं, जैविक आपदायें , भीड वाले क्षेत्रों में भगदड़ आदि के प्रति भी जन समाज को जागरूक करने का सभी अन्य स्वयंसेवी संस्थाओं को साथ लेकर उत्तराखण्ड रेडक्रास अग्रणीय भूमिका का निर्वहन करेगा। उत्कृष्ट व्याख्यान एवं आपदाओं में किये गये समर्पित उत्कृष्ठ कायों के अनुभवों से प्रतिभागियों को रूबरू कराने के लिये उत्तराखण्ड प्रशासन अकादमी की ओर से प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित भी किया गया। उत्तराखण्ड प्रशासन अकादमी की ओर से महानिदेशक बी.पी. पाण्डेय के निर्देशन में अपर निदेशक आर.के. पालीवाल, संयुक्त निदेशक डॉ. महेश कुमार, उप निदेशक सुधीर कुमार, आपदा प्रकोष्ठ प्रभारी एवं कोर्स निदेशक डॉ. ओमप्रकाश, कार्यशाला संयोजक डॉ. मंजू पाण्डे, उत्तराखण्ड आपदा अनुसचिव जे.एस. त्रिपाठी ने सराहनीय सक्रिय सहभागिता की। कार्यशाला में पदमश्री प्रो. शिखर पाठक, कल्याण सिंह रावत, अनूप शाह, यूकोस्ट के महानिदेशक दुर्गेश पंत, आई.आई.एस.एस.एम. के सीईओ प्रो. संतोष कुमार, एनडीएमए के संयुक्त्त निदेशक डॉ. पवन कुमार सिंह, एनआईडीएम के मुख्य प्रो. सूर्यप्रकाश, पूर्व एडीजीएम आनन्द शर्मा, यूएलएमएमसी निदेशक डॉ. शान्तुन सरकार एवं विभिन्न विभागों से आये वैज्ञानिकों ने भी कार्यशाला में व्याख्यान दिये। उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अरुण त्रिपाठी, कुल सचिव रामजी शरण शर्मा एवं जनपद हरिद्वार के जिलाधिकारी कर्मेंद्र सिंह ने डॉ. नरेश चौधरी को राष्ट्रीय कार्यशाला में विशेष व्याख्यान एंव उत्तराखण्ड प्रशासन अकादमी नैनीताल द्वारा सम्मानित किये जाने पर बधाई दी।
More Stories
राज्य आपदा प्रबंधन उपाध्यक्ष विनय रोहिल्ला ने रुड़की में बैठक कर क्षेत्रीय समस्याओं का लिया जायज़ा
धोखाधड़ी में वांछित चल रही महिला आरोपी को रामधाम कालोनी कोतवाली रानीपुर से धरा
एक महीने में श्री केदारनाथ धाम यात्रा में लगभग 200 करोङ का कारोबार